ऐसे शब्द सुनकर मेरा खून खौल गया-मनीषा सिंह : Moral stories in hindi

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मानसी की शादी की तैयारी पूरे जोर- शोर से चल रही थी! मानसी के पिता अजीत जी बेटी के हर एक डिमांड को पूरी करने में लगे हुए थे। मानसी 22 साल की हो चुकी थी ।  तथा एम ए की पढ़ाई कर रही थी। ये शादी कुछ हटकर थी । दोनों तरफ के परिवार … Read more

बेरंग से रिश्तों में रंग भरने का समय आ गया है-मनीषा सिंह : Moral stories in hindi

New Project 67 1

झांसी से दिल्ली जा रही बस के पास एक बुजुर्ग महिला इधर-उधर नजरे दौड़ाते हुए पहुंची और कंडक्टर जो सभी यात्रियों का टिकट बना रहा था, से बोली बेटा यह बस दिल्ली तक ही जाती है ना? ” हां मां जी”! कंडक्टर में उस बूढी महिला के तरफ देखकर दूसरे यात्री से बोला अरे भैया … Read more

जिंदगी सुख कम दुख ज्यादा देती है – मनीषा सिंह: Moral stories in hindi

कड़ाके की ठंड पड़ रही थी रात के 11:00 बज चुके थे।  तेजस्विनी अपनी 2 साल की बेटी राहा को सूलाकर हाल में  ही इधर-उधर चक्कर काट रही थी । उसकी नजर बार-बार दीवाल पर लटकी  घड़ी की ओर जा रही थी। आशु 35 साल का युवक जो किसी सरकारी ऑफिस में ऊंचे पद पर … Read more

औकात – मनीषा सिंह : Moral stories in hindi

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“मां _! मुंह मीठा कीजिए ।पैर छूकर शैलेश मिठाई अपनी मां के मुंह में डालते बोला  “बता तो सही की किस खुशी में मिठाई खिलाई जा रही है!   मालती जी बेटे के सर पर हाथ रखते बोली  “मां आज फाइनली मैं लेक्चरर के लिए सेलेक्ट हो गया   कई सालों से मेरी कोशिश थी इस जॉब … Read more

बंद करो अपना नाटक – मनीषा सिंह : Moral stories in hindi

New Project 41

“प्रतिज्ञा बेटा स्नान कर ले— कई दिन हो गए तुमने स्नान नहीं किया ठंड भी कम हो गई है जा स्नान कर ले—- ।मैने गीजर  ऑन कर दिया है ! फिर हम इकट्ठे ही नाश्ता करेंगे,! जल्दी जा  अब—–। अंबिका जी नाश्ता की प्लेट लगाते हुए  बोली । प्रतिज्ञा बूझे मन से टॉवल ले स्नान … Read more

समयचक्र- मनीषा सिंह : Moral stories in hindi

New Project 45

रामानंद जी रजिस्ट्री ऑफिस में किरानी की नौकरी करते थे। घर में पत्नी और दो बेटी लता और किरण थी। इनके अलावा दो बेटे अरुण और वरुण जो अभी स्कूल की पढ़ाई कर रहे थे। बेटियां बेटों से बड़ी थी इसलिए इनकी शादी करनी थी। तनख्वाह इतनी थी जितनी में घर चल सके। “अजी सुनते … Read more

खिलाफ – मनीषा सिंह : Moral stories in hindi

New Project 2024 05 05T225422.575

“मां ” खाने को कुछ दो ना, बहुत जोरों की भूख लगी है। ‘ सुबह से शाम ‘ हो गई अब तक तुमने—- खाने को कुछ भी नहीं दिया।    चार साल की शालू यह कहते हुए फफक -फफक के रोने लगी । ” हां बेटा! बस थोड़ी देर और इंतजार कर ले, फिर हम सब … Read more

अब तो शर्मसार करना बंद करो- मनीषा सिंह। : Moral stories in hindi

New Project 42

“नहीं मम्मी, आप रहने दो—–! मुझे अभी शादी नहीं करनी है! “पापा प्लीज समझाइए ना मम्मी को, संजना अपने पापा कैलाश जी से बोली। ” पर बेटा यह रिश्ता अच्छा है” तभी तो तेरी मां इतनी जिद कर रही है कैलाश जी अपनी पत्नी पुष्पा जी के बात का समर्थन करते हुए कहा। ” हां … Read more

मेरे बीमार होने से किसी को फर्क नहीं पड़ता – मनीषा सिंह  : Moral stories in hindi

New Project 66

शैली —!  चल अब घर जाने का टाइम हो गया है‌‌——- क्या तू अब ओवर टाइम करेगी ! शैलजा की सहकर्मी श्रेया ने, शैलजा को  धीरे से कहा । शैलजा चाय की आखिरी घूट लेते हुए कहा “यार—- ओवर टाइम ही कर लूंगी” लेकिन अभी घर जाने का मूड नहीं है मेरा।  ” क्या हुआ … Read more

फैसला – मनीषा सिंह : Moral stories in hindi

अंजलि चल जल्दी-जल्दी ,अपना लंच बॉक्स बैग में डाल ले 9: बजे से तेरी क्लास स्टार्ट हो जाती है।  चेहरा बनाते हुए अंजलि बोल पड़ी, ” मां देखो ना,  मेरे सर के अंदर से कुछ अजीब सी आवाजें आ रही हैं, साथ में चक्कर भी आ रहा है।  इतना सुनते ही कावेरी झट से  बेटी … Read more

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