अपूर्ण कौन ?? – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

” कहते है मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है जिसे कदम कदम पर किसे दूसरे की मदद की जरूरत पड़ती ही है जो जन्म लेने ( बिना किसी की मदद संसार मे नही आ सकते ) से मृत्यु तक ( बिना किसी सहारे श्मशान तक नही जा सकते ) चलती है । ये मदद हर कोई एक दूसरे की करता है इसी से संसार चलता है । पर इंसान को दूसरे की मदद लेने और दूसरों का मोहताज़ होने मे फर्क मालूम होना चाहिए ।” रचना के ये शब्द मेरे मन को छू गये । 

” कितनी खुद्दार हो तुम रचना , तुम कितनो की प्रेरणा बन सकती हो कौन कहता है तुम अपूर्ण हो तुम्हारी ये खुद्दारी , तुम्हारी सोच और जिंदगी के प्रति तुम्हारा सकरात्मक नजरिया तुम्हे हम सबसे ज्यादा पूर्ण , हम सबसे ज्यादा सशक्त बनाता है मैं नत मस्तक हो गई हूँ तुम्हारे सामने !” मैने यानी वाणी ने रचना से कहा। 

रचना जो अभी कल ही हमारे ऑफिस मे आई थी । नई जॉइनी है रचना जब उसने व्हील चेयर पर ऑफिस मे प्रवेश किया तो सबकी नज़र उसकी तरफ उठ गई । एक खूबसूरत सी लड़की जिसके चेहरे पर मनमोहिनी मुस्कान थी । उसे देख कुछ लोगो के चेहरे पर मुस्कान आ गई और कुछ लोगो को उससे सहानुभूति सी होने लगी । वाणी भी सहानुभूति की नज़र से उसे देखने लगी।

” हेल्लो एवरीवन !” उसने जैसे ही सबसे कहा सब उसके आवाज़ के जादू मे खो से गये । बदले मे सबने उसे भी हेल्लो कहा । 

” मिस रचना ये है मिसेज़ वाणी ये आपको आपका काम समझा देंगी !” ऑफिस की एच आर ने परिचय कराते हुए कहा और फिर वहाँ से चली गई। 

” देखो रचना ये तुम्हारी सीट है आज से तुम्हे यहीं बैठना है और ये फाइल्स चेक कर लो तुम !” वाणी ने रचना को एक मेज के पास जाकर कहा। 

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” धन्यवाद वाणी जी !” वही मनमोहक मुस्कान के साथ रचना ने कहा । 

” लाओ मैं तुम्हारी मदद कर दूँ !” रचना की व्हील चेयर पर हाथ रखते हुए वाणी बोली। 

” नही नही प्लीज मैं कर लूंगी !” मुस्कुराते हुए रचना बोली और धीरे धीरे अपनी चेयर ले अपनी मेज पर चली गई ।

पहले दिन ऑफिस मे लोग उसे बेचारगी की नज़र से देख रहे थे और उसकी मदद को आगे आ रहे थे जिसे वो शालीनता से मना कर रही थी । 

” लगता है मैडम को अपनी सुंदरता का बहुत घमंड है इसलिए अपनी कमी भी नही दिखाई दे रही !” मिस्टर सिंहा ने तो तंज भी कस दिया। 

” अरे कुछ लड़कियों को आदत होती है भाव खाने की भले खुद दूसरों की मोहताज़ ही क्यो ना हो गई हो पर भाव खाना बंद नही होता !” मिस्टर गुप्ता बोले तो सभी हँसने लगे। 

” श….!” काम कीजिये आप सभी !” वाणी ने सबको चुप कराया। 

“very good मिस रचना आप तो अपने काम मे माहिर है पहले दिन के हिसाब से बहुत अच्छा काम किया आपने I am impressed !” शाम को रचना की रिपोर्टिंग करती वाणी ने कहा। 

” thank you so much मेम !” रचना ने वही मनमोहक मुस्कान के साथ कहा और दोनो ने एक दूसरे से विदा ली। 

अगले दिन जब वाणी ऑफिस पहुंची तो रचना को पहले से ऑफिस मे पाया ।

” अरे मिस रचना आप सबसे पहले ऑफिस आ गई वैसे तो ये रिकॉर्ड मेरे नाम था अब तक पर अब शायद टूट जायेगा !” वाणी ने रचना को देख हँसते हुए कहा। 

” नही नही मेम ऐसी कोई बात नही असल मे मेरे भैया मुझे छोड़ते हुए ऑफिस जाएंगे अपने तो इसलिए बस !” रचना ने कहा। 

” good ..वैसे अभी स्टॉफ को आने मे पंद्रह मिनट है चलो इतने एक कॉफ़ी हो जाये !” ये बोल वाणी ने कॉफ़ी का ऑर्डर दे भी दिया और थोड़ी देर बाद कॉफ़ी आ भी गई। 

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” thank you मेम कॉफ़ी की तलब भी बहुत लगी थी जल्दबाज़ी मे घर पर छोड़ आई थी कॉफ़ी । वो एक्सीडेंट के बाद अब ऑफिस जॉइन किया है ना इसलिए थोड़ा देर हो गई थी !” रचना कॉफी देखते ही मुस्कुरा कर बोली ।

” मिस रचना अगर बुरा ना माने तो मैं पूछ सकती हूँ ये एक्सीडेंट हुआ कैसे ?” वाणी ने अपनी जिज्ञासा मिटाने के लिए पूछा। 

” मेम बुरा मानने की कोई बात ही नही असल मे एक साल पहले मैं ऑफिस ही जा रही थी स्कूटी से तभी रास्ते मे कुछ पप्पी खेल रहे थे सामने से आते ट्रक वाले का ध्यान कही और था मै स्कूटी छोड़ उनकी तरफ भागी और …!” अचानक रचना के खूबसूरत चेहरे पर दर्द की लकीरें उभर आई। 

” ओह ..उनको बचाने के चककर मे तुमने अपना पैर गंवा दिया । अफ़सोस तो होता होगा इस बात का ?” वाणी के मुंह से ना चाहते हुए भी निकला।

” नही मेम अफ़सोस कैसा वो पप्पी बच गये थे चार पप्पी की जिंदगी की कीमत मेरी एक टांग थी सौदा बुरा नही था !” रचना अपना दर्द भूल अपनी चिरपरिचित मुस्कान के साथ बोली। 

” तुम भी ना .. वैसे एक बात बताओ जब कल ऑफिस के लोग तुम्हारी मदद को आये तो तुमने इंकार क्यो किया पता है लोग तुम्हे घमंडी समझ रहे थे !” वाणी ने कहा।

” जानती हूँ मेम पर मैं किसी की मोहताज़ नही बनना चाहती । उस एक्सीडेंट से मैं दो महीने मे ठीक हो गई थी पर मैने एक साल बाद वापिस जॉब जॉइन की जानती है क्यो ?” रचना बोली।

” क्यो ..?? 

” क्योकि मैं खुद को इस काबिल बना रही थी कि दूसरों के सहारे के बिना खुद को साबित कर सकूँ ।” रचना बोली।

” पर एक दूसरे के सहयोग और मदद से ही दुनिया चलती है फिर तुम्हे इससे एतराज क्यो ?” वाणी हैरानी से बोली ।

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” कहते है मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है जिसे कदम कदम पर किसे दूसरे की मदद की जरूरत पड़ती ही है जो जन्म लेने ( बिना किसी की मदद संसार मे नही आ सकते ) से मृत्यु तक ( बिना किसी सहारे श्मशान तक नही जा सकते ) चलती है । ये मदद हर कोई एक दूसरे की करता है इसी से संसार चलता है । पर इंसान को दूसरे की मदद लेने और दूसरों का मोहताज़ होने मे फर्क मालूम होना चाहिए ।” रचना के ये शब्द वाणी के मन को छू गये । 

” कितनी खुद्दार हो तुम रचना , तुम कितनो की प्रेरणा बन सकती हो कौन कहता है तुम अपूर्ण हो तुम्हारी ये खुद्दारी , तुम्हारी सोच और जिंदगी के प्रति तुम्हारा सकरात्मक नजरिया तुम्हे हम सबसे ज्यादा पूर्ण , हम सबसे ज्यादा सशक्त बनाता है मैं नत मस्तक हो गई हूँ तुम्हारे सामने !” मैने यानी वाणी ने रचना से कहा। 

” मेम हम अपूर्ण अपने दिमाग़ से होते है वरना ऐसा कोई काम नही जो हम नही कर सकते । हमारे साथ कुछ गलत होता है तो हम रोने धोने मे दूसरों की सहानुभूति पाने मे जिंदगी गुजार देते है जबकि अपने अंदर की ताकत को जगाये तो इतिहास रच सकते है बस वही कोशिश है मेरी । देखते है कितनी सफल होती हूँ मैं ।” रचना मुस्कुराते हुए बोली और अपनी।सीट पर चल दी क्योकि अब स्टॉफ आने लगा था । 

कल ऑफिस मे सबकी बात सुन वाणी को भी एक बार को तो लगा था कि शायद रचना घमंडी है पर आज उसे समझ आया ये घमंड नही आत्मसम्मान है । उसे सडक किनारे भीख मांगते अच्छे खासे नौजवानों का ध्यान आया जो सब कुछ होते हुए भी भीख मांगते है , सही मायने मे अपूर्ण तो वो है शरीर से नही दिमाग़ से क्योकि जो मेहनत करने का जज्बा रखते है वो तो कभी अपनी अपूर्णता को खुद पर हावी ही नही होने देते। 

आज रचना से वाणी को बहुत कुछ सीखने को मिला था क्योकि रचना ने अपने साथ हुए हादसे के लिए ना ईश्वर को दोष दिया ना किस्मत को , ना वो किसी की मोहताज़ बनी बल्कि वो तो प्रेरणा बनी थी जाने कितनो की। 

#मोहताज़

आपकी दोस्त 

संगीता अग्रवाल

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