कलयुग नही मतलबी युग चल रहा है – संगीता अग्रवाल

“बेटा तुम्हारी माँ की तबियत सही नहीं है वो हर पल तुम्हे याद करती हैं एक बार तुम आ जाओ गांव वैसे भी दो साल हो गए तुम्हे यहां आए हुए !” हरिहरण जी अपने बेटे सोमेश से फोन पर बोले। “ओहो बाबूजी मां की तबियत खराब है तो उन्हें डॉक्टरको दिखाओ मेरे आने से … Read more

धन्य है तू भारत की नारी- संगीता अग्रवाल

” क्या हुआ प्रीतो तू यहां अंधेरे मे क्या कर रही है ?” रंजीत अपनी पत्नी के पास आ बोला। ” कुछ नही वो मैं बस यूँही !” प्रीति जिसे रंजीत प्यार से प्रीतो बोलता था वो नज़रे चुराती हुई बोली। ” तू रो रही है प्रीतो एक सच्चे सिपाही की बीवी होकर ऐसे रोना … Read more

दिल से बंधा खूबसूरत रिश्ता – संगीता अग्रवाल

“मिताली अगले हफ्ते राखी है तो दीदी आ रही हैं राखी लेकर एक दिन पहले बोल रही थी रात को रुककर राखी वाले दिन सुबह निकल जाएंगी उनकी नन्दों को भी आना है ना इसलिए !” मिताली के पति चेतन ने ऑफिस से आकर कहा। “हम्म …हां कुछ कहा क्या आपने?” मिताली जो कहीं खोई … Read more

वो बदनाम गलियां – संगीता अग्रवाल

क्या ये बदनाम गलियां ही अब मेरा मुकदर होंगी… क्या मैं कभी खुल कर नही जी पाऊंगी….क्या मुझे यहीं घुट घुट कर जीना पड़ेगा । मेरा नाम मेरी पहचान मेरा वजूद सब खो जायेगा..,? कांता बाई के कोठे के अंधेरे कमरे में पड़ी सत्रह साल की वैशाली ये सब सोच रही थी। वो जितना इस … Read more

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