कर्तव्य का पालन – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

शाम पांच बजे के करीब आनंद जी घूमने के उद्देश्य से अभी घर के बाहर थोड़ी ही दूर निकले थे कि उन्हें गाँव का एक लड़का सुरेश मिल गया। वह भी उनके बेटे के साथ बेंगलुरु मे काम करता था। आनंद जी को देखकरउसने कहा प्रणाम चाचा, कैसे है आप? ख़ुश रहो बच्चा।मै तो ठीक हूँ।तुम कैसे हो और बंगलुरु से कब आए?

आनंद जी ने उससे पूछा। बस चाचा आज सुबह ही आया हूँ।विमल ने आपलोगो के लिए कुछ सामान भिजवाया था, वही देने के लिए मै तो आप ही के घर आ रहा था। चलो आप मिल गए तो यही दे देता हूँ। अरे नहीं बेटा। मै तो टहलने निकला हूँ, सामान कहा लिए फिरूंगा। तुम घर मे जाकर दे आओ। बहू और विमला घर मे ही है। ठीक है चाचा, उन्हें ही दे आता हूँ।

यह कहकर सुरेश आनंद जी के घर की तरफ चला गया और आनंद जी टहलने निकल गए। घर पहुंच कर उसने विमला को आवाज लगाई। दरवाजा के पास आकर विमल कि पत्नी मंजू ने पूछा कौन है? विमला और बाबूजी घर पर नहीं है। सुरेश ने कहा भाभी मै सुरेश। सुरेश कि आवाज सुनकर विमल की पत्नी ने दरवाजा खोला और कहा अंदर आइये भैया। आप बंगलुरु से कब आए?

आपके दोस्त कैसे है?बता रहा हूँ भाभी। पहले आप यह सामान रख लीजिए, विमल ने आपलोगो के लिए भेजा है,कहकर सुरेश ने अपने हाथ मे रखा सामान विमल की पत्नी मंजू की तरफ बढ़ा दिया। मंजू ने सामान लेकर कहा भैया आप बैठिए तबतक मै सामान अंदर रखकर और चाय बना कर लाती

हूँ। सुरेश ने कहा चाय की जरूरत नहीं आप सामान रख कर आइये, आपसे कुछ बात करनी है। मंजू अंदर जाकर आई और फिर बोली कहिये क्या कहना है। उन्होंने कुछ संदेश भिजवाया है क्या। मुँह से तो कुछ संदेश नहीं भेजा है पर अपने व्यवहार से आपके लिए संदेश भेजा है, सुरेश ने भूमिका बनाते

हुए कहा। मै समझी नहीं आप क्या कहना चाहते है। भाभी आपका बंगलुरु जाने का कब का इरादा है। भैया आप बात क्यों बदल रहे है? जो कहना है साफ साफ कहिए।आपको तो पता ही है मै अभी नहीं जा सकती।भाभी मै मानता हूँ कि आपकी बात सही है, पर कही विमला का जीवन बनाने के चक्कर मे आपका जीवन ना बर्बाद हो जाए

विमला मंजू की छोटी ननद का नाम है। मंजू का विवाह दो वर्ष पहले हुआ था तब विमला दसवीं मे पढ़ती थी अभी बारहवीं मे है। विवाह के कुछ दिनों बाद मंजू विमल के साथ बंगुलुरु चली गईं थी। दोनों बड़े प्यार से साथ रहते थे। विमल मंजू को खुश रखने की पूरी कोशिश करता। मंजू का स्वभाव भी बहुत ही अच्छा था।

हर तीज त्यौहार मे वह अपने गाँव चली आती, जबकि विमल कहता भी था कि बार बार जाने मे बहुत ही पैसे खर्च होते है। हम वर्ष मे सिर्फ एकबार छठ मे जाते तो ठीक रहता। विमला की शादी के लिए पैसे भी जोड़ने है। इस पर मंजू कहती बच्चा होने के बाद तो उसके पढ़ाई लिखाई के कारण नहीं ही जा पाएंगे।

अभी तो चले जाते है। फिर सभी त्यौहार मे जाउंगी तब तो घर के रीत रिवाज़ सही से समझूंगी। बाद मे तो विमला की शादी होने पर माँ बाबूजी को यही बुला लेंगे। फिर तो जाने का झंझट ही नहीं रहेगा। आदमी पैसा आखिर किसलिए कमाता है। जब माँ बाप त्यौहार पर बच्चो के बिना उदास रहे तो पैसे कमाने का क्या फायदा है?

मंजू के बात व्यवहार से उसके सास,ससुर, ननद बहुत ही खुश रहते थे और विमल तो उसपर अपनी जान ही छिड़कता था। ऐसे ही करते करते उनकी ख़ुशी के करीब दो वर्ष होने को आए। मंजू माँ बनने वाली थी। उसकी सास और पुरे घर वाले बहुत ही ख़ुश थे. उसकी सास ख़ुशी ख़ुशी बहू की देखभाल करने के लिए विमला के साथ बंगलुरु गईं।

अभी उन्हें गए हुए करीब दस दिन ही हुए थे कि एकदिन उनके पेट मे भयंकर दर्द हुआ। जब डॉक्टर के पास ले जाया गया तो डॉक्टर ने सारे जांच करवाने के बाद कहा कि उन्हें लास्ट स्टेज का लीवर कैंसर है। पूछने पर पता चला कि पहले भी पेट मे दर्द होता था तो वे गैस हुआ है कहकर गैस की दवा और दर्द की दवा खा लेती थी।

गाँव मे हॉस्पिटल नहीं होने के कारण इसी तरह से सभी काम चलाते ही है, पर उन्हें क्या पता था कि उनकी यह लापरवाही उनकी जान ही ले लेगी।अपनी बीमारी की बात सुनकर उन्होंने कहा कि जब इसका इलाज सम्भव ही नहीं है तो यहाँ रहने का क्या फायदा है? मुझे गाँव पहुंचा दो सब, मै अपने गाँव मे ही मरना चाहती हूँ। अपनों के बीच रहेंगी

तो दर्द का एहसास थोड़ा कम होगा यह सोचकर विमल ने उन्हें गाँव पर पहुंचा आया, साथ मे मंजू भी गईं। अब वह बहू की क्या देखभाल करती अब तो बहू को ही उनकी देखभाल करनी पड़ रही थी।एक माह बाद उनकी मृत्यु हो गईं।विमला बारहवीं मे पढ़ रही थी इसलिए उसे अपने साथ ले जाना भी सम्भव नहीं था और जवान लड़की को इसतरह अकेले छोड़कर जाना भी मंजू को अच्छा नहीं लगा

इसलिए उसने यह फैसला किया कि जब विमला बारहवीं बोर्ड का परीक्षा दे देगी तब उसे भी साथ लेकर बंगलुरु चली जाएगी और उसके आगे की पढ़ाई वही से करवाएगी, परन्तु जब तक परीक्षा नहीं हो जाती तब तक वह भी यही विमला के साथ गाँव मे ही रहेगी। उसके इसी फैसले के विषय मे सुरेश कह रहा था। मंजू ने फिर से कहा भैया आप बातो को गोल गोल मत घुमाइए, आप जो कहना चाहते है

वह साफ साफ कहिए। देखो भाभी मै आपको दुख नहीं पहुंचाना चाहता, पर मुझे यह बात आपको बतानी ही होंगी। अब आप इसके बाद फैसला करना कि आपको यहाँ रहना है या विमल के पास जाना है। हाँ आपको जो कहना है

वह बेधरक हो कर कहिए। अब सुरेश ने बोलना शुरू किया, बात यह है कि भाभी आपके वहाँ नहीं रहने के कारण विमल का पाँव फिसल रहा है। वह गलत दिशा मे जा रहा है। हमारे ऑफिस मे एक नई लड़की आई है।

उससे विमल का कुछ ज्यादा ही मेल मिलाप हो रहा है। दो दिन तो वह आपके घर मे भी रही पुरे ऑफिस मे उनदोनो के दोस्ती के चर्चे है। मेरी मानो तो भाभी आप पहले अपने घर को बचाओ। यह कहकर सुरेश चुप हो गया।अपने घर को बचाऊ,यह क्या मेरा घर नहीं है?बाबूजी और विमला मेरे परिवार के नहीं है? आप यह क्या कह रहे है?

मेरा इनके प्रति भी उतना ही दायित्व है जितना विमल के प्रति।और जहाँ तक विमल के अफेयर की बात है मै उसपर कोई विश्वास नहीं करने वाली। मुझे अपने प्यार पर विश्वास है। मुझे अपने ईश्वर पर भी विश्वास है कि वह सही कर्म का सही परिणाम देता है। मै अपना कर्तव्य निभा रही हूँ, तो मेरे साथ कुछ बुरा नहीं होगा।

आपको जो सही लगा आपने वह किया। आपका काम था मुझे सचेत करना उसे आपने निभाया, पर आपको अपने दोस्त पर भी विश्वास रखना चाहिए और उससे सीधे सीधे पूछना चाहिए कि ऑफिस मे जो बाते हो रही है उसमे कितनी सच्चाई है।यदि पूछा है तो कहिये नहीं तो मेरे विश्वास को तोड़ने की कोशिस भी मत कीजियेगा।

मेरा अपने पति के साथ सिर्फ प्यार का ही नहीं बल्कि विश्वास का भी रिश्ता है, जो टूटेगा नहीं,मंजू ने पुरे विश्वास के साथ सारी बाते सुरेश के सामने कही। सुरेश ने कहा नहीं भाभी मैंने विमल से कुछ नहीं पूछा है।ठीक है भैया मुझे अपने पति पर विश्वास है मुझे आज जो सही लग रहा है वह करने दीजिये, बाद की बाद मे देखी जाएगी। फिर सुरेश अपने घर चला गया।

मंजू ने यह बात अपने ससुर जी को भी नहीं बताई, उसने सोचा कही बाबूजी सुरेश की बातो को सच ना मान ले और जबरदस्ती उसे विमल के पास कही ना भेज दे। देखते देखते समय व्यतीत हो गया, विमला ने बोर्ड की परीक्षा दे दिया उसके बाद विमल आकर उनदोनो को अपने साथ लेकर चला गया। बाबूजी ने कहा कि मै नहीं जाऊंगा,

मुझे गाँव मे ही अच्छा लगता है। पोता होगा तो उस वक़्त मै आऊंगा।बंगलुरु जाने के दो माह बाद मंजू ने बेटे को जन्म दिया। बच्चे के जन्म की पार्टी मे विमल ने मंजू को शीला से मिलवाते हुए कहा इससे मिलो, यह मेरे कॉलेज की दोस्त है। जब तुम यहाँ नहीं थी तो यह मेरे सुख दुख का ख्याल रखती थी। माँ के मरने के दुख से तो मै परेशान था ही, उसपर तुमने वही रहने का फैसला कर लिया,

जो कि सही भी था, पर मै एकदम से अकेले पड़ गया था, तभी शीला ने हमारी कम्पनी ज्वाइन किया। बस हम दोनों मिले जुले जिससे मेरा दुख थोड़ा कम हुआ। सही कहा आपने दोस्त साथ मे हो तो आदमी किसी भी परिस्थिति को हँसते हुए झेल सकता है शीला जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद जो आपने कठिन समय मे मेरे पति का साथ दिया यह कहकर मंजू ने शीला के सामने हाथ जोड़ दिया।

शीला ने हाथ पकड़ते हुए कहा इसमें धन्यवाद की क्या बात है? यह तो एक दोस्त का फर्ज है। रिश्ते एकतरफा नहीं निभते मुझे भी जब जरूरत थी तो विमल ने मेरी मदद की। मुझे तो यहाँ के बारे मे कुछ पता नहीं था। मै जिस होटल मे रुकी थी वह होटल सभ्य लड़की के रुकने के लायक नहीं था।

एक घटना से मुझे यह बात पता चली। रात का वक़्त था,दूसरा कुछ ठिकाना नहीं था, मै होटल छोड़ चुकि थी, उस वक़्त विमल ने मुझे अपने घर मे रखा और मेरे रहने के लिए किराये का घर खोजने मे मेरी मदद की। मैंने तो कहा भी कि

मै यहाँ रहूंगी तो मंजू को कही बुरा ना लग जाए, पर उसने कहा कि ऐसा कुछ नहीं होगा। मेरा और मंजू का रिश्ता पक्का है। किसी भी तरह से टूटने वाला नहीं है।  

विषय –विश्वास की डोर

लतिका पल्लवी

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