आनंदी सुबह उठते ही सबसे पहले घर के पिछवाड़े में पहुँची और पिंजरे में बन्द तोते को पिंजरा खोलकर आज़ाद कर दिया…….
तोता थोड़ी देर तक आँगन में इधर उधर भटकता रहा …… जैसे पंखों में दम भर रहा हो…. फिर अपनी पूरी शक्ति लगाकर वहाँ से उड़कर आसमान की ओर चला गया ।
आनंदी आँखों में आँसू भर कर ….. उसे खुले आसमान में उड़ते हुए देख रही थी ….. जब वह आँखों से ओझल हो गया तब वह धीरे से उठकर रसोई की ओर बढ़ गई……
आज उसका दिल रो रहा था क्योंकि कल शाम को गोदावरी एक्सप्रेस में उसका इकलौता बेटा ….. अजय अपनी पत्नी सारिका के साथ हैदराबाद चला गया था ।
आनंदी बार-बार अपने पति से कह रही थी कि हमारा बेटा कितना पत्थर दिल का हो गया है वही …….. हमें रोते हुए देख कर भी छोड़कर चला गया है ।
प्रकाश विशाखापत्तनम में एक सेंट्रल स्कूल में विज्ञान के अध्यापक थे ……. तीन साल पहले रिटायर हो गए थे……
उनके इकलौते बेटे अजय ने यहीं से पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री हासिल की है ……उसे बिना किसी परेशानी के वहीं पर एल आई सी में नौकरी मिल गई ।
माता-पिता की खुशी का ठिकाना नहीं रहा … बेटा हमारे साथ ही रहेगा…… प्रकाश ने बहुत पहले ही वहाँ के पॉश एरिया में इंडिपेंडेंट घर बना लिया था ।
अजय को जैसे ही नौकरी मिली उसकी शादी
प्रकाश के दूर के रिश्तेदार की लड़की सारिका से कर दी। सारिका और आनंदी में अच्छी पटती थी ……. वे सारे काम मिलजुलकर कर लेती थीं ।
दो महीने पहले अजय ने घर में एक बाम्ब फोड़ा कि उसका ट्रांसफ़र हैदराबाद हो गया है । आनंदी के मुँह से एक शब्द नहीं निकला …….. वह आँखें फाड़कर अजय की तरफ़ देखती रही । प्रकाश ने कहा बहुत बढ़िया तुझे वहाँ कब जाना है ?
आनंदी ग़ुस्से से प्रकाश की तरफ देख कर कहती है ….. आप भी उसे ही शह दे रहे हैं… प्रकाश ने आनंदी को समझाया…. अजय की तरक़्क़ी के बीच हमें नहीं आना चाहिए …….. आज वह प्रमोशन नहीं लेगा तो आगे कैसे बढ़ेगा ….. इसलिए ग़ुस्सा मत कर चुप रह जा ।
आनंदी ने अजय से फिर भी पूछा तुम्हारा दोस्त कुमार है ना वह तो …. यहाँ आठ साल से काम कर रहा है …. उसका ट्रांसफ़र तुमसे पहले होना चाहिए था ….. लेकिन तुम्हारा ट्रांसफ़र कैसे हो गया ?
अजय ने हँसकर कहा , माँ ! उसने बहुत ही स्ट्राँग रिकमेंडेशन करावाया है….. तब जाकर वह यहाँ रह सका है ….. मेरा तो ऐसा नहीं है ना ?
सुन!! अजय रिटायर होने के बाद से …. तुम्हारे पिताजी की तबियत ठीक नहीं चल रही है …… ऐसे में तुम हमारे साथ नहीं रहोगे तो कैसे चलेगा ?
अजय माँ को तसल्ली देता है कि आप फिक्र क्यों कर रही हैं ……..….. माँ, वहाँ जाते ही बड़ा घर किराए पर लेकर आप लोगों को ले जाऊँगा …..वहाँ पर मेडिकल फेसलिटीस अच्छी होती हैं ….. वैसे भी माँ मैं भी तो आप लोगों के बिना कभी रहा नहीं हूँ ।
आनंदी को सारिका पर संदेह होने लगा क्योंकि उसके माता-पिता हैदराबाद में ही रहते हैं ।
प्रकाश उसकी बात सुनते नहीं हैं ……. इसलिए उसने चुप रहना बेहतर समझा और उन्हें हैदराबाद जाने दे दिया ।
उस दिन से घर में ये दोनों ही रह रहे थे धीरे-धीरे आदत कर रहे थे कि …… एक दिन प्रकाश सुबह की सैर पर निकल रहे थे कि गेट के पास ही गिर पड़े तो ……. आनंदी उन्हें अस्पताल लेकर गई उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया ……. उसी शहर में रहने वाले अपने भाई को जगन को भी बुलाया ।
आनंदी के मन में कई बार यह विचार आया कि अजय को फोन करके बुला लूँ……. लेकिन प्रकाश के डर से उसने फोन नहीं किया ।
जब अजय ने एम ए की परीक्षा पास किया तब उसे एक कॉलेज में और एल आई सी दोनों में नौकरी मिली ……. आनंदी चाहती थी कि वह कॉलेज की नौकरी को जॉइन कर ले ताकि …… वह यहीं उनके आँखों के सामने रहे । लेकिन प्रकाश ने उसे एल आई सी में जॉइन होने के लिए कहा ताकि …… वह ज़िंदगी में आगे बढ़ सके …….उसी दिन उन्होंने यह भी कहा कि ………पंछी के पर कतरकर रखने से क्या फ़ायदा ….. वह भी हमारे समान आगे बढ़ नहीं सकेगा इसलिए उन्हें खुला आसमान दो उड़ने के लिए……
आनंदी कई बार प्रकाश से लड़ जाती थी कि ……… बुढ़ापे में बच्चों के साथ रहने की इच्छा रखना गलत है ? इस विषय में प्रकाश की सोच अलग थी ।
यही सब सोचते हुए वह अस्पताल के कॉरिडोर में बैठी हुई थी कि हेलो आँटी की आवाज़ सुनाई दी…… यह अजय का दोस्त कुमार था …… उसने पूछा आप यहाँ अस्पताल में क्यों है ?
आनंदी ने बताया कि अजय के पिता को भर्ती किया है…… अजय होता तो वही सब देख लेता था ……. मुझे तकलीफ़ उठाने की जरूरत नहीं पड़ती थी ….. मेरी भी तबियत उतनी अच्छी नहीं रहती है । कुमार ने कहा आप ऐसे क्यों बोल रही हैं …. आँटी हम हैं ना आप मुझे बता दीजिए । आनंदी ने कहा आप लोग तो हैं ही पर देखो ना अजय का ऑफिस वालों ने उसका ट्रांसफ़र कर दिया है वरना वो आज हमारे साथ रहता था ।
जबकि उसे ट्रांसफ़र लेने की इच्छा भी नहीं थी……उसकी नौकरी को लगे अभी तीन साल ही हुए थे और उसका ट्रांसफ़र हो गया है ।
कुमार ने कहा , अरे ! आँटी जी…… अजय को उसके रिक्वेस्ट करने पर ही हैदराबाद भेजा गया है ….
आनंदी— यह क्या कह रहा है कुमार ?
कुमार— जी आँटी ….उसने मुझसे भी कई बार कहा था कि ….. वहाँ अच्छे अस्पताल हैं सारे काम आसानी से हो जाएँगे क्योंकि …… ससुर जी अच्छे पोस्ट पर हैं साथ ही ….. सारिका को भी वहाँ अच्छी नौकरी मिल जाएगी ।
उसे सुनकर आनंदी चौंक पड़ी । उसका चेहरा उतर गया ….. यह सोचकर कि अजय ने उसके सामने झूठ बोला है ।
आनंदी— कुमार मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि …… अजय ने खुद होकर ट्रांसफ़र करवाया है ? तुम सच कह रहे हो ना ?
कुमार- मैं सच कह रहा हूँ आँटी…… ट्रांसफ़र अप्लीकेशन देने के बाद …. दो तीन बार मेरे ही सामने उसने …. अपने ससुर से फोन पर बात किया था …. हाँ दो बार वह हैदराबाद भी गया था ।
आनंदी को याद आया….. जब अजय ने अपने ससुर की बीमार होने की बात कही और ……उनसे मिलने के लिए हैदराबाद गया था ।
कुमार डाक्टर से मिलने चला गया आनंदी शून्य में देखने लगी …… वहाँ पूरे वातावरण में सन्नाटा छा गया था । उसे समझ में आ गया था कि ….. अजय और सारिका उनके साथ रहना नहीं चाहते हैं …।
इसीलिए शायद उनके बड़े घर की तलाश पाँच महीने बाद भी पूरी नहीं हो पाई है ।
उसी शाम प्रकाश को डिस्चार्ज कर दिया गया …… वह उन्हें लेकर घर पहुँची । कुमार की बात …… उनसे कहकर उनका दिल नहीं दुखाना चाह रही थी ।
प्रकाश दो तीन दिन से आनंदी को देख रहे थे …… वह उदास रह रही थी, उसकी …… उदासी का कारण वे बार-बार उससे पूछ रहे थे तब उसने कुमार की कही हुई सारी बातें बता दिया ।
प्रकाश ने कहा देखो …… आनंदी आजकल के बच्चे अपने माता-पिता को अंत तक …..अपने पास रखना नहीं चाहते हैं ….. उन्हें लगता है कि ….. माता-पिता उनके आगे बढ़ने में बाधक हैं …. इसलिए समय मिलते ही …… वे उनसे अलग चले जाते हैं …. उसमें ……इतना उदास होने की क्या ज़रूरत है ?
आनंदी रोने लगी …. अजय को हमने इतने प्यार से पाल पोसकर बड़ा किया है ….. इसलिए नहीं कि हम बुढ़ापे में अकेले रह जाएँ ।
प्रकाश ने कहा— तुम जो कह रही हो वह सत्य है …… लेकिन हम पंछियों का उदाहरण ही लेते हैं…… उन्हें उड़ना आते ही …… माँ बाप को भूलकर उड़ जाते हैं …… आज के समय में हमारे बच्चे भी पंछियों की भांति ही हैं ….. अपनी तरक़्क़ी , केरियर के लिए माता-पिता को छोड़कर चले जाते हैं कोई बात नहीं है ।
आनंदी-( रोते हुए) आप कहना चाहते हैं कि अब हम बच्चों के साथ नहीं रहेंगे ?
प्रकाश- हूँ ! तुमने सही सुना है…… अब से हम दोनों ही रहेंगे ? अपना ख़याल खुद रखेंगे ….. यह बात तो तुमने सुनी होगी ना कि …. दूरियाँ ही दिलों में प्यार बढ़ाती हैं हम दूर रहेंगे तो हमारे बीच मनमुटाव नहीं बल्कि प्यार होगा ।
यही बात उसे चिट्ठी में लिख कर भेज दे ।
सुबह का वक़्त है ….. सूरज धीरे-धीरे पृथ्वी पर अपनी किरणों को बिखेर रहा था….. दूर कहीं से मंदिर की घंटियाँ बजने लगीं । प्रकाश सुबह की सैर के लिए निकल पड़े ।
आनंदी अपने बेटे को पत्र लिखने लगी….
प्रिय अजय,
कैसे हो ? हम भी यहाँ कुशल हैं … बीच में तुम्हारे पिता की तबियत खराब हो गई थी …… मैं डॉक्टर के पास लेकर गई …. अभी वे ठीक हैं ……. जब उनकी तबीयत बिगड़ी तब मैंने कई बार सोचा कि …… तुम यहाँ आते तो अच्छा होता फिर …… मुझे लगा हम उम्र के इस पड़ाव पर हैं कि डॉक्टर की ज़रूरत हमें हमेशा पड़ेगी …… तुम बार-बार छुट्टी लेकर हमारे लिए नहीं आ पाओगे …… इसलिए मैंने तुम्हें बताया नहीं था ।
तुम्हारे पिताजी भी कल कह रहे थे कि…. अब हम हैदराबाद नहीं जाएँगे …. एक तो पहचान का डॉक्टर,आसपास के लोग जो हमारी मदद के लिए तैयार रहते हैं…. बहुत ही स्वच्छ वातावरण, और …. मुख्य बात यह है कि ……. अपना खुद का घर है । तुम्हारे पिता को तुम जानते हो….. वे यह सब छोड़ना नहीं चाहते हैं ……. मुझे भी तुम्हारे पिता की बात सही लग रही है ।
इस उम्र में तुम लोगों को तकलीफ़ देना हमें अच्छा नहीं लग रहा है । इसलिए बड़े घर की तलाश बंद कर दो और अपनी सुविधानुसार अपने लिए घर ले लो ।
चल बेटा अब लिखना बंद करती हूँ । सारिका और तुम दीवाली पर जरूर आना सारिका को भी मेरा प्यार देना ।
तुम्हारी माँ
पत्र लिखकर नीचे आती है …. उसके दिल में पहले यह बात थी कि उसके बेटे का दिल पत्थर का हो गया है पर ……. अब उसके दिल में कोई मलाल नहीं है …… बेटे बहू को दिल से आशीर्वाद दिया और …. खुशी से चाय बनाने के लिए रसोई की तरफ कदम बढ़ाए।
के कामेश्वरी