दिखावे पर मत जाएं – रोनिता कुंडू : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : आपको याद है..? आपको मैंने अपने एक फ्रेंड के बारे में बताया था, नीरू, जो कि लंदन में सेटल हो गई है अपने पति के साथ.. यह देखिए वह अभी पेरिस घूम रही है… अंजलि में अपने पति विवेक से कहा…

 विवेक अंजलि के मोबाइल में नीरू की तस्वीरें देखने लगता है.., कितनी किस्मत वाली है यह..! हमारे साथ खेली, बड़ी हुई, पढ़ाई में ज्यादा अच्छी भी नहीं थी… हमारे जैसे परिवार से ही है… पर आज इसके ठाठ देखो.,, कभी पेरिस तो, कभी यूरोप घूमती ही रहती है… और हम सभी को जलाने के लिए अपने फोटोस भी अपलोड करती रहती है…. और एक मैं हूं जो हर क्षेत्र में इससे तो बेहतर ही थी… पर फिर भी मैं शिमला दर्शन भी नसीब नहीं हो पाई अभी तक… अंजलि ने यह कहकर अपना दुख जताया… 

विवेक:   अरे अंजलि… यह सारी तस्वीर दूसरों को दिखाने के लिए ही होती है बस… जरूरी नहीं अगर कोई हंस-हंसकर घूम रहा है और अपनी तस्वीरे फैला रहा है, हकीकत भी वही हो.,, तुम तो नीरू की हमेशा ही फोटो मुझे दिखती हो और फिर तुम कुछ दिनों तक उदास हो जाती हो… हमें दूसरों की स्थिति का पता नहीं होता… ऐसा भी तो हो सकता है कि जैसा दिख रहा है, वैसा ना हो., तुम इस जलन से खुद दुखी रहोगी और पता चला कि सामने वाला अपने दुख छुपाने के चक्कर में अपनी झूठी मुस्कान की चर्चा कर रहा है… यह सोशल मीडिया है… यहां हर कुछ आंख मुंदकर भरोसा नहीं करना चाहिए और सबसे बड़ी बात… जिसकी जितनी हैसियत उसे उसे हिसाब से ही चलना चाहिए.. और भगवान ने हमें जो दिया है उसकी कद्र करनी चाहिए.. 

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अंजलि:   पता है, हम मिडिल क्लास के पास भले ही पैसों की कमी हो… पर हमारे पास ज्ञान की कोई कमी नहीं होती… हम जो खुद कर नहीं पाए, तो दूसरों के भी हमें ढोंग ही लगते हैं… अरे इतने लोग जो फेसबुक या इंस्टाग्राम पर अपनी फोटो डालते हैं.., सारे क्या नकली ही होते हैं..? असली तो केवल आप ही है और हो भी क्यों ना मुझे जलन…? आखिर वह मेरे से कम ही थी, पर फिर भी आज वह कहां और मैं कहां.? कभी-कभी सोचती हूं मैं अपनी फोटो रसोई में ही खींचकर अपलोड कर दूं… ताकि दुनिया को भी दिखे मैं कितनी खुश हूं रसोई में… यह कहकर अंजलि वहां से चली जाती है…

यह आज पहली बार नहीं हुआ था कि जब अंजलि नीरू की तस्वीर देखकर ऐसा बर्ताव कर रही थी… जब भी नीरू फेसबुक पर अपनी कोई तस्वीर डालती, अंजलि विवेक से झगड़ा कर लेती और विवेक उसे मनाता… पर इस बार विवेक ने भी यह तय किया कि वह अब अंजलि को और नहीं मनाएगा… क्योंकि उसका मिडिल क्लास होना कोई गुनाह नहीं है और अंजलि भी मिडिल क्लास से ही थी… तो हर बार उसकी यह जिद जायज नहीं… मैं हर बार उसे मनाता हूं जिससे वह यह समझ बैठी है कि उसकी जिंदगी नीरू जैसी ना होने में मेरी ही गलती है…

अंजलि घर में बड़ी उखड़ी उखड़ी सी रहती… वह समय-समय पर विवेक का सारा काम तो कर देती, पर दोनों एक दूसरे से बात नहीं करते… जिससे अंजलि का गुस्सा और भी बढ़ता चला जा रहा था… एक दिन अंजलि घर का राशन लेने बाजार गई हुई थी, तो उसे बाजार में उसकी वही सहेली नीरू दिख जाती है… पर ताज्जुब की बात तो यह थी कि अपनी फोटो में नीरू जैसी रहीस दिखती थी, वास्तव में तो बिल्कुल ही अलग थी… वह एक सूती की सलवार सूट में धूप में हाथ में थैली लटकाए बाजार में भटक रही थी… अंजलि तुरंत उसके पास पहुंचकर उसे हाय कहती है… 

अंजलि:  अरे नीरू… तुम कब आई लंदन से और अभी कुछ दिनों पहले ही तुम पेरिस घूम रही थी ना..?

 नीरू:   हां यार… पर अब मैं यहां आ गई मम्मी पापा के पास…

 अंजलि:   क्या मतलब..?

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 नीरू:   मतलब मेरा डिवोर्स हो चुका है.. वह दरअसल हमने डिवोर्स के लिए अप्लाई तो पहले ही कर दिया था, बट जब तक फॉर्मेलिटी खत्म नहीं हो रहे थे मैं वही थी और इसलिए घर पर कम, बाहर ज्यादा घूमती थी… 

अंजलि:   यह क्या कह कर रही है नीरू..? इतना सब कुछ तुझे मिला और तूने सब छोड़ दिया..? तेरी जैसी किस्मत पाने के लिए तो मैं हमेशा ही भगवान से मिन्नते करती हूं…

नीरू:   हमेशा जो दिखता है वह होता नहीं… सिर्फ पैसों से अगर हम सब खरीद सकते तो कोई इंसान दुखी नहीं होता… मेरे पति के पास मुझे देने के लिए पैसा तो बहुत था… पर प्यार..? उसके लिए सिर्फ मैं ही नहीं थी, बाकी और भी कितनी थी, यह शायद कहना मुश्किल होगा… पहले पहल तो मैं घर में बैठी घुटती रहती थी… पर फिर मैंने अपनी जिंदगी को एक और मौका देने की ठानी और बस पूरी दुनिया घूमने का इरादा बना लिया.. एक ही जिंदगी सभी को मिलती है, तो मैं इस जिंदगी को किसी ऐसे इंसान के पीछे खत्म क्यों करूं..? जो अपनी जिंदगी में मुझे छोड़ बड़ा खुश है… डिवोर्स के लिए अर्जी तो दे ही दी थी, तो सोचा जब तक सेटलमेंट हो रहा है… पूरी दुनिया ही उसी के पैसों से घूम लेती हूं, जिसके लिए अपने जिंदगी के कई साल मैंने दिए… तू बता तू कैसी है..? क्या चल रहा है तेरी जिंदगी में..? 

 

अंजलि:  नीरू.. फिलहाल तो मेरी जिंदगी में बहुत कुछ चल रहा है… पर वह मैं तुझे कभी फुर्सत में बताऊंगी… अभी थोड़ा जल्दी में हूं… वैसे भी तू तो अब इंडिया आ ही गई है.. मिलते हैं कभी आराम से चाय पर… ढेर सारी बातें करेंगे.. यह कहकर अंजली भागी अपने घर… उसे आज अपनी करतूत पर बड़ा पछतावा हो रहा था… विवेक कितने सही थे, हमें दूसरों की खुशियों को देखकर उसकी तुलना अपने आप से नहीं करना चाहिए… सब की जिंदगी अलग होती है हमें दूसरों की जिंदगी के बारे में नहीं पता… इसलिए उसके लिए अपनी खुशियों में ग्रहण नहीं लगाना चाहिए.. आज जब विवेक घर पर आएंगे, उनका मनपसंद खाना खिलाकर उनसे माफी मांग लूंगी… सच ही तो है हर बार वह मुझे मनाते हैं… जबकि इसमें उनकी कोई गलती नहीं है… यह सब सोचते हुए अंजलि शाम का इंतजार करने लगती है…

शाम को विवेक को आने में देर हो रही थी कि, तभी अंजलि विवेक को फोन लगाती है… अंजलि:   हेलो कहां है आप..?

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 विवेक:   तुम जल्दी से दरवाजा खोलो… थक गया हूं मैं तुम्हारे रोज की किच-किच से… आज उसका हल निकाल लाया हूं..

 अंजलि घबराते हुए दरवाजा खोलती है तो विवेक के हाथों में एक लिफाफा देखकर उसका कलेजा मुंह को आ जाता है… वह सोचती है शायद आज विवेक मुझे तलाक दे ही देंगे… 

अंजलि:  यह क्या है और आप इतने गुस्से में क्यों है..?

 विवेक:   गुस्सा ना करूं तो और क्या करूं..? तुम्हारी वजह से आज मैं कितना परेशान हूं…

 अंजलि रोते हुए:   मुझे माफ कर दीजिए मुझे… मुझे मेरी गलती का एहसास हो गया है… अब मैं कभी आपसे हमारे हैसियत से आगे जाकर कुछ करने को नहीं कहूंगी… 

विवेक:   अरे रुको भाई.. यह सब क्या कहे चली जा रही हो..?

 अंजलि:   मैं जानती हूं आप मुझे तलाक देना चाहते हैं, इसलिए यह लिफाफा लेकर आए हैं तलाक का….

 विवेक:  तलाक..? हे भगवान… मेरे पल्ले ही ऐसी बीवी बांध आपने..? कितना एडवांस सोचती है..? अरे मैं तुमसे तलाक क्यों लेने लगा भला..? यह तो शिमला की टिकटे है और मैं परेशान इसलिए था क्योंकि अब मुझे एक नया जैकेट लेना पड़ेगा.. एक तो घूमने का खर्च ऊपर से यह एक खर्च और बढ़ गया… 

अंजलि:   क्या सच में आप मुझे तलाक देने का नहीं सोच रहे थे..?

 विवेक:   हां नहीं सोच रहा था, क्योंकि मैं अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता हूं… हां और उसके गुस्से वाली खामोशी मुझे बर्दाश्त नहीं होती.. इसलिए यह टिकट उसके लिए ले आया… थोड़ी किचकिच ज्यादा करती है… पर उसमें भी मेरी ही गलती है… मैं तो पूरे दिन बाहर रहता हूं… बेचारी पूरे दिन घर में अकेली… उसका भी तो बाहर घूमने का मन करता होगा…

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अंजलि विवेक से लिपटकर अपने आंसुओं को पोंछते हुए, आज खुद से एक वादा करती है… अब से वह अपनी जिंदगी में खुश रहेगी और जलन के चलते अपनी जीवन को प्रतियोगिता नहीं बनाएगी… जीवन एक अनोखी पहेली है जिसके हर भाग को वह खुशी से सुलझाएगी… 

दोस्तों… आजकल खुशी हो या दुख, हमें उसे जग जाहिर करना काफी अच्छा लगता है… हम कहीं भी चले जाए, उस माहौल को एंजॉय करने से पहले, बस फोटो लेने में खो जाते हैं… फोटोस यादो के लिए लेना जरूरी भी है… पर वही फोटो अगर फेसबुक और इंस्टाग्राम की जगह आपके घर के दीवारों पर होगी, तो हमारे अपनों को हमारी खुशियों के पल हर क्षण दिखेंगे… जिससे उन्हें आगे अपनी कठिनाइयों के समय में यही फोटो को देखकर उनके खुशियों के पल याद आएंगे और वह अपने चुनौती वाले दिनों में लड़ने की ताकत पाएंगे… कितने सहमत हैं आप मेरी बातों से अवश्य बताइएगा…

धन्यवाद 

मौलिक/स्वरचित/अप्रकाशित 

#जलन 

रोनिता कुंडू

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