” चाहत का उपहास” – कविता भड़ाना : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : “सोनम के लिए जब उसकी छोटी भाभी ने अपने भाई के साथ रिश्ते की बात ससुराल में कही, तो मानों भूचाल ही आ गया…  सोनम की मां, और छोटी बहु की सास दहाड़ कर बोली “तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई मेरी नाजों से पली बेटी के लिए अपने गंवारू भाई … Read more

 सुखांत??? – कविता भड़ाना

“इस धूप छांव से जीवन में,  होने लगे कैसे कैसे व्यापार प्रभु अर्थी भी अपनी पसंद करो अब, और साजो सज्जा का सामान भी…  मर के देख ना पाया जो कुछ अभी तक,  अब जीते जी देख परख कर जाओ सब”   जीवन की संध्या बेला में, जब परिवार के बड़े – बुजुर्गो की एक … Read more

“भरोसे का खून” – कविता भड़ाना

लक्ष्मी सूनी -सूनी आंखों से एकटक अपने घरौंदे को बिखरते हुए देखे जा रही थी, जिस इंसान के लिए उसने अपनी सगी बहन के भरोसे को कुचल के रख दिया था, वही उसे दूध में से मक्खी की तरह निकाल फेंकेगा ये तो कभी सोचा भी नहीं था, पर जिस रिश्ते का आधार ही स्वार्थ … Read more

“छोटा प्रयास बड़ा बदलाव” – कविता भड़ाना

आजकल शादियों का मौसम है।  आप लोगों का भी शादी और उससे जुड़े दूसरे समारोह में आना जाना लगा ही होगा। कल रात मेरा भी दो शादियों में जाना हुआ। में, मेरी दोनों बेटियों और पतिदेव के साथ अपने करीबी रिश्तेदारों के यहां गई थी। बड़ा ही सुंदर फार्म हाउस था। बिजली की रंग बिरंगी … Read more

“नई सोच” – कविता भड़ाना

अरे रोहन बेटा, आज भी तुम ही  सब्जी ले रहे हो? “जी आंटी, मम्मी को तीन दिन से बुखार और कमजोरी भी है बहुत, तो में ही सब्जी लेने आया हूं। पर बेटा तुम स्कूल भी नही जा रहे हो दो दिन से, पियूष (पड़ोसन का बेटा) ने बताया था मुझे…. जी दरअसल पापा कुछ … Read more

“चटपटी यादें बचपन की” – कविता भड़ाना

नमस्कार 🙏 आज बालदिवस पर मुझे अपने बचपन की एक मजेदार घटना याद आ गई तो सोचा क्यों ना आप सब के साथ सांझा की जाए, तो ये घटना तब की है जब में आठवीं कक्षा में थी। अपनी कक्षा के सबसे बड़े शरारती बच्चो में से एक थी, लड़ाई झगड़े और टीचरों से शिकायते … Read more

“सफरनामा” – कविता भड़ाना

चित्रा जी ने देखा उनका सामान  बेटे ने कार में रख दिया है और ड्राइविंग सीट पर बैठा उनका ही इंतजार कर रहा है, नम आंखों से उन्होंने अपने घर को नजर भर के देखा, जाने कितनी खट्टी- मीठी यादें आंखों के सामने चलचित्र की भांति चलने लगी थी। दुल्हन बनकर आई थी वो इस … Read more

खुशियों के रंग अपनों के संग – कविता भड़ाना

पांच” देवरानी- जेठानी में सबसे छोटी “रमा” के बेटे की आज बारात निकलने वाली है, खूब चहल -पहल और रौनक लगी हुई है। बारात निकलने से पहले बहन के बच्चो की शादी में “मामा” के द्वारा “भात भरने” की रस्म की जाती है, जिसमे  भाई अपनी बहन की ससुराल अपनी सामर्थ अनुसार उपहार लेकर आता … Read more

“वेदना और स्वार्थ ” – कविता भड़ाना

स्वार्थ… स्वार्थ आखिर है क्या? अपने सुख के लिए या कोई इच्छा पूरी करने के लिए किसी ऐसे इंसान के भी तलवे चाट लेना, जो हो सकता है के हमे बिलकुल पसंद ना हो….पर अपने स्वार्थ के लिए हम अपने जीवन में उसे स्थान देते ही है। कभी कभी हम बरसों तक एक ऐसे इंसान … Read more

“बदलाव की लहर”  – कविता भड़ाना

दोपहर के समय मोहल्ले की सारी महिलाएं गप्पे मारती हुई ठेले वाले को घेर कर सब्जियों की खरीददारी में व्यस्त थीं की तभी सुभद्रा जी के घर का मुख्य द्वार खुला और देखा उनकी छोटी बहु गाड़ी बाहर निकाल रही हैं साथ ही सुभद्रा जी और उनकी बड़ी बहु भी गाड़ी मैं बैठ उड़नछू हों … Read more

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