बेटी का घर-मुकेश कुमार

मेरे पति  सेना में नौकरी करते थे इसलिए इनकी ट्रांसफर हर 3 साल पर भारत के किसी न किसी शहर में होती रहती थी इस बार इनका ट्रांसफर आगरा में हुआ था.  इसके पहले हम लोग मुरादाबाद रहते थे. आगरा शिफ्ट होने से पहले मैं और मेरे पति अरविंद हम दोनों ने सोचा कि पहले आगरा जाकर एक फ्लैट ढूंढ लेते हैं उसके बाद सीधे ही मुरादाबाद से अपना सारा सामान शिफ्ट करके उसी घर में रह लेंगे.

आगरा में हम कई प्रॉपर्टी डीलर से मिले लेकिन कोई भी घर हमें पसंद नहीं आ रहा था।  तभी प्रॉपर्टी डीलर ने बोला एक घर है वह मैं आपको दिलवा सकता हूं लेकिन उसका किराया थोड़ा ज्यादा होगा।  हमने प्रॉपर्टी डीलर से बोला ठीक है घर तो दिखाओ हमें। प्रॉपर्टी डीलर ने हमें शहर से थोड़ी दूर एक घर के पास ले गया . घर क्या उसे हम फार्म हाउस कहे तो ही अच्छा है।  हम जैसे ही घर के चारदीवारी में प्रवेश किया वहां पर 50 से 55 साल की एक महिला फूलों को पानी दे रही थी।

प्रॉपर्टी डीलर ने उस महिला को नमस्कार किया और हमारे बारे में बताया कि  यह आपका घर किराए पर लेने के लिए आए हैं। यह मिस्टर अरविंद हैं, सेना में नौकरी करते हैं।  घर देखने में बहुत ही सुंदर था चारों तरफ बाग था सुंदर क्यारियों और गमलों में महकते हुए रंग-बिरंगे फूल लगे हुए थे।



आंटी को हमने कुछ रुपए एडवांस देकर चले गए और कुछ दिनों बाद मुरादाबाद से इस घर में शिफ्ट शिफ्ट हो गए।  मेरे पति जब ऑफिस चले जाते थे तो मै बिल्कुल ही अकेले हो जाती थी तो मैंने अपने फ्लैट से उतर कर नीचे आ जाती थी और आंटी से बातचीत करना शुरू कर लग जाती थी।

धीरे-धीरे मेरी आंटी से अच्छी खासी दोस्ती हो गई थी आंटी वैसे तो 50-55 से कम कि नहीं थी।  लेकिन देखने में 35 और 40 की लगती थी। अपने आप को बिल्कुल ही फिट रखा हुआ था इसका कारण यह भी था आंटी अपने जमाने की बहुत अच्छी डांसर थीं और अपने इस घर के अंडर ग्राउंड में डांस क्लास चलाती थीं।

आंटी के  हसबैंड नहीं थे उनका मृत्यु बहुत पहले ही हो चुका था आंटी की सिर्फ दो बेटियां थी बड़ी बेटी की शादी उन्होंने अभी तय  कर रखा था जो इसी साल मई में होने वाला था।

एक दिन सुबह जब मैं सोकर उठी और अपनी बालकनी में बाहर निकली तो देखा कि बाहर कई राजमिस्त्री आए हुए हैं और गड्ढे खोद रहे हैं मैंने आंटी से पूछा कि यह क्या हो रहा है तो उन्होंने बताया कि बेटी एक छोटा सा घर बनवा रही हूं.

मैं यही सोच रही थी कि आंटी को अब घर बनाने की क्या जरूरत है इतना बड़ा सा घर है ऊपर भी  है जिसमें मैं किराए पर रहती हूं और फिर बेटियों की शादी हो जाएगी तो यह भी अपने घर चले जाएंगी। .   दोपहर में जब आंटी मिली तो तो मैंने आंटी से पूछा कि आंटी आपको घर बनाने की क्या जरूरत आन पड़ी.

आंटी ने तुरंत जवाब दिया यह घर मैं अपनी बड़ी बेटी के लिए बना रही हूं और उसकी शादी में मैं उसे गिफ्ट करूंगी।



बेटी को लोग ज्यादा से ज्यादा दहेज दे देते हैं और एक से एक गिफ्ट देते हैं लेकिन मैंने पहली बार बेटी को घर गिफ्ट देते हुए सुना था।  मैंने आंटी से आखिर पूछ ही लिया कि आंटी आपसे एक बात पूछूं इस दुनिया में हर कोई अपने बेटे के लिए घर बनाता है लेकिन आप पहली महिला है जो अपने बेटी के लिए घर बनवा रही हैं आखिर आप ऐसा क्यों सोच कर बनवा रही हैं बेटी तो अपने ससुराल में रहेगी इस घर  को बनाने का क्या फायदा।

आंटी ने जवाब दिया जरूरत है बेटी क्योंकि बेटी का कोई घर नहीं होता है मायके में लड़कियों को कहा जाता है कि लड़कियां पराया धन है और ससुराल में पति का घर कहा जाता है ना कि उसका खुद का घर इसलिए मैं अपनी बेटी को एक घर  गिफ्ट करना चाहती हूं जिस पर सिर्फ और सिर्फ मेरी बेटी का हक हो।

आंटी ने बताया कि मैं अपनी बेटी को घर गिफ्ट करने का फैसला कब लिया था।   जब तुम्हारे अंकल का डेथ हो गया था उस वक्त मैं बेहद ही अकेली पड़ गई थी घर में वह कमाने वाले अकेले थे।  उनसे छोटे मेरे दो देवर थे लेकिन कुछ दिनों के बाद उनकी भी शादी हो गई उसके बाद वह खुद अलग रहने लगे फिर मुझे समझ नहीं आया कि मैं क्या करूं कहां से घर का किराया चुकाऊँ क्योंकि वह घर किराए का था और जब दोनों देवर  अलग रहने लगे तो उस घर का किराया का भार मेरे ऊपर आ गया। मैं वह घर छोड़कर अपने दोनों बच्चियों को लेकर अपने मायके आ गई। जब तक मेरे मां बाबूजी जिंदा रहे तब तक तो मायके में कोई दिक्कत नहीं हुआ लेकिन मां और बाबू जी के गुजरते हैं।  भाभी ताने कसना शुरू कर दी। फिर मैंने खुद से ही जॉब करने को सोचा एक स्कूल में डांस टीचर की नौकरी ज्वाइन कर ली और मैंने एक किराए का घर लेकर मायके का घर छोड़ दिया। धीरे-धीरे मैं डांस का ट्यूशन अपने घर पर भी देना शुरू कर दिया।  फिर बच्चे बहुत सारे आने लगे फिर मैंने स्कूल में डांस सिखाना छोड़ घर पर ही डांस सिखाने लगी।

कुछ पैसे इकट्ठे कर थोड़े दिनों बाद मैंने यह घर खरीदा।  और उसी दिन मैंने यह भी फैसला किया कि मैं अपने बेटियों के लिए भी घर बनाऊंगी और उनको दहेज में घर भी जरूर गिफ्ट करूंगी।  अगर खुदा न करे कुछ उनके साथ बुरा हो जाए तो कम से कम उनके पास अपना घर तो होगा जहां पर वह आकर सुकून से रह सकेंगी।

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