मेरा मकान तेरा घर  : hindi stories with moral

hindi stories with moral : अरे वाह…. तेरा तबादला इसी शहर में हो गया है…जब मुझे पता चला , तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा ….!  तेरे तबादले से मैं बहुत खुश हूं विशाल ….अच्छा बता कब आ रहा है मेरे घर ….भाभी को लेकर आना….. चल फिर मिलते हैं कह कर समीर ने … Read more

मुझे नेग नहीं चाहिए – संध्या त्रिपाठी : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : वाह ….बस अब दिवाली के बाद दीदी की शादी …..मजा आ जाएगा ….मां.. मैं तो जूते चुराने के नेग में पूरे.. ₹21000 लूंगी जीजा जी से….. सुहानी ने मन ही मन ना जाने कितने सपने सजाए थे अपनी बड़ी दीदी रूहानी के शादी के लिए……। और हो भी क्यों ना … Read more

कीमती साड़ी – संध्या त्रिपाठी  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi :  अरे मैडम…. आप पैसे की चिंता क्यों करती हैं.. ?  आपके पास तो दो-दो ए टी एम है…. दुकानदार 15000 से कम कीमत की साड़ी दिखा ही नहीं रहा था.. वो जान चुका था आज मोटा ग्राहक फंसा है …महिला के साथ उसके पति और कमाऊ बेटा आए हैं.. जो … Read more

अपशगुन – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : सॉरी दीदी……सॉरी .. …सॉरी …सॉरी कहते कहते अलका ने जेठानी आभा की साड़ी पकड़कर हाथ से मसलते हुए….. लगी एक छोटी सी चिंगारी को बुझाने की कोशिश की…..! दरअसल तीज पूजा करते समय तीनों देवरानी जेठानी पास पास बैठी थी….. पंडित जी के कहने पर अगरबत्ती जला कर…. उसके लौ … Read more

लक्ष्मण रेखा – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi :   मम्मी आज आप पल्लू में पिनअप मत करिए….  फ्री पल्ला लीजिए …सच में इस साड़ी में बहुत अच्छा लगेगा …बहू आरना ने सासू मां नव्या से कहा…! सच में मम्मी , जब आप तैयार होती है ना तो बहुत स्मार्ट और सुंदर लगती हैं… मुझे पहले इतना सजने संवरने का … Read more

मंथन – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi :   आंटी जी… प्लीज …अभी नव्या यहां नहीं है अपना पक्ष रखने के लिए …तो हम लोग उसके आचरण का  ” मंथन ” करके उसके बारे में कोई गलत धारणा ना बनाएं ..तो अच्छा रहेगा..! सॉरी आंटी जी यदि मैंने कुछ गलत कह दिया हो तो….           स्वरा के बेबाकी पूर्ण जवाब … Read more

सोच – संध्या त्रिपाठी  : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : बस का इंतजार करते लगभग एक घंटा बीत गया.. कोई भी बस गंतव्य की ओर जाने को तैयार ही नहीं , शायद समय ही गलत निर्धारित हो गया था घर लौटने का, …रात बढ़ती जा रही थी मन में भय , अकेले होने का एहसास और सबसे बड़ी बात महिला … Read more

अस्तित्व की लड़ाई – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : अरे नीति तुम ???  नजर पड़ते ही सीमा ने पूछा…बस कल ही पहुंची हूँ आंटी…!! नीति सीमा के मुहल्ले में रहने वाली शर्मा परिवार के दूसरे नंबर की बिटिया है… शर्मा जी के दो बेटे और दो बेटियाँ है…I बड़ी बेटी प्रीति की शादी संपन्न परिवार में हुई थी… शादी … Read more

अनकहे जवाब – संध्या त्रिपाठी : short story with moral

Moral Stories in Hindi : बाप रे ठंडी में इतनी सुबह-सुबह ….पालक , बैगन , टमाटर …ले लो ….मैं अभी बिस्तर से उठी भी नहीं हूँ और वह दूर गाँव से आकर सब्जी भी बेचने लगी…! बिस्तर पर लेटे-लेटे तेजस्वी के कानों में सब्जी बेचने वाली की आवाज सुनाई दी …चलो उठ ही गई हूँ … Read more

सुकून भरा सफर – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : अरे मम्मी , फ्लाइट में टिकट क्यों नहीं कराया..  ट्रेन में कितना समय लगेगा जानती भी हो..? कंजूस कहीं की..!  ट्रेन का टिकट कंफर्म होते ही सुमेधा ने बेटी स्वर्णा को जानकारी दी थी , बेटी का जवाब सुनते ही सुमेधा बोली …..           अरे हमारे पास तेरे पापा के रिटायरमेंट … Read more

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