दीवार – खुशी : Moral Stories in Hindi

नमिता जी दो बेटों नितिन और निलेश की मां थी एक बेटी आराधना जिसकी शादी की जिम्मेदारी से वो मुक्त हो चुकी थी।पति राजेश जी नाक की सीध में चलने वाले व्यक्ति थे।सुबह दफ्तर और दफ्तर से घर यार दोस्त भी नाम मात्र के थे।इसलिए पूरा निजाम नमिता के पास था।नितिन मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता था और निलेश बैंक में।नमिता जी ने तीनों बच्चों को अच्छे संस्कार दिए एक साथ मिल कर रहना सिखाया।दोनो भाई अपनी बहन पर जान छिड़कते थे और एक दूसरे का भी

ख्याल रखते थे।नमिता जी चाहती थीं कि घर में अब बहुएं आ  जानी चाहिए। नमिता जी बच्चों से फ्रैंक थी तो उन्होंने पूछा भई अगर तुम्हारी  कोई पसंद हो तो बताओ वरना मैं खुद ढूंढू लड़कियां।नितिन बोला आप ही देखिए और निलेश ने कहा मै वर्मा अंकल की बेटी रागिनी से शादी करना चाहता हूं।मै उसे कॉलेज टाइम से पसंद करता हूं तो आप मेरा  रिश्ता उसके लिए ले कर जाए।नमिता बोली मुझे कोई एतराज नहीं पर रागिनी की मां सुधा एक तेजतर्रार महिला है तो मै कैसे यकीन करू रागिनी ऐसी

नहीं होगी।निलेश बोला मम्मा में उसे बहुत लंबे समय से जनता हूँ वो अपनी मां जैसी नहीं हैं।प्लीज मम्मी मै उसी से शादी करूंगा।नमिता बोली पहले नितिन के लिए लड़की तलाश करते हैं। नमिता जी ने नितिन के लिए विधि का चुनाव किया।विधि टेलीफ़ोन एक्सचेंज में काम करती थी सरकारी नौकरी थी।आज कल के दौर में टेलीफोन का चलन भी कम हो चुका है तो ऑफिस में भी ऐसा कोई खास काम नहीं होता था और निलेश की जिद पर रागिनी का रिश्ता भी निलेश से तय हो गया।दोनो की

शादी का एक ही महुरत निकाला गया। रागिनी और विधि का गृह प्रवेश हुआ।रागिनी एक स्कूल में इंग्लिश टीचर थी जो बारहवीं के बच्चो को पढ़ाती थीं।रागिनी की मां ने उसे सीखा कर भेजा था कि तेरी मांग और पसंद की शादी है निलेश को मुट्ठी में रखना जिससे तेरा घर पर दबदबा बना रहे ।विधि सीधी साधी लड़की थी जितना काम बता दो वो कर देती घर को अच्छे से संभाल लिया था उसने ऑफिस लेट जाती तो सुबह का नाश्ता खाना सब उसकी जिम्मेदारी क्योंकि रागिनी स्कूल जाती थी सुबह जल्दी

शाम को भी कभी निलेश रागिनी घूमने चले जाते या फिर उसकी मम्मी के यहां।नमिता दबे शब्दों में नीलेश को कई बार बोल चुकी थी कि समझा रागिनी को घर उसका भी है अकेली विधि काम करती हैं चलो सुबह उसे वक्त नहीं पर शाम को रोज सैर सपाटा।एक दिन नमिता ने यही बात रागिनी से भी कही तो वो पट बोली मै तो पसंद की हूँ मै क्यों काम करूं। नमिता बोली इसका क्या मतलब विधि भी हमारी पसंद की है और तुम्हारा तो बचपन से इस घर में आना जाना लगा है फिर तुम ऐसी बातें कर

रही हो अपनी जिम्मेदारी समझो।रागिनी ने अपनी मां को बताया कि मेरे पीछे काम को लेकर पड़ी रहती हैं।मां ने पट्टी पढ़ाई अगले दिन सुबह रागिनी ने अपना और निलेश का नाश्ता बनाया लंच उसने निलेश को ऑफिस की मेस में खाने को बोल दिया और खुद भी कैंटीन में खा लिया और विधि को बोली हम पर नाश्ते खाने का एहसान मत करना।निलेश जब नाश्ते की टेबल पर आया तो उसमें ब्रेड जैम रखा था जो निलेश को बिल्कुल पसंद नहीं था वो बोला मां मै ये नहीं खाऊंगा आप पराठा दो या

कुछ और ।विधि पराठा ले आई निलेश ने नाश्ता किया और लंच भी विधि ने पैक कर दिया।शाम को जब निलेश घर आया तो रागिनी ने पूछा मेस में क्या खाया निलेश बोला मै तो लंच लेकर गया था क्यों जब मैने कहा था तो तुम लंच क्यों ले गए मैने कहा था कि मेस में खा लेना।निलेश बोला मुझे मेस का खाना कम पसंद है और सुबह भी तुम ब्रेड रख गई थी मुझे ब्रेड से पेट दर्द होता है तो प्लीज़ मेरे लिए

पराठा बना दिया करो।चलो खाना लगा दो भूख लग रही हैं।खाना तो मैने नहीं बनाया तभी नमिता जी की आवाज आई बच्चो खाना खा लो। चलो मां बुला रही हैं निलेश और रागिनी नीचे आए।बस निलेश रागिनी नमिता और राजेश की खाने की टेबल पर थे।निलेश बोला भैया कहा है।नमिता बोली वो दोनों बाहर गए हैं।रागिनी बोली मुझे तो आप रोकते टोकते हो उसे कुछ नहीं कहा महारानी घूमने चली गई।नमिता बोली वो तो जाना ही नहीं चाहती थीं वो तो मैने ही भेजा खाना भी बनाकर गई है।रागिनी बड़बड़ाने लगी और अपनी मां के यहां चली गई।निलेश ने समझाया पर वो नहीं मानी निलेश बोला

ठीक है जैसे जा रही हो वैसे खुद ही आना।रागिनी रोती हुई घर पहुंची और झूठी सच्ची कहानी सुनाई ।मां बाप दोनो निलेश के घर लड़ने पहुंच गए। सुधा बोली मेरी बेटी का गुजारा अब तुम्हारे साथ नहीं होगा।इन्हें अलग कर दो इनका हिस्सा देकर निलेश बोला मम्मी जी आप क्या कह रही है ये मेरा परिवार है मै अलग नहीं होऊंगा।रागिनी बोली तो मुझे तलाक दे दो।मै  इनके साथ नहीं रहूंगी।नमिता जी बोली ठीक है तुम्हारी यही इच्छा है तो यही सही दो दिन का समय दो।सुधा बोली तब तक रागिनी हमारे यहां रहेगी । नमिता ने अगले दिन मिस्त्री बुला घर के दो बंटवारे कर दिए। रागिनी निलेश एक

हिस्से में और नमिता राजेश विधि और नितिन एक हिस्से में नीलेश का तो हाल बुरा था खर्चा बढ़ रहा था रोज बाहर का खाना रोज ससुराल में जाना घर गंदा पड़ा रहता कपड़े बिना धुले हुए।निलेश परेशान था।उसी बीच रागिनी के मां बनने की ख़बर आई शुरू का टाइम बड़ा ही मुश्किल था उसे उल्टियां होती कमजोरी रहती पर क्या करे सब अकेले करना पड़ता क्योंकि उसकी मां सपने बेटे के पास पुणे गई हुई थी।एक दिन सुबह रागिनी चक्कर खा कर गिर पड़ी।निलेश ने जल्दी से नमिता को बुलाया ।

रागिनी को डॉक्टर के यहां ले गए वो कमजोर थी।नमिता उसे घर ले आई। विधि और नमिता दोनो उसका ध्यान रखती।रागिनी को अपनी गलती का एहसास हो रहा था।वो दोनों से माफी मांगने लगी।नमिता बोली घर तो परिवार से बनता है ना कि दीवार से बेटा परिवार में मिलकर रहो तो सब एक साथ है पर इसे तोड़ दो तो सब बिखर जाएगा।इसी लिए जुड़े रहो मतभेद होते है मनभेद नहीं होना चाहिए।रागिनी बोली निलेश ये दीवार तोड़ दो मै अपने परिवार के साथ रहूंगी एक छत के नीचे।

नमिता जी मुस्कुराई और निलेश बोला मुझे कुछ खिला दो  भूख लगी है। सब हस पड़े।

परिवार फिर एक धागे में बंध गया।

स्वरचित कहानी 

आपकी सखी 

खुशी 

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