अमूल्य सहारा – शुभ्रा बैनर्जी
आज प्राची को दादा -दादी के आशीर्वाद की महिमा ज्ञात हुई।दोनों हांथ जोड़कर आसमान की ओर देखकर दिल से प्रणाम किया उसने दोनों को।बचपन से ही बहुत लाड़ली थी वो दोनों की।दादाजी की गोद में टंगकर कहां – कहां नहीं घूमी थी।चलना सीख जाने पर दादाजी की उंगली पकड़ कर हर जगह जाती थी वो,चाहे … Read more