विश्वास को खोते देर नहीं लगती – रेनू अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

प्रीति बहुत गहरी सोच में डूबी हुई थी। उसके सामने एक ऐसी सच्चाई खड़ी थी, जो उसके घर का सुख-चैन छीन सकती थी। एक तरफ़ परिवार का रिश्ता था और दूसरी तरफ सच्चाई का बोझ। अगर वह मुंह खोलती तो उसका ही घर बिखर सकता था। लेकिन अगर चुप रहती, तो एक बेगुनाह कामवाली पर बार-बार इल्ज़ाम लगता रहता।

प्रीति का देवर उसी के हाथों पला-बढ़ा था। उसने उसे बेटे की तरह प्यार और परवरिश दी थी। उसकी शादी भी प्रीति ने बड़े चाव से कराई थी। सभी कहते थे कि प्रीति ने जो किया, वैसा कोई अपनी औलाद के लिए भी नहीं करता। देवरानी रीना गरीब परिवार से थी, लेकिन संस्कारी और सीधी-सादी लगती थी। लेकिन कहते हैं ना किसी के अंदर नहीं झांंका जा सकता। शादी के बाद जब वह इस सम्पन्न घर में आई, तो चीजों की चमक-दमक देखकर खुद को संभाल न सकी। धीरे-धीरे उसकी पुरानी आदतें, जो गरीबी में पनपी थीं, उभरने लगीं।

शादी के कुछ समय बाद घर से छोटी-छोटी चीजें गायब होने लगीं—कभी रुमाल, कभी कुछ। शक कामवाली पर गया, जो पिछले 20 सालों से ईमानदारी से काम कर रही थी। प्रीति को उस पर पूरा विश्वास था, लेकिन सबका शक उसी पर जा रहा था।

फिर एक दिन, प्रीति की अलमारी से चांदी के सिक्के गायब हो गए। उसने सोचा शायद भूल गई होगी। लेकिन जब उसके घर चाची आईं और उनके कीमती कान के झुमके अचानक गायब हो गए, तो बात गंभीर हो गई। चाची को याद आया कि झुमके उन्होंने टेबल पर रखे थे, लेकिन वापसी पर नहीं मिले।

कुछ दिन बाद, जब चाची अपने मायके गईं तो रीना की एक सोशल मीडिया फोटो में उन्होंने वही झुमके पहने देखे। वे समझ गईं, लेकिन उन्होंने सीधे कुछ नहीं कहा। उन्होंने सिर्फ़ प्रीति को बताया। प्रीति यह जानकर सन्न रह गई। पहले तो विश्वास नहीं हुआ, लेकिन जब फोटो देखी, तो यक़ीन करना पड़ा।

प्रीति ने रीना से बात की। पहले तो वह मुकर गई, फिर जब प्रीति ने कड़ा रुख अपनाया, तो रीना फूट-फूटकर रोने लगी और माफी माँगी। बोली, “भाभी, वो झुमके बहुत पसंद आ गए थे, माफ कर दो।”

प्रीति ने प्यार से समझाया, “बेटा, कोई चीज़ पसंद आ जाए, इसका मतलब ये नहीं कि उसे चुरा लिया जाए। तुम मुझसे कहतीं तो मैं उससे भी सुंदर झुमके दिलवा देती। लेकिन तुमने मेरा नहीं, चाची का विश्वास तोड़ा है। विश्वास एक बार चला जाए तो वापस नहीं आता।” विश्वास होते देर नहीं लगती।

प्रीति ने रीना को माफ कर दिया, यह सोचकर कि अगर उसकी अपनी बेटी ऐसी गलती करती, तो भी वह माफ कर देती। रीना ने वादा किया कि वह दोबारा कभी ऐसी गलती नहीं करेगी। उसकी आंखों में पश्चाताप साफ़ दिख रहा था।

रीना मन ही मन सोचने लगी — “मेरी जेठानी जैसी औरत अगर सबको मिले, तो हर लड़की सुधर सकती है।”

शिक्षा:

विश्वास बहुत कीमती होता है। उसे बनाए रखने के लिए ईमानदारी जरूरी है। गलती किसी से भी हो सकती है, लेकिन उसे स्वीकार करके सुधार लेना ही असली इंसानियत है।

रेनू अग्रवाल

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