नेचुरल हैं – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

जब से मेरे काले-घने, नागिन-से लहराते बाल सफ़ेद होने लगे, मेरी सहेलियाँ और हितैषियों ने अपने सलाह- मशवरों का पुलिंदा ही खोल दिया था। कोई कहता मेंहदी लगा तो कोई हेयर डाई का नाम बताता।कोई लोहे का तवा देने को तैयार हो जाता तो कोई आँवला-त्रिफला की विशेषता गिनाने लगता। एक ने तो यहाँ तक … Read more

अपनी ज़िम्मेदारी समझो – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 ” ए जी.. सुनते हैं..साक्षी आज फिर कोचिंग से अंधेरा होने पर लौटी है।मुझे तो लगता है कि ज़रूर उसका कोई..।” कांता की बात पूरी होने से पहले ही उसके पति महेश बोल पड़े,” अब चुप भी करो…।कल तक मिसेज़ कुलकर्णी की ननद के बारे में # विष उगल रही थी और आज मिसेज़ चंद्रा … Read more

छोटू – विभा गुप्ता  : Moral Stories in Hindi

एक समय था जब हम सभी को नानी का घर स्वर्ग के समान लगता था।नाना-नानी की गोद में बैठकर कहानियाँ सुनने और मामा-मामी से छोटी-छोटी चीज़ों के लिये ज़िद करने में एक अलग ही आनंद आता था।        चार भाई-बहनों में मेरी माँ सबसे बड़ी थीं, इसलिये  ननिहाल में मैं सबका लाडला था।तीन साल तक तो … Read more

अति विश्वास भी ठीक नहीं – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 ” मालती..ज़रा अपनी बेटी पर ध्यान दो..सुना है, कल रात वो सात बजे घर लौटी थी… इतनी देर तक भला कौन-सा स्कूल खुला रहता है।कहीं ऐसा न हो कि तुम्हारी साख पर #बट्टा लग जाये और तुम देखती रह जाओ…। ” मालती अपनी बेटी काव्या को गेट तक छोड़ने के लिये जैसे ही निकली तो … Read more

नई सुबह – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

    ” ममता…ज़रा मेरी पीठ खुजला दे…।”       ” अभी आई…।” कहकर ममता शकुंतला जी की तरफ़ बढ़ी ही थी कि शीलप्रभा जी ने उसे आवाज़ दे दी,” ममता बहन..मेरी चोटी तो बना दे..।”       ” अभी आई शील दीदी..।” कहते हुए ममता  शकुंतला जी पीठ खुजलाकर शीलप्रभा जी के बिस्तर पर बैठकर उनकी चोटी बनाने लगी।तभी पास … Read more

बिगड़ते रिश्ते को हवा मत दो – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

  ” आपने ठीक किया माँ जो भाभी को डाँट दिया।खुद तो खाली हाथ आईं हैं.., ऊपर से प्लेटें-बाउलें तोड़कर आपके मँहगे-मँहगे सेट भी खराब करती रहतीं हैं।भाभी का यही हाल रहा तो माँ..।”  ” चुप करो मानसी…। तुम्हारी माँ को तो बहू को डाँटने के लिये बहाना चाहिये,कम से कम तुम तो #आग में घी … Read more

आँखों पर पड़ा पर्दा – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

  ” महारानी को घर आने की फुर्सत मिल गई..मैं पहले से ही जानती थी कि तू पढ़ाई के बहाने कहीं नैन-मटक्का करने जाती है..स्कूल से कोई इस समय घर लौटता है क्या?” घड़ी की सुई पाँच पर टिकते देख लाजवंती रेखा पर चिल्लाई।    ” वो चाची…।” रेखा को बोलते देख घनश्याम ने उसे चुपचाप अंदर … Read more

ड्रेसिंग टेबल – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

    हमारे समय में हर पिता अपनी बेटी को विवाह में पलंग, डाइनिंग टेबल, सोफ़ासेट, टीवी, फ़्रिज के साथ एक ड्रेसिंग टेबल देकर ही ससुराल विदा करते थें।मैंने अपनी तीन बड़ी बहनों की शादी देखी थी।बड़ी दीदी को एक शीशे वाला आदमकद ड्रेसिंग टेबल मिला।मंझली दीदी को डबल शीशे वाला(फ़ोल्डिंग) ड्रेसिंग टेबल और नमिता दी के … Read more

परिवार की कद्र – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

  ” निशि..रोज तो तुम्हारा अपनी पड़ोसिनों के साथ ही उठना-बैठना होता है..अभी तो माँ-पापा जी के पास बैठो…उनसे बातें करो..।” आनंद निशि पर चिल्लाया।तब निशि भी उसी लहज़े में बोली,” तुम्हारे माँ-पिताजी तो चार दिन रहकर चले जायेंगे…काम तो मेरे पड़ोसी ही आयेंगे ना..।”   ” पड़ोसी ही काम…तुम्हारा दिमाग तो ठीक..।” बात बढ़ती देख आनंद … Read more

रिश्ता हो तो ऐसा – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 ” क्या सीमा…दो बच्चों के बाद फिर से…इतने तो उपाय हैं..अपनाया नहीं..पढ़-लिखकर भी गँवार ही रही…हा-हा..।” कहते हुए शिल्पी अपनी ननद का उपहास करने लगी।तब उसकी सास बोली,” छोटी बहू..बच्चे तो भगवान की देन है…सीमा फिर से माँ बनने वाली है..ये तो खुशी की बात है..आशीर्वाद देने की बजाय तुम इसकी हँसी उड़ा रही हो..ये … Read more

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