शंभू – हेलो नरेश ,,तूने कुछ सुना क्या भाई साहब को ड़ेंगू हो गया हैं ! वो अस्पताल में भर्ती हैं !
नरेश – क्या बोल रहे हैं भाई साहब आप ,,बड़क्के भाई साहब से कुछ दिन पहले तो मिलकर आया था ,,सब कुछ कुशल मंगल था ! भाई साहब भी स्वस्थ लग रहे थे ! ऐसी कोई बात थी तो हमें बताया क्यूँ नहीं ! भौजी ने भी फ़ोन नहीं किया !
शंभू – छोटे ,मैने तो हाल चाल के लिए समीर ( बड़े भाई साहब का बड़ा बेटा ) को फ़ोन किया ,तो उसने बताया पापा तो एडमिट हैं ! हमें भी आज ही पता चला !
नरेश – भाई साहब आपने ,,बाकी सबको तो खबर दे दी या मैं बताऊँ ! सभी लोग तुरंत पहुँचे वहाँ !
शंभू – हाँ छोटे ,,सब को खबर कर दी हैं ! मैं भी तेरी भौजी के साथ निकल रहा हूँ !
नरेश – ठीक हैं भाई साहब ,,मैं भी बस एक घंटे में निकल रहा !
विश्वनाथ जी 5 भाईयों और 2 बहनों में सबसे बड़े थे ! इंटर कोलेज में प्रधानाध्यापक थे ! पांचों भाईयों में अगाध प्रेम था ! सभी सरकारी नौकरी में ऊँचे ऊँचे पदों पर आसीन थे ! अपनी नौकरी वाले स्थान पर बीवी बच्चों के साथ रहते थे ! पर तीज त्योहारों पर य़ा मुसीबत के समय सब हाजिर हो जाते थे चाहे कहीं भी हो ! इस बात की मिसाल पूरा समाज देता था ! विश्वनाथ जी की पहली पत्नी को कैंसर हो गया ,जब उनके तीन बच्चें जिनकी उम्र मात्र 10 साल ( बेटी सुरभी ) ,6 साल का बेटा समीर ,4 साल का बेटा रवि था ! होनी को कौन टाल सकता था ! पत्नी श्री का देहांत हो गया ! विश्वनाथ जी बिल्कुल टूट गए थे ,,इतनी कच्ची गृहस्थी ,3 छोटे बच्चें ,सरकारी नौकरी इन सबको एक साथ संभालना उनके लिए काफी कठिन था ! परिवारजनों ,भाईयों के दबाव डालने पर उन्होने विमलेश जी से दूसरा विवाह किया ! विमलेश जी ने बच्चों, घर परिवार को बहुत अच्छे से संभाला ! कभी बच्चों को महसूस ही नहीं हुआ कि ये उनकी जन्मदात्री माँ नहीं हैं ! विमलेश जी ने एक बेटी को जन्म दिया ! घर परिवार ने बेटे के लिए खूब जोर लगाया ,,कि सौतेले बेटे हैं ,,एक बेटा कर लो ,,बेटी को कोई कुछ नहीं देता ,,कौन होगा तेरा वंश ! पर विमलेश जी टस से मस नहीं हुई ,,बोली – मेरे दो दो बेटे हैं ,,यहीं मेरा वंश चलायेंगे ! यहीं मेरी चिता को आग देंगे ! उनके फैसले के आगे सबको नतमस्तक होना पड़ा !
विश्वनाथ जी गांव में अपनी नौकरी करते रहे ,,विमलेश जी शहर में तीनों बच्चों को पढ़ाती रही ! कुल मिलाकर ज़िन्दगी ठीक चल रही थी ! सेवानिवृत्त होकर जब अपने शहर के मकान में आये तो बहुत ही भव्य स्वागत किया सभी परिवार जनों ,,भाईयों ,बेटा बहू ने मिलकर ,, ज़िसकी विश्वनाथ जी ने सपनों में भी कल्पना नहीं की थी ! बड़ा सा समारोह आयोजित किया गया था शहर के प्रतिष्ठित होटेल में ! सभी भाईयों ने मिलकर अपने बड़क्के भाई साहब द्वारा उनके लिए किये गए उपकारों को दिल खोलकर सबके सामने प्रस्तुत किया ! सभी की आँखें नम थी उस दिन ! विश्वनाथ जी ने सभी भाईयों, बेटों को अपनी बाहों में भींच लिया ,,और कंपकपाती आवाज में बोले ,,मेरी असली धरोहर ये हैं ,,जो अब मेरे कांधे से भी ऊँचे हो गए हैं ,,और इतनी समझदारी वाली बातें करने लगे हैं ! अरे भई ,62 की उम्र में हार्ट अटैक लाओगे क्या ! अभी तो शीला के साथ वर्ड टूर पर जाना हैं ,,तब तक जी लेने दो ! सभी ठहाके मार के हंसने लगे !
बेटे बहू नौकरी वाली जगह पर रहने लगे ! विश्वनाथ जी शीला जी के साथ अपने शहर के नए घर में !
सभी भाई खबर मिलते ही अस्पताल पहुँच गए ! विश्वनाथ जी से किसी को मिलने नहीं दिया जा रहा था ! डॉक्टर ने बताया उनका बुखार अभी तक टूटा नहीं हैं ,,जिस कारण प्लेट्लेट्स नहीं बढ़ पा रही ! उम्र भी 80 पार कर गयी थी !
शीला जी को देखते ही सभी भाई एक साथ बोल पड़े ! हमें क्यूँ नहीं बताया भौजी ! भाई साहब की तबियत इतनी खराब हैं ! सबकी आँखों में विश्वनाथ जी की ऐसी हालत देखकर आंसू छलक गए !
शीला जी – हम भी नहीं समझ पाये छोटे की हालत इतनी बिगड़ जायेगी ! बुखार पहले भी आ जाता था ,,ठीक हो जाते थे ! दो दिन से बुखार था ,दवाई ली ,फिर भी कम नहीं हुआ ! मैने कहा कहो तो नरेश ,शंभू ,देवेश ,लोकेश को बुला लूँ ! तुम्हे अच्छे अस्पताल में दिखा देंगे ! पर ज़िद्दी तो हमेशा से हैं ,,कहते हो जाऊँगा ठीक ,,क्यूँ सबको परेशान कर रही हैं ! सब नौकरी वाले हैं !
जब उल्टी शुरू हुई ,कुछ भी नहीं पच रहा था ,तब समीर को फ़ोन किया ! वह शाम को ही आ गया ! इन्हे एडमिट करा दिया ! तब से अभी तक आँखें भी नहीं खोली हैं छोटे ! शीला जी बताते बताते भावुक हो गयी !
समीर – चाचा जी ,,चाय पी लिजिये ,,घर से आयी हैं !
देवेश – अब तो तभी कुछ खायेंगे ,पीयेंगे जब भाई साहब हमें हँसते हुए बिल्कुल स्वस्थ दिखेंगे ! सभी भाईयों ने हामी भरी !
तुरंत अपने अच्छे सम्पर्क सूत्रों से सभी भाई विश्वनाथ जी को अच्छी से अच्छी सुविधा दिलाने में लग गए ! अगले दिन विश्वनाथ जी को बुखार नहीं आया ! उन्हे किवी ,पपीते के पत्ते का रस ,बकरी का दूध समय समय पर सब पिलाते रहे ! दो दिनों में ही विश्वनाथ जी की तबियत में सुधार हो गया ! सभी भाई उनके चारों तरफ खड़े थे !
विश्वनाथ जी – तुम सब मुझे ऐसे घूरकर क्यूँ देख रहे हो ! मुझे खा जाओगे क्या !
नरेश – हम इतने पराये हो गए भाई साहब कि आपकी तबियत इतनी बिगड़ गयी हमें बताया तक नहीं ! हम सब आपसे बहुत नाराज हैं !
विश्वनाथ जी – खामखां परेशान करता तुम्हे ,पुराना खून हैं ,,इतनी जल्दी बुलावा नहीं आयेगा मेरा ,,अभी तो अपने भतीजे ,भतीजी के ब्याह में लाठी लेकर नाचना भी तो हैं !
शंभू – अगर आपको कुछ हो जाता भाई साहब ,तो हम सब पूरे जीवन खुद को कभी माफ नहीं कर पाते !
देवेश – कितने पतले हो गए हैं आप ,,अब हमारे साथ गांव चलिये ,,सभी लोग कुछ दिन वहीं रहेंगे ,,आपको तंदरुस्त भी तो करना हैं !
लोकेश – देखिये ,समीर और रवि आपको ऐसी हालत में देखकर कैसे मुर्झा से गए हैं !
विश्वनाथ जी – अरे काहे को ,,इतनी छुट्टिय़ां खराब कर रहे हो तुम लोग ! मैं ठीक हूँ ,,और शीला हैं तो सही मेरी देखभाल के लिए ! जाओ अपनी अपनी नौकरी पर ! कोई दिक्कत होगी तो बता दूँगा ! समीर, रवि तुम अपने बाप को बुड्ढा समझते हो क्या ! खुश रहो ,मस्त रहो ,,मैं ठीक हूँ ! इतना कहते हुए विश्वनाथ जी खांसने लगे !
लोकेश – बहुत ज़िद दिखा ली भाई साहब आपने ,,अब हमारी चलेगी ,,चलिये चुपचाप गांव ! सब गांव वाले आपको देखना चाहते हैं !
विश्वनाथ जी – अब मेरी क्या मजाल तुम लोगों के आगे कुछ बोलने की ! चलो ले चलो गांव !
विश्वनाथ जी सभी भाईयों के साथ गांव आ गए ! कुछ दिन वहाँ रहे ! बिल्कुल स्वस्थ हो गए ! गांव वाले भी उनका और भाईयों का प्यार देखकर कह देते ,,भई आज के ज़माने में ,,जब भाई भाई का गला काट रहा हैं ! ऐसा प्यार भाईयों में होना कोई चमत्कार ही हैं ! ईश्वर सभी को ऐसे ही भाई दे !
#अपने_तो_अपने_होते_हैं
स्वरचित
मौलिक अप्रकाशित
मीनाक्षी सिंह
आगरा