नियति का न्याय : Motivational Story in Hindi
कांता रोती जा रही थी, और अपने बेटे रघु को घुटने की चोट पर हल्दी लगाते हुए डांट रही थी, “तुझे कितनी बार समझाया… उधर कॉलोनी में खेलने मत जाया कर इतनी मार भी खाता है,..और फिर वहीं जाता है, भला उन लोगों का और हमारा क्या मेल…! पर तुझे तो समझ में ही … Read more