*गंगा स्नान* – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

जुहार बड़े सरकार।  अरे,गिरधर बड़ा आदमी हो गया है,अब तेरा इधर आना ही नही होता।अब भी बुलाने पर ही आया है।      सरकार, आप तो जाने है,मुन्ना शहर में नौकरी करने लगा है,उसके पास भी जाना लगा रहता है,और यहां भी सरकार आप की मेहरबानी से मिले जमीन के टुकड़े में बुआई,निडाई में लगना पड़ता है, … Read more

*करमजला* – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

अरे करम जले कुछ तो सोचा होता,सारे कस्बे में थू थू हो रही है।हमे तो तूने कही मुँह दिखाने लायक भी नही छोड़ा।        माँ, क्या कह रही तू,तुझे क्या अपने राजू पर जरा भी यकीन नही है, क्या मैं ऐसा कोई काम करूंगा जिसे हम पर धब्बा लगे?      तो बता क्या आजकल तू उस हरिजन … Read more

खिंचाव माटी का – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 तेजस जी के बहनोई सुनील अमेरिका में जॉब करते थे।जब कभी भारत आते तो तेजस जी से भी मिलने आते।खूब सारे अमेरिकन गिफ्ट भी लाते।तेजस जी को किसी चीज की कमी नही थी खुद सम्पन्न थे,पर जब सुनील अमेरिकन गिफ्ट लाते तो उनमें एक हीन भावना घर जाती।एक कशिश दिल मे उठ जाती कि वे … Read more

*लौटता वजूद* – बालेश्वर गुप्ता  : Moral Stories in Hindi

  सच कहूं सुचि, मैं शादी करना ही नही चाहती।मेरे मन मे हमेशा एक डर सा बैठा रहता है, मैं भयभीत रहती हूं।        शालू कैसी बहकी बहकी बाते कर रही हो।तुम्हे किस बात का डर?अरे शादी तो एक दिन सभी को करनी ही होती है।        सुचि की बात सुनकर शालू चुप हो गयी।वो अपने मन की … Read more

बाबू काका का दर्द – बालेश्वर गुप्ता  : Moral Stories in Hindi

बाबू काका क्या हुआ है आपको,इतने कमजोर?किसी डॉक्टर को दिखाया या नही?         बहुत क्षीण आवाज में बोले,बेटा कुछ नही बुखार आ गया था,कमजोरी के कारण उठा नही गया,डॉक्टर के पास कैसे जाता भला?        मुझे ही खबर भेज देते,मैं तो आ ही जाता।       तुम्हारा नंबर मिला ही नही,बुढापा है ना,पता नही कहाँ लिखा या रखा।      ओह, … Read more

*अंगना का फूल* – बालेश्वर गुप्ता   : Moral Stories in Hindi

  जगरु चाचा आज बेहद खुश थे, उनके पावँ जमीन पर पड़ ही नही रहे थे।अपनी खुशी का इजहार हर किसी को कैसे करे,उन्हें समझ नही आ रहा था।बस हर जानने वाले को रोक लेते और बताने लगते कि उनका मुन्ना आ रहा है, सुना तुमने मुन्ना यही आ रहा है,अब वो मेरे पास ही रहेगा।कहते … Read more

आन बान या अवसान – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

भैय्या-भैय्या, आज रक्षाबंधन है,क्या मैं आपको राखी बांध दूँ?        अरे,भैय्या-भैय्या पुकारती हो,तो फिर राखी क्यो नही बाँधोगी, इसमें पूछने वाली कौनसी बात है?ले बांध ना राखी?        शायद 1973-1974 का ही घटनाक्रम है,मेरे ही घर के एक पोर्शन में हमारे ही कस्बे के पास के एक गांव का किसान परिवार किराये पर रहने को आया।मेरे पिता … Read more

*निराला ठग* – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 मानसी, मेरे प्रेम की इतनी कड़ी परीक्षा मत लो।तुम जानती तो हो,माँ ने मुझे कितने कष्टों से पढ़ाया लिखाया है।साथ ही खुद्दारी से जीने के संस्कार भी तो दिये हैं।      तभी तो तुम्हे समझा रही हूं,मानस।तुम्हारी एक हां, हमारा जीवन संवार देगी।देख लेना माँ भी खुश ही होंगी।      मानसी न तुम मुझे समझ पा रही … Read more

पिघलती बर्फ – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

आज फिर शांति बुआ आनेवाली थी,मैं तो खुश था,पर मम्मी अशांत थी।शांति बुआ यूँ तो हर वर्ष 15-20दिनों के लिये आती ही थी,मेरी उनसे खूब पटती थी,मैं उनसे भगवान राम,कृष्ण लीला एवं रावण,कंस वध आदि आदि की कहानियां सुना करता,मुझे ये कहानियां सुनने में खूब मजा आता था,बुआ भी खूब चाव से सुनाती थी। उन्हें … Read more

 अपना धन-पराया धन – बालेश्वर गुप्ता  : Moral Stories in Hindi

 सुनो विवेक,मेरा रिज़र्वेशन कैंसल करा दो,मैं मम्मी के यहां नही जा रही हूँ। क्यों क्या हुआ शालिनी?तुमने ही तो कहा था,बहुत दिन हो गये, भैया भाभी,मम्मी के पास गये।तुम क्या देख नही रहे हो,माँ को परसो से बुखार है,भला ऐसे में मैं कैसे जा सकती हूँ? अरे माँ के पास तो शिखा आ जायेगी।उनकी बेटी … Read more

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