“नज़ाकत रिश्तों की” – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

New Project 56

“कान खोल कर सुन लो तुम दोनों! नीमा और दामाद जी राखी पर आ रहे हैं कोई कमी ना होनी चाहिए!और बहू जी तुम? तुम तो अपनी कंजूसी अपने घरवालों के लिए ही बचा के रखना !मेरी बेटी की आवभगत खूब अच्छी तरह होनी चाहिए बस!” मयंक तुम आज ही जाके बैंक से पैसे निकाल … Read more

सिर्फ बहू से बेटी बनने की उम्मीद क्यों? – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

New Project 89

“लो बहूरानी संभालो अपना राजपाट! ,और मुझे छुट्टी दो इस जंजाल आज से  इस घर की मालकिन तुम!” मुझे तो तुम्हारा ही इंतज़ार था कि कब आओ और इस घर गृहस्थी के झंझट से निजात पाकर मैं भी सुकून की सांस ले सकूं! भगवान ने हमें बेटी नहीं दी पर आज तुम्हारे आने से हमारे … Read more

“ये बंधन तो प्यार का बंधन है” – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

New Project 50

” करण! जल्दी कर जीजी की फ्लाईट का टाइम हो रहा है”?नयन ने गाड़ी निकालते हुए कहा! बाकी दोनों बहनें भी लपक कर गाड़ी में जा बैठीं। दरअसल वो सब साथ रहने का एक मिनट भी कम नहीं होने देना चाहते थे । क्रिसमस की छुट्टियां शुरू होने ही वाली थी कि करण और नयन … Read more

“अपने तो अपने होते हैं” – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

New Project 100

“उमा! सुनो ग्रीन लेबल टी तो मंगा ली ना, जीजी वही पीती हैं!” “क्यूँ परेशान हो रहे हो? मैंने जीजी की पसंद की हर चीज़ जो जो तुमने बताई सब मंगा ली हैं” उमा ने हंसते हुए विजय से कहा? विजय की बड़ी बहन आज बरसों बाद एक हफ़्ते के लिए रहने को आ रही … Read more

“इंतहा स्वार्थ की” – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

New Project 38

“देखो बेटा। मैं अब अगले महीने रिटायर होने वाला हूँ। बहुत दिनों से अम्मा के मोतियाबिंद का आपरेशन टाल रहा था कि ऑफिस से छुट्टी पाऊंगा तो आराम से करा दूंगा। घर का खर्च तो मेरी पेंशन में जैसे तैसे हो ही जाएगा। मैं ये चाहता हूँ कि तुम भी अब घर के खर्चे में … Read more

ससुराल वाले अपनी बेटी की चिंता करेंगे या बहू की-बहू तो दूसरे की बेटी है – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

New Project 48

“इना!करवा नहीं भेजा तुम्हारी माँ ने?”करवा चौथ के दिन इना की सास सुनीता जी इना के मायके से आए बायने का समान फैलाकर बैठी थीं! इना-“मम्मी जी!माँ ने चेक भेजा है कि अपनी पसंद का चाँदी का करवा मंगा लें, कोरियर में खोने का डर था”, “हाँ पर चेक में पानी भर कर अर्ग देगी … Read more

“जाने कहाँ गए वो दिन” – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

New Project 65 1

देविका जी उम्र के आठवें शतक में अपने आलीशान मकान के बरामदे में अकेली बैठी बाहर होती घनघोर बारिश देख रही थी!बिजली चमकने और बादलों की घड़घड़ाहट से उनका बूढ़ा शरीर डर के मारे रह रह कर कांप जाता! आंघी की वजह से लाईट भी चली गई थी! बैठे बैठे उनका मन अतीत के गलियारे … Read more

कभी खुशी -कभी गम – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

New Project 35

“सुनो जी एक बात कहूं!विभा ने डरते डरते अपने पति महेश से कहा!” “जल्दी कहो जो कहना है टाइम नहीं है मेरे पास?”झुंझलाकर. महेश ने जवाब दिया! “वो सिया की सहेली मीना है ना उसके चाचा का लड़का मुम्बई की एक कंपनी में इंजीनीयर है!” विभा के आगे कुछ कहने से पहले महेश गुर्रा कर … Read more

मायके में रिश्ते बने होते हैं -ससुराल में रिश्ते बनाने पड़ते हैं! – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

New Project 98

” बेटा!उठ जाओ 8बज रहे हैं ,देर तक सोना सेहत के लिए अच्छा नहीं,जल्दी से उठ जा मेरा बच्चा! “सीमा जी ने बडे प्यार से अपनी बेटी सना को जगाते हुए पुकारा! ऊं हूं मम्मी !8ही तो बजे हैं आज काॅलेज की छुट्टी है,आज तो सोने दो? “बेटा देखो तुम्हारी भाभी भी तो अभी नई … Read more

घर वापसी – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

New Project 57

सुमित और समर बचपन से साथ-साथ बड़े हुए,,पढ़ लिखकर शहर के नामी गिरामी कालेज में लेक्चरार हो गए!  नौकरी मिल जाने पर दोनो ने एक छोटा सा टू बेडरुम का घर किराए पर ले लिया!खाना बनाने और घर की साफ-सफाई के लिए एक नौकरानी रख ली! दोनो दोस्त अपनी नौकरी और घर में मस्त रहते! … Read more

error: Content is Copyright protected !!