अफ़सोस – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

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देवी अपने माता-पिता की तीसरी संतान थी उसके दो भाई थे । माता-पिता भाई अत्यधिक लाड़ प्यार के कारण उसे घर से बाहर निकलने नहीं देते थे। जब भी वह कहती थी कि माँ बाहर भाइयों को खेलते हुए देखूँगी तब भी माँ बाहर बैठने नहीं देती थी कहतीं थीं कि लड़कियों को चारदीवारी पार … Read more

मीरा – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

New Project 72

मीरा कहाँ मर गई है ? कब से पुकार रही हूँ सोनी रो रही है ।  सुनाई नहीं दे रहा है क्या? क्या कर रही है ? कहते हुए रिया रसोई से कमरे की तरफ़ आती है क्योंकि उसकी बच्ची रो रही थी और वह खुद अपना काम छोड़कर आती है और देखती है कि … Read more

जिम्मेदारी कभी खत्म नहीं होगी – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

New Project 37

लता घर का सारा काम ख़त्म करके अपने कमरे में खिड़की के पास उदास बैठी हुई थी । दो दिन पहले ही वह हैदराबाद से वापस आई थी । उसे अपने कमरे में इस तरह से खिड़की के पास बैठना बहुत ही अच्छा लगता है । उसी समय फ़ोन की घंटी बजी अभी कौन हो … Read more

पीढ़ियों का अंतर – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

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अलार्म के बजते ही सोनाली की नींद खुल गई । उसे लगा कि पाँच मिनट और सो जाती हूँ फिर लगा कि नहीं एक मिनट देरी की तो सारे काम पीछे हो जाएँगे और ऑफिस के लिए लेट हो जाऊँगी सोचकर अलसाए हुए शरीर को लेकर बाथरूम की तरफ़ फ्रेश होने के लिए बढ़ी । … Read more

अपनों का साथ – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

New Project 40

मेरे दादा जी रेलवे में मेल गार्ड के पद पर कार्यरत थे । उनकी चार लड़कियाँ और चार लड़के थे । वे हमेशा ड्यूटी पर होते थे पर पीछे से पूरे परिवार की देखभाल मेरी दादी कौशल्या जी ही करती थी । दादी हमेशा दादा जी से कहती थी कि आपके रिटायर होने से पहले … Read more

आज की महिला – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

New Project 39

नंदिता जब ब्याह करके अपने ससुराल पहुँची थी तो देखा घर में दो देवर हैं जो अपनी पढ़ाई पूरी करके नौकरी ढूँढ रहे थे । एक छोटी नन्द डिग्री में पढ़ रही थी । ससुर रिटायर हो कर घर पर ही थे । अब सास बहू को ज़िम्मेदारी सौंप कर खुद अपनी ज़िम्मेदारियों से मुक्त … Read more

संयुक्त परिवार में रोक टोक जरूर है पर एक सुरक्षा और परवाह भी है । – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

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 रत्ना अपने माता-पिता की छह संतानों में सबसे छोटी बेटी थी । उसने घर में रहकर ही डिग्री पूरी की थी । वह एक छोटे से गाँव में रहती थी पर आज़ाद ख़्यालों की थी । उसने प्रतियोगी परीक्षाओं में हिस्सा लेकर जनरल इंश्योरेंस में नौकरी पा ली थी । अब तो वह कमा भी … Read more

यह जीवन का सच है – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

New Project 42

मैंने सोचा आज ऑफिस जाने के पहले एक बार मंदिर चला जाता हूँ । यही मेरी आदत भी है कि जब भी दिल कहता है सीधे ईश्वर के पास माथा टेकने चला जाता हूँ । मैंने अभी सीढ़ियों पर पैर रखा ही था कि वहाँ बैठी हुई औरतों में एक औरत कुछ जानी पहचानी सी … Read more

सुख दुख का संगम – के. कामेश्वरी  : Moral Stories in Hindi

New Project 80

मैं घर के सामने बरामदे में बैठकर पेपर पढ़. रहा था कि मेरा पोता जो तीन साल का था मुँह फुलाकर मेरे पास आकर कहने लगा कि दादाजी आपका घर अच्छा नहीं हैं। उसे देखकर मुझे हँसी आई उसे अपने पास बुलाकर पूछा क्यों अच्छा नहीं हैं? इट्स टू हॉट । उससे मजाक करते हुए … Read more

मायके में आपके रिश्ते बने होते हैं पर ससुराल में बनाने पड़ते हैं – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

New Project 96

सौरभ रिचा के साथ कॉफी पीने आया था । कॉफी पीना तो एक बहाना ही है वह रिचा के प्रश्नों का जवाब देने वाला था । उसने गहरी साँस ली और कहा रिचा मैं तुमसे शादी करूँ तो कैसे करूँ ? तुम मेरी माँ की ज़ुबान को नहीं जानती हो वह इतनी तीखी है कि … Read more

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