Moral Stories in Hindi : निशा की जब से शादी हुई थी सरला जी उसके हर काम में कमिया ही निकलती रहती थी। निशा हर काम बहुत मन लगाकर करती थी किंतु सरला जी को उसका किया हुआ कोई काम पसंद ही नहीं आता था।उसके पति मानव ने उसे शादी से पहले यह बता दिया था कि उसकी मां ऊपर से सख्त जरूर है लेकिन दिल की बहुत अच्छी हैं ।
मेरे पापा की मौत के बाद उन्होंने मुझे बहुत संघर्षों से पाला था । निशा उनके अनुसार ढलने की बहुत कोशिश करती थी लेकिन सरलाजी ने जैसे कसम ही खा ली थी उसे नीचा दिखाने की ,वह बहुत घुटने लगी थी उसने जब-जब मानव से इस बारे में बात करनी चाही उन्होंने यही कहकर टाल दिया कि मेरी मां के सिवाय मेरा इस दुनिया में कोई नहीं है।
वह जैसी भी हैं हमें निभाना ही पड़ेगा इस उम्र में हम उनकी आदतें नहीं बदल सकते। सरला जी किसी को भी बिना नहाए रसोई में नहीं जाने देती थी, और निशा को सुबह उठते ही चाय पीने की आदत थी। निशा स्वभाव से बहुत हंसमुख थी लेकिन धीरे-धीरे वह बहुत मुरझा गई थी ।
मानव कभी सरला जी को अगर समझाने की कोशिश भी करता तो वह उससे भी नाराज हो जाया करती थी मानव निशा से अक्सर यही कहा करता था ,आज मां तुम्हारी कदर नहीं जानती लेकिन मुझे भरोसा है एक दिन वह तुम्हें जरूर समझेंगी निशा मानव की मजबूरी भी समझती थी।
एक दिन निशा रसोई में काम करते हुए चक्कर खाकर गिर जाती है, तभी सरलाजी और मानव उसे उठाकर बिस्तर तक लेकर आते हैं। उसे बहुत तेज बुखार था। टेस्ट करने पर टाइफाइड निकलता है डॉक्टर ने उसे 15 दिन का आराम करने की सलाह दी थी।
निशा को चिंता थी कि सासू मां घर के काम के साथ-साथ मेरा ध्यान कैसे रख पाएंगी। निशा के माता-पिता उसे कुछ दिन अपने साथ ले जाने के लिए कहते हैं लेकिन सरला जी यह कहकर मना कर देती हैं कि निशा की जिम्मेदारी मेरी है , मैं इतनी खुदगर्ज नहीं हूं।
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आज इसे मेरी जरूरत है तो मैं इसे अकेला नहीं छोड़ सकती। सरला जी निशा का बहुत ध्यान रखती हैं उसके खाने के लिए हल्का भोजन भी वे अपने हाथों से ही बनाती थी । उन्होंने एक बेटी की तरह ही निशा का पूरा ध्यान रखा उनकी प्यार भरी देखभाल से निशा 15 दिन में बिल्कुल ठीक हो जाती है।
एक दिन वह उसके पास बैठकर उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहती हैं।निशा तुम मेरी बहू नहीं बेटी हो मैंने तुम्हारे साथ रुखा व्यवहार इसलिए किया क्योंकि मैं जिंदगी का हर रूप तुम्हें दिखाना चाहती थी ताकि तुम जिंदगी की हर कठिनाइयों का सामना अच्छे से कर सको।
मैंने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया है दुनिया देखी है मैंने, उम्र के इस मोड़ पर मेरा कोई भरोसा नहीं है। मैं तुम्हें गृहस्थी का हर हुनर सिखाना चाहती थी जिसके लिए सख्त होना जरूरी था तुम दोनों के सिवाय मेरा कोई नहीं है मैं तुम्हारी कदर कैसे नहीं जानूंगी?
निशा रोते हुए अपनी सास को देखे जा रही थी अपलक, क्योंकि उसने अपनी सास का यह रूप तो देखा ही नहीं था, तभी उसकी सास उसे गले लगा कर कहती है -“अब मत कहना सासू जी तूने मेरी कदर नहीं जानी।” पास में खड़े मानव की आंखों में भी आंसू आ जाते हैं लेकिन खुशी के।
पूजा शर्मा