मासूम फूलों को संभालिये – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi
वो अपनी तकलीफ किसी को नही बताती बस अकेले में घुटती जाती थी। धीरे धीरे उसे खुद से घृणा होने लगी अपने जिस्म पर उसे चींटियां सी रेंगती नजर आती और वो पागलों की तरह स्नानघर में घुसकर नहाने लगती मानो वो चींटियां हटा रही हो। ” क्या बात है तृषा बहुत दिनो में देख … Read more