आशा ने घड़ी देखी, सुबह के 6:00 बजे थे वह उठ गई ।निवृत हो कर वह चाय का कप लेकर कमरे में बैठी ही थी कि, बेटे के कमरे से बहू और बेटे की ‘तू -तू मै -मै’ की आवाज आने लगी जो धीरे-धीरे झगड़े की तरफ बढ़ने लगी।
आशा का मन चिंतित हो उठा। आजकल आए दिन दोनों में झगड़ा होते देख वह परेशान होने लगी।
लॉकडाउन में बेटे की नौकरी जाने से घर की आर्थिक व्यवस्था चरमरा गई थी ।बहू ने अपने प्रयासों से उसे संभालने की बहुत कोशिश की, पर बेटे के आए दिन के खर्चे से वह परेशान थी।
बेटा सूरज हर-चार महीने में एक नौकरी छोड़ दूसरी पकड रहा था।
बेटे के काम पर जाने के बाद आशा ने बहु रश्मि से कहा,” रोज-रोज इस तरह से लड़ाई झगड़ा करना ठीक नहीं है| तुम्हें अपने ऊपर काबू रखना चाहिए औरत को मर्यादा में रहना चाहिए ।”
रश्मि ने अपनी सास को कोई जवाब नहीं दिया, पर मन ही मन सोचती रही क्या सासू मां को उसकी तकलीफ दिखाई नहीं देती? क्या वे अपने बेटे को नहीं जानती?
सूरज एक नौकरी ठीक से नहीं कर पाए ।उनका गुस्सेल स्वभाव जिस कारण आफिस में अपने बॉस से लड़ते और नौकरी से हाथ धो बैठते है।उस पर आए दिन कुछ ना कुछ नया शौक पाल लेते हैं।
दोपहर में आफिस में रश्मि के फोन पर पैसे डेबिट होने का मैसेज देख वह परेशान हो उठी।
शाम को सूरज के घर में आते ही उसने पूछ लिया जॉइंट अकाउंट से आपने पैसे —?
‘हां मैंने नया फोन खरीदा ,मैंने कहा तो था तुम्हें–’
“हां पर अभी दूसरे बड़े खर्चे थे,बच्चों की फीस,ई.एम.आई ।”
बस, इतना कहते ही सूरज ने गुस्से से फोन पटक दिया, अब रश्मि का भी दिमाग सटक गया और फिर दोनों में तू-तू मैं-मैं शुरू हो गई।
सारा दिन आफिस का काम, फिर घर के काम ,पैसा कमाने के लिए कितनी जद्दोजहद करनी पड़ती है।
सूरज घर पर जल्दी आ जाते हैं पर कभी एक कप चाय भी अपने हाथ से ना तो खुद बनाकर पीते है ना कभी रश्मि को पिलाते हैं ।
खाना बनाते समय मां जी फिर शुरू हो गई
“बहू , दीया बत्ती के समय इस तरह लड़ाई झगड़ा ठीक नहीं घर आती लक्ष्मी नाराज हो जाती है तो कहां से बरकत आएगी?”
रश्मि को लगा सासू मां को उसका गुस्सा तो दिखाई देता है पर वह जिन हालातो से गुजर रही हैं उसका उन्हें अंदाजा नहीं है।
ससुर जी की अच्छी नौकरी थी, नियमित आमदनी थी। उनके जाने के बाद भी उन्हें पेंशन मिलती है, पैसे की तंगी से रश्मि को किन-किन परेशानियों से गुजरना पड़ता है| रिश्तेदार, यहां तक के मायके वालों के सामने भी अपनी कमी छुपाना मुश्किल हो जाता है।
अब तो मां पूछती रहती है, दामाद जी का काम कैसे चल रहा है ?
वह मुस्करा कर अच्छा कह देती है । पर मां से बात छिपती नही है।
सासू मां ने कभी पैसे की तंगी नहीं झेली।”
क्या उन्हें अपनी बहू की तकलीफ दिखती नहीं या वह अपने बेटे के प्यार में आंखें मूंद कर बैठी है?
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लेखिका सौ. प्रतिभा परांजपे