छल – संगीता अग्रवाल: Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi :  हेल्लो जीजी कैसी है आप ?” देवकी ने अपनी ननद कमला को फोन किया और पूछा !

” सही हूँ भाभी आप बताओ !” कमला ने संक्षिप्त उत्तर दिया।

” क्या बात है कुछ परेशान लग रही हो सब ठीक तो है ना !” देवकी ने पूछा ।

” बस भाभी तुम तो जानती हो हम रीत की शादी की भागदौड़ मे लगे है हम चाहते है जल्द से जल्द उसका रिश्ता कर दे अट्ठाइस की हो गई है पर अब तक कोई रिश्ता ना मिला ढंग का जाने अच्छे लड़को का अकाल ही पड़ गया अच्छी खासी कमाऊ लड़की है फिर भी । जो रिश्ता पसंद आता है तो उनकी डिमांड इतनी होती है जो हमारे लिए मुमकिन नही होती  !” कमला बेबसी से बोली।

” हाँ जीजी सब जानती हूँ इसीलिए तो फोन किया है मेरे दूर के भाई का लड़का है तीस साल का उसकी भी शादी अभी नही हुई वो लोग भी परेशान है । कहने को अच्छी नौकरी घर बार सब है अगर आप कहे तो मैं बात चलाऊं ? और हाँ उन्हे दहेज़ भी नही चाहिए !” देवकी बोली।

” अरे भाभी नेकी और बूझ बूझ आप कीजिये ना बात अब लड़का आपका देखा भाला है अगर रिश्ता हो जाये ये तो हम भी गंगा नहाये !” कमला खुश होते हुए बोली ।

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चंद औपचारिक बातो के बाद दोनो तरफ से फोन रख दिया गया। देवकी ने अगले दिन ही फोन पर खबर दी की लड़के वाले रीत को देखना चाहते है क्योकि रिश्ता रीत की मामी ने बताया था तो सबको लगा सब देखभाला होगा तो ज्यादा छानबीन करना जरूरी नही समझा रीत के माता पिता ने ।

तय समय पर लड़के वाले आये और रीत को पसंद कर लिया रीत के माता पिता को भी लड़का अच्छा लगा और शादी पक्की हो गई। क्योकि लड़का देवकी का जानकार था इसलिए रीत के माता पिता ने कोई छानबीन भी नही की। लड़के वालों ने शादी भी जल्द से जल्द करने का जोर दिया और मात्र पंद्रह दिन बाद रीत मनुज की दुल्हन बन दिल्ली से कानपुर आ गई। रीत के माता पिता तो देवकी का शुक्रिया करते नही थक रहे थे जो वो रीत के लिए इतना अच्छा और दान दहेज़ रहित रिश्ता लाई।

शादी के बाद रीत भी खुश थी उसने अपनी कम्पनी मे नौकरी छोड़ने का आवेदन दिया था तो उन्होंने उसकी नौकरी कानपुर वाली ब्रांच मे शिफ्ट कर दी थी क्योकि वो रीत के काम से बहुत खुश थे। वैसे भी मनुज और उसके घर वालों ने भी यही कहा था कि शादी के बाद रीत अपनी नौकरी जारी रख सकती है जिसे सुन रीत और उसके घर वाले बहुत खुश हुए थे।

” मनुज आप नौकरी पर जाना कबसे शुरु करोगे ?” शादी के दस दिन बाद रीत ने पूछा।

” नौकरी …पर वो तो मैने छोड़ दी !” मनुज बोला।

” क्या !!! पर क्यो आपकी तो इतनी अच्छी नौकरी थी फिर क्यो छोड़ी ?” रीत हैरानी से बोली।

” मुझे नही करनी कोई नौकरी वोकरी मैं तो अपने काम के जुगाड़ मे लगा हूँ और तुम जाओ अपनी नौकरी पर बहुत छुटियां हो गई समझी !” मनुज बोला और बाहर निकल गया।

रीत को ऐसा लगा छली सी गई है वो फिर भी एक उम्मीद थी हो सकता है मनुज खुद का कोई बिज़नेस शुरु कर रहा हो । धीरे धीरे शादी को दो महीने हो गये पर मनुज ने ना कोई काम किया ना ही नौकरी।

” मांजी आप मनुज को समझाइये ना वो कोई नौकरी कर ले ऐसे कैसे चलेगा !” एक दिन रीत ने अपनी सास से कहा।

” देखो रीत ये तुम्हारा काम है हमने शादी कर दी अब तुम देखो सब !” सास ने ये बोल पल्ला झाड़ लिया।

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धीरे धीरे रीत को पता लगा मनुज दस बारह हजार की नौकरी करता था ना वो पढ़ा हुआ है ना उसकी जॉब अच्छी थी । सुनकर हैरान रह गई रीत उसकी मामी देवकी ने तो यही कहा था कि लड़का इंजीनियर है। मतलब उसकी मामी ने उसके साथ धोखा किया अपने निकम्मे भतीजे की शादी करवाने को उसकी बलि चढ़ाई गई । गुस्से और दुख के भाव लिए उसने अपनी माँ को सब बताने की सोची पर इससे पहले की वो अपने कमरे मे जा फोन करती बीच आंगन चक्कर खा गिर पड़ी ।

” मुबारक हो आप माँ बनने वाली है !” जब उसकी आँख खुली तो एक डॉक्टर सामने नजर आई ।

रीत को समझ नही आया वो इस बात की खुशी मनाये या मातम पर जो भी है एक औरत के लिए माँ बनना बहुत बड़ी खुशी होती है रीत के हाथ खुद बखूद अपने पेट पर चले गये। उसने फिलहाल अपने घर पर सब बताने का इरादा त्याग दिया और मनुज के आने का इंतज़ार करने लगी आखिर उसके लिए भी तो ये बड़ी खुशी है हो सकता है इससे उसमे कोई सुधार आये।

पर ये क्या ” चलो जल्दी खड़ी हो जाओ हमें इस बच्चे को अभी गिराना होगा !” कमरे मे कदम रखते ही मनुज बोला।

” क्या !! तुम्हारा दिमाग़ खराब है पहला बच्चा है ये हमारा उसे तुम गिराने की बात कर रहे हो मैं ऐसा बिल्कुल नही होने दूंगी !” रीत गुस्से मे दहाड़ी।

” देखो रीत अभी मेरे पास कोई काम नही हम सिर्फ तुम्हारी तनख्वाह मे घर का और बच्चे का बोझ नही उठा सकते !” रीत का गुस्सा देख मनुज नर्म आवाज मे बोला।

” तो तुम कोई नौकरी ढूंढ लो । धोखे से शादी तो कर चुके हो अब कम से कम बच्चे के बारे मे तो सोचो अपने !” रीत बोली।

लेकिन मनुज गर्भपात पर अडा था और रीत अपने बच्चे को जन्म देना चाहती थी। वो समझ नही पा रही थी मनुज क्यो जिद पर अडा है पर जल्द ही उसे मतलबी रिश्तो का नया रूप देखने को मिला।

” देखो मनुज और रीत हम लोग तुम लोगो की रोज की लड़ाई से तंग आ चुके बेहतर होगा तुम लोग कोई किराये का घर देख लो और वहाँ रहो !” एक दिन रीत के ससुर ने उन्हे बुलाकर कहा।

” पर पापा जी हम किराये के घर मे कैसे रहेंगे आपको तो पता है मनुज कुछ कमाते नही ऐसे मे मेरे अकेले की कमाई से घर खर्च ही चल जाये बहुत है ।” रीत बोली।

” देखो बहू हमने ठेका नही लिया तुम्हारे निकम्मे पति और तुम्हे पालने का कल को तुम्हारा बच्चा भी होगा तो उसकी जिम्मेदारी भी हम पर आ जाएगी बेहतर यही है तुम अपना खुद देखो हमने शादी कर दी हमारी जिम्मेदारी खत्म !” सास ने फैसला सुना दिया।

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” पर मांजी ये बच्चा आपका भी तो कुछ होगा ना और फिर मनुज कुछ काम नही करते इसमे मेरी क्या गलती मेरी तो खुद की शादी धोखे मे रख हुई है !” रीत भरी आँखों से बोली मतलबी रिश्तो का असली चेहरा देख हैरान हो गई वो क्यो एक माँ बाप अपने बिगड़े बेटे को सुधारने की उम्मीद बहू से करते क्यो ऐसे बेटों को शादी करा दी जाती जो अपने परिवार को संभाल नही सकते । मनुज ने भी अपने माँ बाप को समझाने की कोशिश की पर वो ट्स से मस ना हुए। मजबूरी मे रीत और मनुज को किराये के घर मे आना पड़ा क्योकि अभी रीत को सिर्फ अपने अजनमे बच्चे की फ़िक्र थी। रीत ने अपने दम पर किसी तरह अपनी गृहस्थी शुरु की सब धीरे धीरे पटरी पर आने की उम्मीद मे वो मनुज को समझाती भी रहती।

पर अभी रीत को मतलबी रिश्तो के ओर चेहरे देखने बाकी थे। रीत के गर्भ मे कुछ परेशानियाँ आई और डॉक्टर ने उसे बेड रेस्ट बोल दिया। मजबूरी मे रीत को नौकरी छोड़नी पड़ी। अब पैसो के आभाव मे घर के हालात बद से बदतर हो गये तो मजबूरी मे रीत ने सब अपनी माँ को बता दिया। जब रीत के भाई और पिता को उन्होंने सब बताया तो वो गुस्से मे रीत को उसके घर से ले गये।

” अब नौकरी तो वो करता था ना भले कैसी भी सही हमने सोचा था दोनो कमायेगे तो घर चल जायेगा ठीक से इसमे हमारी क्या गलती !” देवकी से जब शिकायत की गई तो उसने ये बोल पल्ला झाड़ लिया।

” पर भाभी आपको हमें बताना चाहिए था ना हमने तो आप पर भरोसा करके ही बिना छानबीन रिश्ता कर दिया था !” कमला बोली।

देवकी किसी भी तरह अपनी गलती मानने को तैयार ना थी रीत और उसके घर वालों को समझ आ गया था उनके साथ धोखा हुआ है । उन्होंने तलाक का केस दायर कर दिया कुछ समय बाद रीत को तलाक मिल भी गया जिस दिन उसे तलाक मिला उसके अगले दिन ही उसने एक बेटी को जन्म दिया। अपनी मामी द्वारा किये धोखे से रीत बहुत आहात है वो समझ गई उसकी शादी सिर्फ उसकी तनख्वाह के लिए मनुज से करवाई गई थी । इधर रीत के माता पिता यही सोचते है इससे तो उनकी बेटी अविवाहित ही सही थी कम से कम जो धोखा उसे मिला उसकी टीस तो ना होती।

दोस्तों हम अक्सर जान पहचान मे अपने बच्चो की शादी करते वक़्त ज्यादा छानबीन नही करते जो की सरासर गलत है इस मतलबी दुनिया मे मतलबी रिश्तेदार ही सबसे बड़ा छल करते है। ऐसा छल जिसकी टीस सारी जिंदगी दुख देती है।

आपकी दोस्त

संगीता अग्रवाल ( स्वरचित )

 

 

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