“मां मुझे भी दीपावली मनानी है” – मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

New Project 84

दीपावली आने में अभी 4 दिन शेष थे और इसकी तैयारी चारों तरफ जोर-शोर से चल रही थी । कहीं किसी के घर की रंगाई तो किसी के घर मिठाइयां बन रही थी— किसी की सफाई बची थी तो वह धनतेरस के दिन तक सारी सफाई को खत्म कर देना चाहते थे ताकि धनतेरस के … Read more

पश्चाताप के आशु – मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

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“एक चुटकी सिंदूर की कीमत तुम क्या जानो रामबाबू”” लाखों में कोई एक सुहागन सदा सुहागन रहता है” “चांद सितारों से मांग सदा भरी रहे” जाने और भी कई डायलॉग थे— जो आज मुझे याद आ रहे थे — । “मेरी आंखों से लगातार “आशु ” निकलते जा रहे थे और  मैं चाह कर भी … Read more

“सुझाव” – मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

New Project 57

बनारस की राइशो में एक नाम ठाकुर बलवंत सिंह का था। वह अपनी शानो-शौकत तथा रुतबो के लिए जाने जाते।   बलवंत की मां कमला बहुत ही बुद्धिमान तथा गंभीर महिला थी ।  बलवंत सिंह अपनी मां की बहुत इज्जत किया करते । इनके दो पुत्र बड़ा बेटा गोपाल और छोटा गोविंद । पत्नी दुर्गा बोले … Read more

“अपनापन” – मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

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कालिंदी काकी की टोकरी लाल, नीली, पीली, आसमानी और हरी चूड़ियों से भारी पड़ी थी और  जल्दी-जल्दी  सर पर टोकरी रख वह कहीं जा रही थीं कि–  तभी एक आवाज आई–  अरे काकी—-कहां भागी जा रही हो—? हमें नहीं पहनाओगी चूड़ियां–!   देखी तो वैजयंती उनके पीछे-पीछे भागे आ रही थी ।  अरे बिटिया– अभी मैं … Read more

“आत्मग्लानि” – मनीषा सिंह   : Moral Stories in Hindi

New Project 56

“नवीन जी  किरानी की नौकरी करते थे।  पत्नी सावित्री और दो बेटियां अंकिता और अवंतिका थी। भगवान की दया से बेटियां पढ़ाई और खेल दोनों में काफी होशियार थी–। दोनों स्कूल में हमेशा टॉप आया करतीं । “नवीन जी के घर में कुछ हो ना हो पर– बेटियों की “ट्रॉफीज और प्रमाण” पत्र जरूर रहते … Read more

“धैर्य ” – मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

New Project 2024 04 29T215107.227

 “महेश बाबू की शादी के 15 साल हो गए और पत्नी सुनीता इन 15 साल में चार बार गर्भवती हुई पर, हर बार उनका गर्भपात हो जाता ।   कितना भी पूजा पाठ और कितनी भी मन्नतें मांगी पर वो कहते हैं ना कि सब कुछ समय से ही निर्धारित होता है समय से पहले किसी … Read more

“आखिरी ख्वाहिश” – मनीषा सिह : Moral Stories in Hindi

New Project 34

 “दो बच्चे और पत्नी धनिया” को सोता छोड़ एक रात हीरा गांव छोड़कर  कहीं चला गया। सुबह जब धनिया सो कर उठी, तो पति को न पाकर उसे ढूंढते खेत चली गई । सबसे पूछा पर हीरा को किसी ने नहीं देखा । मुंह लटका कर धनिया घर लौट आई सुबह से शाम हो गई … Read more

“ठेस” – मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

New Project 47

यह कहानी शारदा नाम की औरत की है जो बिहार के छोटे शहर से मुंबई जैसे बड़े शहर में अपने पति के साथ बेटे के इलाज के लिए आई और फिर क्या हुआ आगे पढ़िए :- शारदा तीन बच्चों की मां थी दो जुड़वा बेटा गोलू, मोलू और एक प्यारी सी बेटी अक्षरा। पति शरद, … Read more

“जिम्मेदारी का एहसास”-मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

New Project 2024 04 29T215107.227

यह कहानी कोई मनगढ़ंत या काल्पनिक नहीं बल्कि सच्ची घटना पर आधारित है ।कहानी की संवेदनशीलता को देखते हुए ,उनके नाम  बदल दिये गये हैं । पुष्पा—! कब जाना है तुम्हें- मायका—? मैं उस और ही जा रहा हूं सोचा तुमसे पूछ लूं।  रजत मोटरसाइकिल पोछते हुए बोला । शादी के अभी दो महीने ही … Read more

बदलाव – मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

New Project 95

मूलचंद जी शहर के बहुत ही नामी-गिरामी व्यापारी थे । इनके दो बच्चे थें बेटा संकेत और बेटी अवंतिका।  बेटा संकेत बहुत ही बुद्धिमान, गंभीर और समझदार लड़का था जबकि बेटी अवंतिका बहुत ही जिद्दी और तुनुकमिजाज थी।  दोनों बच्चे भी वक्त के साथ बड़े होते गए ।  संकेत अब अपने पिता के कारोबार में … Read more

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