आक्रोश – अविनाश स आठल्ये

क्या समझ रखा है तुमने प्रशासन को?
कितना भ्र्ष्टाचार करोगे? कुछ ईमान धर्म बचा है या पूरा ज़मीर बेच खाये हो? श्रीवास्तव साहब ने “आक्रोश” से भरकर “बड़े बाबू”  मेश्राम की फ़ाइल को फेंकते हुये कहा…

जी सर.. यहाँ तो ऐसा ही चलता था, पहले वाले SDM साहब भी ऐसी ही फाइलों में दस्तख़त कर दिया करतें थे, जिसके एवज में ठेकेदार बिना कुछ कहे 5% कमीशन का लिफ़ाफ़ा पकड़ाकर चला जाता था। मोहंती बाबू ने बीच में टोकते हुये बड़े बाबू मेश्राम जी का बचाव किया।

ओह.. मतलब पूरा का पूरा महक़मा ही बिक चुका है.. मुझे अपनी तरह बिकाऊ मत समझो, नियम पर काम होगा और वह भी पूरी गुणवत्ता के साथ, जिस ठेकेदार के काम में खोट निकली उसे ब्लैकलिस्ट करके, पेमेंट रुकवा दूँगा।

“जी साहब गलती हो गई” कहकर उस फ़ाइल के पन्ने समेटते हुये मेश्राम बाबू ने कहा, मैं फाइल सही करके लाता हूँ।
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अनुराग श्रीवास्तव ने हाल ही में सिविल परीक्षा उत्तीर्ण करके, अपनी ट्रेनिंग लेने के पश्चात, पहली पोस्टिंग  मंडला जिले की नैनपुर तहसील पर जॉइन की थी..लिहाजा उनके अधीनस्थ काम करने वाले स्टाफ़ को उनके बारें में कोई भी पूर्व जानकारी प्राप्त नहीं होने से मेश्राम बाबू से इतनीं बड़ी भूल हो गई… वरना सरकारी योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री सड़क योजना, नहर योजना, तालाब बनवाना, मनरेगा के तहत पंचायत के काम निकलवाने के एवज में सभी ठेकेदार 5% कमीशन इस पद पर आसीन अधिकारी को देकर 50% निधि से काम करवाकर ख़राब गुणवत्ता के बावजूद कार्य पूर्ण दर्शाकर पूर्ण भुगतान प्राप्त कर लिया करतें थे।

यह ठेकेदार एक दूसरे से इस तरह जुड़े हुये रहतें थे कि सभी मिलकर ऊँचे दर पर टेंडर प्राप्त कर लिया करतें थे, सरकारी महकमें में इन ठेकेदारों की इतनीं पहुंच थी कि इनकी बात न मानने वाले तहसीलदार और SDM का तो स्थानीय विधायक से कहकर तबादला तक करा दिया करतें थे।

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कहतें हैं कि इस लूट का एक हिस्सा विधायक तक के खाते में भी जाया करता था। शायद यही वजह थी कि यह ठेकेदार बेधड़क भ्र्ष्टाचार करके भी इस सरकारी सिस्टम का हिस्सा बने हुये थे, उस नैनपुर तहसील में जॉइन करने वाले हर SDM, तहसीलदार की पूरी कुंडली इन ठेकेदारों को पता होती थी, इसलिए वह बिना कुछ माँगें ही SDM साहब की कमीशन का लिफ़ाफ़ा उनके पास पहुंचा दिया करतें थे, जो कोई SDM इस कमीशन को लेने से मना करता तो उसे उसके पूर्व क्षेत्र के ठेकेदार की डीलिंग का हवाला देकर, बेशर्मी से कह देते, कि वह जानतें है कि “इस हमाम में तो सभी नंगे हैं”।
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हालांकि मेश्राम बाबू को पहले से पता थी कि उस फ़ाइल में गड़बड़ी कहां पर है, फिर भी उन्होंने फ़ाइल में गड़बड़ी सुधारने के नाम पर शाम निकाल दी, ऑफिस ख़त्म होते ही वह घर न जाकर सीधा उस फ़ाइल से सम्बंधित ठेकेदार  “विपुल खुराना” के घर पहुंच गया।




विपुल खुराना ने अपने लड़के को चाय बनवाने का कहकर मेश्राम बाबू के आते ही पूछा, क्या बात हैं मेश्राम बाबू, इससे पहले तो मेरी फ़ाइल दो-चार दिन तक साहब के टेबल पर दस्तख़त के लिए पड़ी रहती थी, तुम तो आज के आज ही दस्तख़त करा लाये, कैसा है ये नया छोरा?

मेश्राम बाबू ने चाय की चुस्की लेते हुये विपुल खुराना से कहा, इसीलिए तो ऑफ़िस छूटते ही भागा भागा आप तक आया हूँ, यह नया साहब बहुत ही टेढ़ा आदमी लगता है, आपको इसके लिए कुछ “इंतज़ाम” करना पड़ेगा।

अरे कोई टेंशन मत लो, बहुत आते रहतें हैं ऐसे छोरे, एकाध प्रतिशत कमीशन बढ़ा दो तो “जूते चाटते नज़र आएंगे” ये लाट साहेब.. विपुल खुराना ने मूछों पर ताव देते हुए कहा।

मेश्राम बाबू ने जवाब दिया- बुरा मत मानना, नया साहेब जूते चाटने में नहीं, जूते चटवाने में यक़ीन करता है। कहकर अपना चाय का जूठा कप पानी से धोकर वहां से चला गया।
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हेलो ठाकुर साहेब….
(मेश्राम बाबू के जाते ही विपुल खुराना चिंतित होकर, स्थानीय विधायक भूपेंद्र सिंह को फोन लगाकर बात करता है)

हाँ बोलो.. विधायक भूपेंद्र सिंह ने कहा..

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ठाकुर साहब, वो नये SDM साहेब आये हैं न उनका कुछ इंतज़ाम करना पड़ेगा आपको, ये नया छोरा पानी में रहकर मगरमच्छ से बैर ले रहा है।
विपुल खुराना ने बिना वक़्त गंवाये मुद्दे पर आते हुये कहा।

कितनी दफ़ा कहा तुझसे कि ऐसी बातें फ़ोन पर नहीं होती..तू दो दिन बाद आकर मुझे मिल अभी में पार्टी अधिवेशन मीटिंग में व्यस्त हूँ, कहकर विधायक ने फ़ोन काट दिया।

अगले दिन SDM कार्यालय में मेश्राम बाबू सुबह सुबह उस फाइल्स को सारी गलतियों को “हाई लाइटर से मार्क” करके SDM साहब के टेबल पर रख देतें हैं।




SDM उस फाइल को सरसरी नज़र से देखते हुए  फाइल के कवर पर ध्यान देतें हैं।

ह्म्म्म  “वी. के. कंस्ट्रक्शंस”.. आज इसके साल भर के वर्क ऑर्डर्स, वर्क रिपोर्ट, प्रोजेक्ट कॉस्ट, और पेमेंट ट्रांजेक्शन की रिपोर्ट बनाकर शाम तक मुझे दो जरा, और सुनो काम ज्यादा बड़ा है इसलिए साथ मे दो बाबू भी ले लो, मग़र सारी डिटेल्स मुझे आज शाम तक ही चाहिए।

कल की दुत्कार से आहत मेश्राम बाबू को आज SDM साहब का प्यार भरा लहजा केयरिंग लगा, सारे घपले तो उसे पता ही थे, फिर भी SDM स्टाफ के दो बाबू को लेकर लगभग साढ़े तीन बजे तक सारी डिटेल्स सूचीबद्ध तरीके से करके SDM साहेब के चेम्बर पंहुचता है। SDM साहेब उस समय अपने कोर्ट में व्यस्त थे, इसलिए मेश्राम बाबू वह फाइल उनकी टेबल पर  सबसे ऊपर रखकर अपने काम में व्यस्त हो गये।

शाम लगभग 5 बजे जब अनुराग श्रीवास्तव अपने SDM कोर्ट से फ्री होकर, चेम्बर में बैठते हैं तो विपुल खुराना की कम्पनी “वी के कंस्ट्रक्शन्स” के भ्र्ष्टाचार की फाइल उनके टेबल पर रखी देखतें हैं।
फाइल पढ़ते पढ़ते ही वह अपने अर्दली को भेजकर मेश्राम बाबू को बुलाते हैं।

मेश्राम बाबू को खुद अपने हाथ से चाय देते हुये SDM साहब बोले, मैं इस विपुल खुराना को ऐसा सबक सिखाऊंगा कि जिंदगी भर याद रखेगा यह…

हमारे साल भर के काम का सबसे बड़ा “वेंडर ” हैं यह ..लगभग 10 करोड़ की योजनाओं पर कार्य करने के बिल लगाकर पेमेंट भी निकलवा चुका है यह..

इसे फ़ोन लगाओ कल हम खुद CO मेडम और पूरी टीम के साथ इसके पूरे कामों का निरीक्षण करने जायेंगे, इंस्पेक्टर मुकेश शुक्ला को भी साथ ले चलेंगे जरा भी अनियमितता साबित हुई तो सीधा उठाकर जेल में डाल दूँगा।

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साहब मेरे पास इसका फोन नम्बर नहीं है, कहकर बड़ी कठिनाई से वह चाय हलक से उतारते हुये मेश्राम बाबू ने कहा..उसे आज SDM साहेब का अपने हाथों से चाय बनाकर पिलाने वाला रूप, कल के फाइल फेंककर आक्रोशित होने वाले रूप से ज्यादा घातक लगा।

अरे !! मैंने कब कहा कि आपके पास विपुल का फोन नम्बर है..

यह बिल और उनके लेटर हेड पर जो मोबाईल नम्बर लिखा है, उस पर फोन लगाकर कल सुबह 9 बजे SDM ऑफिस आने को कहो..अनुराग श्रीवास्तव ने कहा।

मेश्राम बाबू ने जानबूझकर “वी के कंस्ट्रक्शन्स ” के बिल से दूसरा मोबाइल नम्बर लेकर उस पर फ़ोन लगाया, वह नम्बर वी के कंस्ट्रक्शन के मैनेजर आहूजा जी का था।

उस नम्बर पर रिंग जाते ही SDM अनुराग श्रीवास्तव ने मेश्राम बाबू को फोन स्पीकर पर रखने को कहा…

हेलो..हेलो..वी के कंस्ट्रक्शन्स से, मैं SDM ऑफिस से बड़ा बाबू बोल रहा हूँ मेश्राम..आप…(मेश्राम बाबू ने जानबूझकर यूँ कहा कि वह किसी अपरिचित से बात कर रहा है)

उधर से वी के कंस्ट्रक्शन्स के मैनेजर आहूजा ने मेश्राम बाबू को बीच में ही टोकते हुये कहा, अरे आपको अपना परिचय देने की जरूरत कब से पड़ गई , आपका नम्बर तो सेव हैं न हमारे पास, आदेश कीजिये कैसे याद किया आपने मुझे?

कल विपुल जी को लेकर, SDM ऑफिस पहुँच जाइयेगा सुबह 9 बजे, SDM साहब ने याद किया है… मेश्राम ने आहूजा की बातों को दबाते हुये कहा..

अरे आपके पास हैं न साहब का नम्बर आप ही बता दो न साहेब को, मेरी बात को विपुल साब इतना गम्भीरता से नहीं लेंगें, आहूजा अनभिज्ञ था कि मेश्राम बाबू का फोन स्पीकर पर है।
इन बातों को सुनकर SDM अनुराग श्रीवास्तव समझ चुके थे कि मेश्राम के विपुल खुराना से अच्छे संबंध है।

वैसे भी किसी का व्यकिगत मोबाईल फोन यूँ सुनना, उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता इसलिए SDM साहेब ने इस बात को तवज्जो नहीं दी।

इधर कुछ देर बाद से विपुल खुराना परेशान होकर कभी मेश्राम को फोन लगाता तो क़भी विधायक को, मग़र दोनों ही उसका फोन नहीं उठा रहे थे। रात को विधायक से बात होने पर विधायक भूपेंद्र सिंह ने साफ़ कह दिया कि चुनावी वर्ष है, वह जनता के विरोध में कोई काम नहीं करेंगे, वैसे भी वह नया SDM नियम के हिसाब से ही कार्यवाही कर रहा है, अभी उसका ट्रांसफर कराने का मतलब खुद पर भी कीचड़ उछालना होगा।
                  ★★★
दूसरे दिन सुबह 9.00 बजे ही SDM साहेब के पहुँचते ही विपुल खुराना एक गुलदस्ता और काजू कतली की मिठाई का डिब्बा अनुराग श्रीवास्तव को देते हुये बोला, साहेब आपका हमारे क्षेत्र में हार्दिक स्वागत है, थोड़ा सा समय देते तो हम आपकी अच्छे से मेजबानी करते..

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अनुराग श्रीवास्तव ने मिठाई का डिब्बा और गुलदस्ता वहीं टेबल पर पटककर विपुल खुराना से कहा, मेजबानी तो हम भी करेंगे आपकी अच्छे से, बस थोड़े से सबूत की दरकार हैं।
SDM साहेब के “आक्रोश से भरे तेवर” देखकर उसने चुप रहने में ही भलाई समझी। उसे मेश्राम बाबू के शब्द ध्यान आ गये कि “साहेब जूते चाटने में नहीं, जूते चटवाने” में विश्वास करतें हैं।

थोड़ी देर में एक दूसरी गाड़ी से “सी ओ मेडम ” एवम इंस्पेक्टर मुकेश शुक्ला भी 4 कॉन्स्टेबल के साथ अपनी जिप्सी में काफिले के साथ मे शामिल हो गये।

लगभग आधा घण्टे बाद मेश्राम बाबू एक स्थान पर गाड़ी रोकते हैं, वहां की सड़क निर्माण का ठेका “वी के कंस्ट्रक्शन्स” ने  लिया था।
दो लेबर एवम इंजीनियर ने सड़क के दोनों किनारे पर डाम्बर रोड की मोटाई नापी, फिर सड़क के बीचो बीच गढ्ढा किया दो इंच में ही जमीन की मिटटी बाहर निकलने लगी, इस कार्यवाही की  वीडियोग्राफी कराई गई।

वी.के. कंस्ट्रक्शन्स के द्वारा निर्मित “आंगनबाड़ी भवन” की दीवार को फोड़कर ईंट के साथ सीमेंट और रेत के मिश्रण का सेम्पल लिया गया।

नलकूप खुलवाकर पत्थर बंधी रस्सी डालकर नकलुप के बोर की गहराई नापी गई.. उनकी बारीकी से की जा रही कार्यवाही को देखकर दोपहर तक ही विपुल खुराना हताश हो गया और उसने हथियार डाल दिये..

उसने SDM साहेब से कहा, साहेब मैं अपनी गलती मानने को तैयार हूँ, बताइये क्या करना है मुझे?

SDM अनुराग श्रीवास्तव ने हाथ दिखाकर वहां उपस्थित कर्मचारियों को कार्यवाही रोकने कहा और सभी को अपने अपने ऑफिस पहुंचने का आदेश दिया।

वह विपुल खुराना के साथ उसकी “बी एम डब्ल्यू” में बैठ गये।

तो आपके साथ साथ इस सबमें कौन कौन मिला हुआ है? अनुराग श्रीवास्तव ने विपुल खुराना से पूछा..

जी आपका पूरा स्टाफ, विधायक, ट्रेजरी डिपार्टमेंट, सिविल इंजीनियर और वह सी ओ मेडम सहित सभी लोग, टेंडर निकालने से लेकर पेमेंट आने तक के सिस्टम में आना वाला हर व्यक्ति..विपुल खुराना ने सरलता से जवाब दिया।

और कितने प्रतिशत खुद के लिए बचा लेते हो? अनुराग श्रीवास्तव का अगला प्रश्न था…

जी मुझे 15 प्रतिशत नेट मुनाफा चाहिए होता है। विपुल खुराना ने कहा।

तो अब से अपना “नेट प्रॉफिट 5 प्रतिशत कम करके मेरे कमीशन में ऐड करके मुझे 10 प्रतिशत दिया करोगे?” शिकार को चुंगुल में दबोचते हुये SDM अनुराग श्रीवास्तव ने कहा।

मालिक आपका हुकुम सर आँखों पर, सहसा विपुल खुराना के चहरें में मुस्कान आ गई….

और अभी इस कार्यवाही को रोकने के एवज में? SDM अनुराग श्रीवास्तव ने अगला प्रश्न किया?

आप चिंता न करें हुजूर इंस्पेक्टर साहेब, सी ओ मेडम , सिविल इंजीनियर, और आपके पूरे महकमे में आज रात तक “मिठाई” पहुंच जायेगी.. आपके लिए मैं महिंद्रा स्कार्पियो का बेस्ट मॉडल बुक करवा देता हूँ।

बहुत बार ऐसे “आक्रोश “की एक कीमत होती है, जिसे मिलते ही वह आक्रोश स्वतः ही समाप्त हो जाता है।सजाकर रखी हैं दुकानें अपनी, मग़र खरीददार नहीं मिलतें,
बिकता ईमान भी है यहां, बस मनमाफ़िक दाम नहीं मिलतें।
अवि
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अविनाश स आठल्ये
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