जनक – रवीद्र कान्त त्यागी : Moral Stories in Hindi

New Project 57

दरवाजे की घंटी बजी. प्रातः काल के दैनिक कार्यों में व्यस्त सौम्या ने अपने बेतरतीबी से बिखरे बालों को रबरबैंड में बंधा और दरवाजा खोल दिया. एक अत्यंत साधारण कुरता पायजामा पहने हुए ग्रामीण सा व्यक्ति दरवाजे पर खड़ा था. सौम्या ने प्रश्नसूचक निगाहों से उसकी तरफ देखा. अजनबी ने कहा “तुम… आप सौम्या हैं.” … Read more

विलगाव – रवीन्द्र कान्त त्यागी : Moral stories in hindi

New Project 60

डैप्युटी कमिश्नर ऑफ पुलिस मिष्टर सत्यकाम दुबे घर के दरवाजे पर दस्तक देने ही वाले थे कि उन्हे भीतर से किसी पुरुष के फुसफुसाने के स्वर सुनाई दिये। उनका पुलिसिया दिमाग तुरंत सचेत हो गया और उन्होने कोट की जेब में पड़ी पिष्टल हाथ में ले ली। दरवाजे को ज़ोर का धक्का दिया तो सरकारी … Read more

इन दीवारों के कान नहीं हैं – रवीन्द्र कान्त त्यागी   : Moral stories in hindi

New Project 86

लाहौल विला कुव्वत. अरे बेगम, ये गुसलखाने में उबलता पानी क्यों रख दिया. मुझे नहलाना है या पकाना है. अरे सुनती हो, नलके से थोड़ा ठंडा पानी लाकर मिला दो. हमने कपडे उतार दिए हैं. बहार नहीं आ सकते. खलील मियां बाथरूम से चिल्लाये. “अरे कहाँ मर गईं नसीमन की खला. यहाँ हम ठण्ड से … Read more

माँ – रवीन्द्र कान्त त्यागी  : Moral stories in hindi

New Project 35

Moral stories in hindi  : एस.डी.एम्. सक्सेना कलेक्टर साहब के साथ किसी महत्वपूर्ण मीटिंग में व्यस्त थे कि उनका असिस्टेंट धड़ल्ले से सीधा अंदर घुसा चला आया. सभी ने रोषपूर्ण निगाह से उसकी और देखा तो उसने कातर निगाहों से उसने कहा “सर, फोन है. घर से. कोई घटना हुई है. मेम साहब रो रही … Read more

राहजन – रवीन्द्र कान्त त्यागी : Moral stories in hindi

New Project 56

Moral stories in hindi : एक गाँव था। छोटा सा प्यारा सा। बैलों के गले में बजती घंटियाँ और हरवाहे की हुर्र हुर्र की ध्वनि से अरुणिम अंगड़ाई लेता गाँव। दिल के ऊपर कुर्ते की जेब से विपन्न और कुर्ते की जेब के नीचे, दिल से सम्पन्न गाँव। फटी कमीज के दोनों कौने पकड़कर काले … Read more

अभागी – बड़भागी – रवीन्द्र कान्त त्यागी : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : “हीटर का एक पॉइंट बढ़ा दे आशू। ठंड बढ़ गई है। लगता है आज सीजन की पहली बर्फ गिरेगी। और सुन। तेरा खाना वहाँ ओवन के पास ही रखा है। गरम करके खा ले। मुझे ये ऐस्से कंप्लीट करना है।” स्कूल से लौटकर कंधे से बैग उतारते बेटे से श्रुति … Read more

error: Content is Copyright protected !!