वो घुंघरूं की छुन…छुन.. – लतिका श्रीवास्तव

New Project 65 1

 #जादुई_दुनिया … छुनन…. छूनन…. छुन….. छुन की धीमी आवाज क्रमश: तेज होने  लग  गई थी…..और उसके साथ ही मेरे दिल की धड़कनें भी……!अब तो मैं थोड़ा डरी कही सही में तो कोई चुड़ैल नही है !!!!आज तो मेरी खैर नहीं थी …..मैने फिर हिम्मत करके कदम आगे बढ़ाए आवाज और तेज हो गई…प्रतीत हुआ मानो … Read more

सपने में भी नहीं सोचा था – लतिका श्रीवास्तव

New Project 100

सुबह सुबह मोबाइल बज उठा मिताली जी ने जल्दी से चश्मा ढूंढ कर आंखों में लगाया हड़बड़ी में ठीक से लग ही नहीं पा रहा था फिर मोबाइल ऑन किया तो उनके पोते तुषार का फोन था…..” हेलो हां बेटा ….सब ठीक तों है ना!…..क्या कह रहे हो  ये तो मैने सपने में भी नहीं … Read more

 कत्थई आंखों के ख्वाब – Short Story In Hindi

New Project 47

फिर वही ख्वाब…..मिताली अपनी ही डरावनी आवाज़ से जागकर बिस्तर पर उठ कर बैठ गई…… …..एक कमरा  छोटा सा…. चारों तरफ से बिल्कुल बंद  जिसका केवल एक ही छोटा सा दरवाजा है…..काफी नीची छत है …..एक भी रोशनदान नहीं है… घुप अंधेरा….. उसमें एक लड़की  है उसका पूरा चेहरा अस्पष्ट सा है केवल उसकी  कत्थई … Read more

मीठी सी मिट्ठी – लतिका श्रीवास्तव

New Project 36

मम्मा मम्मा…. देखो ना मेरी फ्रेंड ने मुझे ब्लॉक कर दिया अचानक कल तक तो सब ठीक था अभी सुबह मैने देखा तो ब्लॉक!!!!अब मैं क्या करूं आप ही बताओ इससे बात किए बिना मैं एक दिन तो क्या एक घंटे भी मैं नहीं रह सकती ….. अत्यधिक परेशान कुहू के बोलने पर शुभा की … Read more

गलत को गलत कहने की हिम्मत -लतिका श्रीवास्तव

आज फिर  पड़ोस से जोर जोर से किसी बच्चे और उसकी मां के रोने की आवाजे सुनाई दे रही थीं, शुभ्रा को ऐसा रविवार नही चाहिए था…आवाजे जब करुण रूदन सी चुभने लगी तब उसकी सहन शक्ति जवाब दे गई पतिदेव के टोकने पर भी कि रुको उनके घर का मामला है उसका पति आज … Read more

उम्मीद की उजास – लतिका श्रीवास्तव 

New Project 2024 04 29T104946.819

#एक_टुकड़ा       “पांच हजार से एक रुपया कम नहीं लेंगे …..ओ बड़ी भाभी सुन लो,अपनी बिटिया के लिए तो नही किया अब अपनी देवरानी की बिटिया के लिए तो गांठ खोलो जल्दी ….कहां छुप कर बैठी हो बाहर आओ ….. हाय हाय बड़ी भाभी , हाय हाय बड़ी भाभी…”कमला के साथ अन्य सभी किन्नरों की … Read more

एक पिता ऐसे भी –  लतिका श्रीवास्तव #लघुकथा

……शादी की धूम धाम समाप्ति पर थी,मुझको  दो दिन हो गए थे ससुराल में आए हुए सुबह से लेकर शाम रात तक बहु देखने और मिलने वालों का तांता लगा हुआ था…अभी तक तो मैं अपने इस नए घर अपनी ससुराल के सभी कक्षों से ही परिचित नहीं हो पाई थी तो फिर घर के … Read more

बाबुल बादल प्रेम का हम पर बरसा आई – लतिका श्रीवास्तव

New Project 49

#पितृ दिवस पर मन के भाव इस बार कोई कहानी नहीं सीधे सीधे शब्दों में अपने श्रद्धेय पिता के बारे में अपने मन के ही भाव व्यक्त करने की कोशिश कर रही हूं मेरे पापा मम्मी उस विशाल वट वृक्ष की भांति हैं जिनकी अविरल अगाध स्नेहिल शीतल छाया और सुदृढ़ आधार ने हम सबको … Read more

गूंगी चीख – लतिका श्रीवास्तव

New Project 99

चित्रकथा मां… ओ मां  .. रूक जा …वो फिर चीखी… हृदय विदारक तीव्र चीख  ने  ट्रेन की पटरियों की ओर बढ़ते शालू के कदमों को त्वरित रोक  दिया!  ….ये तो उसी के अंदर से आती हुई आवाज है , वो घबरा सी गई,”कौन है “उसने थोड़ा डर और घबराहट से पूछा….”तेरी अजन्मी बच्ची हूं मां … Read more

मीठा घट – लतिका श्रीवास्तव

New Project 84

 सजा हुआ मीठा जल भरा घट…..आता जाता हर व्यक्ति आज उस सजे धजे मिट्टी के घड़ेमे भरे हुए शीतल जल को उसमे लगे हुए नल से जरूर पी रहा  था…… विनय उसमे पानी भरते हुए सोच रहा था बाबूजी कितना सही कहते है , मनुष्य का जीवन भी माटी के घट जैसा ही तो है,जब … Read more

error: Content is Copyright protected !!