सुखानुभूति – लतिका श्रीवास्तव

भव्य हवेलीनुमा आवास,दर्जनों नौकर चाकरों से लकदक हर कोना, रईसी शानो शौकत से आच्छादित पांच मंजिली इमारत के एक विशाल वातानुकूलित कक्ष में आदमकद आईने के सामने बैठी नम्रता खुद को निहार रही थी,परख रही थी ,आत्ममुग्ध थी। वर्षों की अटूट अनवरत लगन मेहनत और संघर्ष के बल बूते आज वह सफलता और वैभव के … Read more

सुनो तो… – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

रीति… रितिका कहां हो तुम… सुनो तो…आवाज सुनते ही रितिका थाली लगाती रुक सी गई। आ गई  बिल्लो काकी घंटे भर की फुर्सत हुई सोचते उसने भी आवाज लगाई क्या हुआ काकी आ जाओ ।आ जाओ आपकी भी थाली लगा दूं क्या अरे थाली वाली छोड़ो। कल सुनीता के शादी समारोह से जल्दी  चली आईं … Read more

आइने के पीछे – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

जरा रुक मोनी रुक…. श्री की तेज आवाज से मोनी ने पलट कर देखा तो श्री अपना मोबाइल निकाल रही थी। नो श्री प्लीज अभी नहीं अभी मोबाइल पर्स में ही रहने दे अभी बहुत सारी शॉपिंग करनी है मोनी ने दबाव देकर कहा लेकिन तब तक तो श्री अपना मोबाइल निकाल कर उसमें सेल्फी … Read more

फालतू काम – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

आजा मेरा राजा बेटा तू ही ये काम कर सकता है मालिनी ने तीसरी बार बेहद दुलार से अपने निर्विकार बेटे राजन से कहा तो पिता राजेश्वर झल्ला गए। इतनी #लल्लो चप्पो करके क्यों बोल रही हो मालिनी। तुम्हारा बेटा है इसी घर में रहता है बाजार जाके सामान लाना उसका भी कार्य है …दिन … Read more

अनबन – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

आपकी बहू तो बहुत प्यारी है गुड़िया जैसी सुंदर कहां से ढूंढ कर लाए हैं ये हीरे की कनी .. जो भी आता बहू मीनल की मुग्ध कंठ से प्रशंसा करता । मनोहर जी और सुमित्रा  बहुत गदगद हो रहे थे। घर की बैठक में विशाल नए सोफे पर मीनल को बिठा दिया गया था … Read more

कन्यादान का पुण्य – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

मुश्किल से दो निवाले हलक के नीचे उतारे थे कि चारु का मोबाइल फिर से बजने लगा और साथ ही मां का राग भी लो अभी आई नहीं दो घड़ी बैठी नहीं कि फिर बुलावा आ गया … अरे कोई जरूरत नहीं है फोन उठाने की बजने दे निगोड़े को।दो घड़ी बैठ कर दुनियादारी की … Read more

नेह चुकाना – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

अचानक एक नया प्रोजेक्ट मिलने से सौरभ चिंतित हो गया।एक तो पिछले चार पांच दिनों से उसे बुखार आ रहा था।दूसरे ये प्रोजेक्ट किसी शहर नहीं बल्कि छोटे से गांव के लिए था  जहां एक महीने रुकने के लिए कोई होटल नहीं था कंपनी कोई व्यवस्था नहीं कर रही थी हां रहने खाने का खर्चा … Read more

दुबली हथेलियां – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

आंटी जी आंटी जी आपका मोबाइल … भीनी आवाज पर मैं तुरंत पलटी तो सामने एक दुबली सी लड़की खड़ी थी जिसकी दुबली हथेलियां मेरा भारी मोबाइल संभाल कर पकड़ी हुईं थीं। ये कहां था तुम्हे कैसे मिला मैने मोबाइल पर झपटते हुए पूछा और अपना बड़ा सा अस्त व्यस्त पर्स खोलकर झांकने लगी। आंटी … Read more

आत्मसम्मान का सम्मान – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

सुनिए जी … टीना को फोन लगाकर होली में आने का कार्यक्रम पूछिए।इस बार तो मेरा नवासा भी आएगा साथ में …उमंग और उत्साह सुमित्रा की आवाज में छलक रहा था। अभी लगाता हूँ बहुत दिनों से टीना की कोई खबर भी नहीं मिली है कहते हुए सुजीत जी ने फोन लगा दिया। ना टीना … Read more

तालमेल – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

बड़ी बहू,बड़ी बहू सुन सुन कर मेरे कान पक गए हैं।क्या मैं इस घर की बहू नहीं हूं छोटी हूं तो क्या हुआ मेरा कोई महत्व ही नहीं है।मेरी इच्छा मेरी राय मेरे निर्णय भी हैं।मेरा अधिकार भी इस घर में बराबरी का है हर काम में हर जगह बड़ी बहू बड़ी बहू… अब मेरे … Read more

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