अमूल्य सहारा – शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : आज प्राची को दादा -दादी के आशीर्वाद की महिमा ज्ञात हुई।दोनों हांथ जोड़कर आसमान की ओर देखकर दिल से प्रणाम किया उसने दोनों को।बचपन से ही बहुत लाड़ली थी वो दोनों की।दादाजी की गोद में टंगकर कहां – कहां नहीं घूमी थी। चलना सीख जाने पर दादाजी की उंगली पकड़ … Read more

अनोखी सीख – शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : मृदुला विद्यालय से आते ही हांथ में टॉफी लेकर दादी के कमरे में गई,।दादी को टॉफियां बहुत पसंद थीं ।बीमारी की वज़ह से घर पर कुछ भी मीठा खाने से मनाही थी,।दादी अक्सर कहती मृदुला से”तेरे दादाजी रोज़ ऑफिस से आते समय मेरे लिए टॉफी , चॉकलेट या कुछ मिठाई … Read more

तीर्थ यात्रा – शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : ममता आज भी अपने बचपन की यादों को सहेजे रखी थी। यद्यपि सारी सुख सुविधाएं उपलब्ध नहीं थीं उस समय,पर जितना भी मिला बहुत था।तब आज-कल के जैसे बड़े-बड़े सपने नहीं देखतीं थीं आंखें। संयुक्त परिवार में खुशियों के हर लम्हों को सभी के साथ बांट लेने का चलन था। … Read more

मां का ससुराल- शुभ्रा बैनर्जी  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : शुभि अब डरने लगी थी अपनी बेटी से।अपनी मां के प्रति होने वाले हर अन्याय का पुरजोर प्रतिरोध करने लगी थी वह।परिवार में किसी भी सदस्य के द्वारा मां का अपमान उसने भी प्रतिकार से देना शुरू कर दिया था।शुभि सोचती कभी -कभी”हे भगवान!किस मिट्टी से बनाया है तुमने इसे।इतनी … Read more

बड़ी मां – शुभ्रा बैनर्जी  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : संभ्रांत परिवार की बड़ी मां थीं,सुलोचना जी। पुश्तैनी हवेली,खानदानी रईस और समाज में ऊंचा रुतबा।चौधरी खानदान की बहू रानी अब बड़ी मां के नाम से जानी जातीं थीं।पति के गुज़र जाने के बाद से ,पूरे घर व आम के पुश्तैनी व्यापार की देखभाल मनोयोग से करतीं थीं वह।बेटे और बेटी … Read more

अधिकार छोड़ने का सुख- शुभ्रा बैनर्जी   : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : नौ महीने कोख में बच्चे को रखकर दूसरी मांओं की तरह सुधा भी,दिवाकर जी से हमेशा कहती “तुम पिता हो ना‌,हर समय बच्चों पर अधिकार जताते हैं।मैंने कितनी तकलीफ़ सहकर जन्म दिया है,मेरा अधिकार उन पर तुमसे ज्यादा है।”हर बार दिवाकर जी हंसकर ताना देते”ठीक है भई,मैं अपने अधिकार भी … Read more

नाम ही कहां,जो डुबाऊंगी – शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : शांति रोती हुई काम पर आई सुबह-सुबह।मैंने पूछा “क्या हुआ? सुबह-सुबह रो रही है।फिर पति से झगड़ा हुआ क्या?” “नहीं दीदी,आप लोगों की कॉलोनी में सभी बड़े और इज्जत दार लोग रहतें हैं।प्रमिला दीदी ने मुझे काम से निकाल दिया।उनकी देखा देखी और लोग भी मना कर देंगें।कैसे खर्चा चला‌ … Read more

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रिटायरमेंट – शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : सुधीर जी रिटायर होने वाले थे अगले महीने।पत्नी रमा अत्यंत सुलझी हुई और व्यवहारिक महिला थीं। अन्य मांओं की तरह बच्चों पर अतिरिक्त मोह कभी नहीं दिखाया उन्होंने। रिटायरमेंट के पहले तीनों बेटों की पढ़ाई और शादियों की जिम्मेदारी से निपट चुके सुधीर जी सीना फुलाकर कहते”देखो रमा,बहुत कर ली … Read more

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तीसरी पारी – शुभ्रा बैनर्जी : Short Moral Stories in Hindi

Short Moral Stories in Hindi : बहुत अनोखा है ईश्वर के न्याय का अंदाज।कल तक औरों को यही कहकर हौसला देती थी प्रभा कि धीरज धरना सीखो,ईश्वर के घर देर है अंधेर नहीं।आज लगभग तीन साल के बाद , यूनिफार्म वाला क्रीम रंग का कोट पहने ऑटो में बैठकर फिर से स्कूल जा रही थी … Read more

मृग मरीचिका – शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : कोलकाता में अपनी मौसी के पास रहकर पढ़ाई करने आया था, सिद्धांत। मौसा जी का पुश्तैनी मकान था श्याम बाजार में। उनके दोनों बच्चे विदेश में निवास करते थे। उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था, तो  मौसी ने मां से सिद्धांत को अपने यहां रहकर पढ़ने देने की वकालत … Read more

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