बडा़ घर – डाॅ उर्मिला सिन्हा : Moral Stories in Hindi

आजकल रति और उसका पूरा परिवार  खुशियों के समुंदर में गोते लगा रहा है। जमीन पर पाँव नहीं टिकते… आकाश छूने को बेताब हैं। 

  भला हो भी क्यों नहीं साधारण परिवार जिसमें पाँच -पाँच कन्याएं… देखने में सुंदर, गोरी चिट्टी ,काम-काज में होशियार लेकिन पिता के पास दहेज की पोटली नहीं …वैसे में बडी़ लड़की का विवाह  पैसे वाले के घर में बिना किसी दान-दहेज के तय हो जाना  बहुत बड़ी बात थी। 

  “रति हमें भूल न जाना… सुना है तेरे ससुराल वाले बड़ी अमीर हैं “सहेलियां चुटकी लेती। 

   “तंग मत करो तुमलोग “रति उन्हें झिड़कती  लेकिन मन ही मन लड्डू फूट रहे होते। 

“लड़के को देखा, कहाँ नौकरी करता है, कैसा है “पहचान वाले जानने को उत्सुक थे। 

  हर दुसरे तीसरे दिन कोई न कोई उपहार रति के होनेवाले ससुराल से किसी न किसी के हाथों आता। 

  बड़े घर की चाहत और विवाह कराने वाले अगुए की सब्ज बाग दिखाने का असर रति और उसके माता-पिता पर ऐसा चढा़ कि उन्होंने अपनी ओर से छानबीन करना उचित नहीं समझा। 

   बेटी ब्याहें गंगा नहाये… इसी मानसिकता का बोलबाला था। अपनी ओर से भी लड़के और परिवार के शील-स्वभाव का लोगों से बढा़-चढा़कर वर्णन किया जाता। जबकि सच्चाई कुछ और थी …न किसी ने लड़के को देखा और न घर-परिवार की कोई जानकारी जुटाई… बस मुंगेरी लाल के हसीन सपने में खोये थे। 

 इसी बीच किसी काम से रति के मामा आये… बहन से पूछा, “लड़के को देखा… घर-परिवार पता लगाया। “

“पता क्या करना है मेरी रिश्ते की ननद ने बताया तो सब ठीक ही होगा।”

कहने को रति की मां कह गई लेकिन हृदय व्याकुल हो उठा… ननद को फोन लगाया, “दीदी एकबार हमें लड़के और उसके घर वालों से तो मिलवाओ… लड़का लड़की भी एक-दूसरे को देख समझ लें… अच्छा रहता। “

सुनते ही ननद भड़क गई, “तुम्हें हम पर विश्वास नहीं है… बता रही हूं  न… बड़े व्यापारी हैं… लड़का भी बिजनेस करता है… बस उन्हें सुंदर संस्कारी लड़की चाहिये… पांच-पांच बेटियां हैं  तुम्हारी, गाँठ में धेला नहीं.. .!”

“दीदी, लेकिन एकबार मिल तो लेते! “रति की मां सशंकित हो गई। 

“मिल लो, उन्हें मुझपर भरोसा है तुम्हें या नहीं… जाओ जाकर छानबीन करो… अगर गड़बड़ हुआ तब मुझे कुछ मत कहना”ननद रानी ने फोन रख दिया। 

अब रति के माता-पिता, मामा सोच में पड़़ गये, “दाल में कुछ काला तो नहीं। “

“बहन चिंता मत करो… मैं गुप्त रुप से पता लगाऊंगा”रति के मामा ने आश्वस्त किया। 

   जब सच्चाई सामने आई तब रति और उसके माता-पिता ने सिर पीट लिया, “इतना बड़ा धोखा सिर्फ इसलिए कि  हम गरीब हैं …मेरी पाँच बेटियां हैं… सगी बनकर रिश्ते की बहन का ऐसा कुचक्र। “

  “ईश्वर का धन्यवाद करो  कि समय रहते  पता चल गया नहीं तो ऐसे अपराधी कुकर्मी के यहाँ विवाह कर सिर धुनने के अलावा कुछ न बचता।”मामा ने समझाया। 

दर असल वह रिश्ते की बहन वैसे अपराधी गिरोह के संपर्क में थी जो गरीब लाचार घर की लड़कियों के बड़े पैसे वाले घरों में शादी का लालच देकर उन्हें पहले फंसाती थी  फिर बिजनेस के बहाने वहां से फरार होकर लड़की को अन्यत्र बेंच देते थे… लड़की को इतना शारीरिक मानसिक यातना देते कि वह  विरोध करने की हिम्मत नहीं कर पाती थी। 

   “ना ऐसे  नहीं चलेगा… मैं नहीं फंसा तब दुसरे को फंसायेंगे।”

   रति के मामा और पिता ने सबूतों के साथ क्राइम ब्रांच में कंप्लेन किया… फलतः सभी पकड़े गये। 

 अखबार टी वी में खबरें आने लगी। समाज के जागरुक लोग आगे आये… देख-सुनकर पांचों बहनों का अच्छे घरों में रिश्ता हुआ। 

   उधर फर्जी अपराधी मानसिकता वाले जेल के सलाखों के पीछे पहुँच गये। 

 “दाल में कुछ काला नहीं… पूरी दाल ही काली थी”कहकर लोग हंस पड़ते ।

सर्वाधिकार सुरक्षित मौलिक रचना -डाॅ उर्मिला सिन्हा©®

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