आक्रोश – अविनाश स आठल्ये

क्या समझ रखा है तुमने प्रशासन को?कितना भ्र्ष्टाचार करोगे? कुछ ईमान धर्म बचा है या पूरा ज़मीर बेच खाये हो? श्रीवास्तव साहब ने “आक्रोश” से भरकर “बड़े बाबू”  मेश्राम की फ़ाइल को फेंकते हुये कहा… जी सर.. यहाँ तो ऐसा ही चलता था, पहले वाले SDM साहब भी ऐसी ही फाइलों में दस्तख़त कर दिया … Read more

 ज्योति की ज्वाला – पूनम अरोड़ा 

      यहाँ  उल्लेख  किए गए पात्रों  के नाम और स्थान काल्पनिक  हैं लेकिन  मनोभाव सत्य । अपने नाम  की तरह  ही खूबसूरती की प्रभा को उज्जवलित  करती ,दामिनी के समान स्फुरित चमक  की लहक से उदीप्त,  अनुपम, अद्भुत  सौन्दर्य  की स्वामिनी  थी “ज्योति” । साधारण सी आय वाले साधारण सी माता पिता की इकलौती संतान थी … Read more

आक्रोश – आरती झा आद्या

मन करता है तलाक ही ले लूॅं तुमसे। देखना एक दिन तुम तलाक लिवा कर ही मानोगी…संजय और करुणा की पच्चीस साल की शादी में बहस तो आम सी बात हो गई थी। हाॅं हाॅं…सही है…पहले जहर खा लूॅंगा…घर छोड़ कर चला जाऊॅंगा कहकर चुप कराते थे, अब तलाक का शौक हो आया है… करुणा … Read more

आक्रोश –  अमित रत्ता

कहते हैं आक्रोश अक्ल को खा जाता है आक्रोश आबेश में उठाए कदम की सज़ा कई पीढ़ियों को भुगतनी पड़ती है। पलभर का आक्रोश पूरी जिंदगी तबाह कर जाता है। ऐसा ही कुछ हुआ था इस परिवार के साथ। कहानी है एक मध्यम बर्गीय परिवार की जिसमे माता पिता और दो भाई थे। एक कि … Read more

जब आया ऊँट पहाड़ के नीचे! – नीलम सौरभ

साँवली-सलोनी कात्यायनी को हर मायने में कुशल गृहणी कहा जा सकता था लेकिन पता नहीं यह उसके भाग्य का दोष था या फिर उसमें व्यवहारिक बुद्धि की कमी कि उसके ससुराल में सभी उसे घर की मुर्गी दाल बराबर समझते थे। सर्वगुण-सम्पन्न होने के बाद भी ब्याह करके आने के बाद से ही उस बेचारी … Read more

 आधारशिला –  बालेश्वर गुप्ता |  Very Emotional Story In Hindi

    एक मुद्दत के बाद शंकर का अपने बचपन के मित्र रमेश से उसके फ्लैट में ही मिलना हो रहा था।असल मे मोबाइल ने दूरियां तो कम की है,पर प्रत्यक्ष मिल कर अपने दुःख सुख की अनुभूति कराना, छीन लिया है।दोनो मित्र मोबाइल पर बात चीत करते रहते थे,पर अपनी बातों को,अपने मनोभावों को कहां प्रकट … Read more

यह पछतावा, पीछा ही नहीं छोड़ता – पुष्पा जोशी

            रविवार,छुट्टी का दिन था , विमल, घर की बालकनी में बैठा कान्हा और मीनू को खेलते हुए देख रहा था, खेलते -खेलते वे बच्चे दादा दादी के पास आकर उनसे चिपक जाते, और एक दूसरे की शिकायत करते। दादा दादी प्रेम से उन्हें समझाते तो वे फिर से खेलने लगते। निर्मल के आंगन में बच्चों … Read more

सच्चाई – माता प्रसाद दुबे |  Very Emotional Story In Hindi 

शाम के पांच बज रहे थे,कौशल्या तेजी से कदम बढ़ाते हुए लाला जी कोठी की तरफ चली जा रही थी। आज उसे देर हो गई थी,वह जानती थी,कि उसके देर से पहुंचने पर लाला जी,उनकी पत्नी लक्ष्मी देवी,और उनकी इकलौती बेटी पूजा को कितनी तकलीफ होती हैं, नाश्ता,खाना,व अन्य काम की जिम्मेदारी पिछले बीस वर्षों … Read more

पछतावा, किस बात का..? – रोनिता कुंडू | online hindi kahani

क्या हुआ माला..? इतना क्या सोच रही हो..? अरुण जी ने अपनी पत्नी माला से कहा..  माला जी एक लंबी आह लेकर कहती है… ऐसे पूछ रहे हैं, जैसे कि कुछ जानते ही नहीं..? अरुण जी:   देखो माला..! हमारी उम्र में तुम जैसा सोच रही हो, यह स्वाभाविक है… पर अगर कभी शांत मन … Read more

माँ का घर – रीटा मक्कड़

आज भी अनिता को वो दिन याद है ।जब पापा की ह्रदय गति रुकने से अचानक मृत्यु हो गयी थी।उसके बाद तो घर का माहौल ही बदल गया था। बिज़नेस पर बड़े भाई और घर पर भाभी का एक छत्र राज्य शुरू हो गया था। माँ का तो जैसे किसी ने राजपाठ ही छीन लिया … Read more

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