मीना जी ने जब अपने दोनों बेटे बहुओं को झगड़ा करते देखा तो एक पल वे स्तब्ध रह गई क्योंकि उनके पति कर्मचंद जी को दुनिया से गए अभी छः महिने ही तो हुए थे , इतने कम समय में उन्हें अपने बेटे – बहुओं से यह उम्मीद नहीं थी , वे लोग झगड़े में बंटवारा चाहते थे !! मीना जी शुरू से ही एक सुलझी हुई महिला रही थी , वे मन ही मन भांप चुकी थी कि अगर उन्होंने जल्दी कोई तरकीब ना निकाली तो उनका बुढ़ापा खतरे में पड़ सकता हैं !!
बेटो के प्रति उनकी विश्वास की डोर कमजोर तो हो ही चुकी थी क्योंकि पिता के मरने के इतने कम समय में झगड़ा करना उचित नहीं था !!
कर्मचंद जी के हाथ का जो भी था वह वैसे भी मीना जी को दोनों बेटो में बंटवारा करना था मगर मीना जी ने ऐसी युक्ति निकाली जिससे सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे !!
मीना जी अपने कमरे में बैठी हुई थी , तभी उनकी बड़ी बहू रमा उनके लिए चाय लेकर आई तो मीना जी ने अपने लॉकर में से सोने के झुमके निकाल कर रमा को दे दिए
और बोली रमा , तुम मेरी बहुत सेवा करती हो इसलिए यह झुमके मैं तुम्हें दे रही हूं मगर छोटी बहू को मत बताना , छोटी बहू अलका उस समय अपने बेटे को लाने स्कूल गई हुई थी !!
सोने के झुमके पाकर रमा बहुत खुश हुई और बड़ी शिद्दत से सासू मां की सेवा करने लगी !!
दूसरे दिन मीना जी ने अलका को भी बुलाकर सोने के झुमके दिए और कहने लगी बड़ी बहू को मत बताना !!
दोनों बहुओं ने अपने पतियों को भी वह सोने के झुमके दिखाएं, उनके पति भी बहुत खुश हुए की मां मेरी पत्नी से ज्यादा प्यार करती हैं !!
इसी तरह एक बार मीना जी ने छोटे बेटे को अपने साथ बैंक ले जाकर दस लाख की एफडी तुड़वाई और बोली यह पैसे तेरे काम आएंगे मगर तू बड़े भाई को मत बताना !!
दूसरे दिन बड़े बेटे को अपने साथ बैंक ले जाकर फिर से दस लाख की एफडी तुड़वाई
और बोली छोटे भाई को मत बताना !!
इसी तरह बीच बीच में वह बहुओं को बुलाकर एक एक जेवर और बेटो को बुलाकर कुछ पैसे देती रहती और एक दूसरे को बताने से मना करती थी !!
बेटे बहु पूरा मन लगाकर मीना जी की सेवा कर रहे थे जिससे मीना जी भी बहुत खुश थी !!
मीना जी ने एक दिन सबको बुलाकर कहा जब तक मैं जिंदा हूं तब तक मैं यह संयुक्त परिवार बिखरने नहीं देना चाहती !!
प्रेम से रहने में ही भलाई हैं , मैं नही चाहती कि मेरे रहते मेरे बेटे कभी अलग हो !!
बेटे और बहूओं ने भी मीना जी की बात मान ली और वे लोग यह सोचकर खुश थे कि उनकी मां उनको वैसे भी अकेले में ज्यादा दे रही है !!
इसी तरह दिन, महिने , साल गुजर रहे थे , मीना जी काफी जेवर बहुओं को और काफी पैसे बेटो को दे चुकी थी !!
एक रोज मीना जी की तबीयत बहुत खराब हुई , वे बोली – अब मैं ज्यादा समय तक जिंदा रहने वाली नहीं , दोनों बेटे बहु मिलकर उनकी खूब सेवा कर रहे थे और बोले – नहीं मां , आप ऐसा क्यों कह रही हैं ?? हम अभी डॉक्टर को बुलाते हैं !!
डॉक्टर ने भी आकर यही जवाब दिया कि अब इनका अंतिम समय नजदीक हैं !! आप इनकी जितनी सेवा कर सकें कर लिजिए !!
मीना जी सोचने लगी कि अगर इस समय वह ढीली पड़ गई , तो उनका अंतिम समय कष्टदायक हो जाएगा क्योंकि वह अपना सब कुछ दोनों बेटे बहुओं में बांट चुकी थी !!
उन्होंने किसी तरह बेटे बहू को एहसास करवा दिया कि उनके पास अभी भी काफी जेवर और काफी पैसे पड़े हुए हैं !!
बेटे – बहू उनकी ओर जी जान से सेवा करने लगे यही सोचकर कि मीना जी अब तक जिस तरह छुपा छुपाके जेवर और पैसे देती आई हैं , आगे भी जरूर देंगी !!
मीना जी का जब अंत समय नजदीक आ गया तो उन्होंने तिजोरी की चाबी निकालकर बेटे बहुओं के आगे रख दी और बोली – मेरे मरने के बाद इस तिजोरी को खोलना और तिजोरी में जो कुछ भी हैं वह सब आधा आधा कर देना !!
बेटे और बहू यह सोचकर खुश हो रहे थे की मां ने तो पहले ही चुपके से कितने पैसे और जेवर दे दिए हैं और अब तिजोरी में भी और भी जो जेवर और पैसे हैं उनमें से भी आधे मिलेंगे !!
अब तो बेटे बहुओं की खुशी का ठिकाना ना था और वे लोग पुरे तन मन से मां की सेवा में लगे हुए थे !!
वह समय भी आ गया जब मीना जी ने सभी को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया !!
जब मीना जी नहीं रही तो उनका बहुत अच्छे से अंतिम संस्कार किया गया !!
जब सारे रिश्तेदार मीना जी की अंतिम विदाई के बाद चले गए दोनों बेटे बहुओं ने सोचा क्यों ना अब तिजोरी खोली जाए , हालांकि दोनों मन ही मन बहुत खुश थे कि मां उन्हें बहुत प्यार करती थी और पहले ही बहुत कुछ देकर गई है , अब तिजोरी में और भी जो कुछ है वह भी हमें मिलेगा !!
जब बेटो ने तिजोरी खोली तो तिजोरी पूरी खाली पड़ी थी बस उसमें दो मकान के कागज निकले , जिसमें से यह मकान बड़े भाई के नाम पर था , जिसमें वे लोग रह रहे थे और बिल्कुल बगल वाला बराबर का मकान छोटे भाई के नाम पर था जो किराए पर दिया था जिसका किराया मीना जी रखती थी !!
उसमें से एक पत्र भी निकला जिसमें मी ना जी ने लिखा था- मैंने अपने सारे जेवर और सारे पैसे दोनों बेटे और बहू में बराबर बांट दिए हैं , कोई फर्क नहीं किया हैं बस एक दूसरे को बताने से मना किया था ताकि इस लालच में कि मां मुझे ज्यादा प्यार करती हैं ताकि मेरा बुढ़ापा खराब ना हो और मेरा यह उपाय कारगर भी सिद्ध हुआ , अंत समय तक तुम लोगों ने मेरी बहुत सेवा की !!
अब मेरे पास तुम लोगों को देने के लिए कुछ भी नहीं बचा था मगर अंत समय में अगर मैं यह झूठ नहीं बोलती और बता देती कि अब मेरा हाथ खाली हो चुका हैं , मैंने सब कुछ तुम लोगों पर लुटा दिया है तो शायद तुम लोग मेरी कदर करना छोड़ देते और मेरी सेवा भी नहीं करते !!
कम से कम पैसों की लालच में तुम लोगों ने मेरी सेवा तो की !!
तुम्हारे पापा के नहीं रहने के कुछ ही महिनों बाद जब मैंने तुम दोनों को झगड़ते हुए देखा तो मैं समझ चुकी थी तुम दोनों पैसों के बहुत लालची हो और इसीलिए मैंने यह तरकीब लगाई !!
तिजोरी में दोनों घरों के पेपर पड़े हुए हैं !!
एक मकान बड़े बेटे के नाम पर कर दिया है और दूसरा मकान छोटे बेटे के नाम पर कर दिया हैं , किराएदार से मकान खाली करवा कर उसकी चाबी छोटे बेटे को दे दी जाए !! मैं जानती हूं उम्र भर साथ में रहना मुश्किल हैं , तुम दोनों के अपने अलग-अलग परिवार हैं जो आगे जाकर ओर बढ़ेंगे ही इसलिए अपने अपने परिवारों को लेकर अपने-अपने घर में रहना , बस प्यार मोहब्बत से रहना , कभी झगड़ा मत करना !!
मैंने तुम दोनों बेटे बहू में कभी कोई फर्क नहीं किया ,मैंने एक एक चीज तुम दोनों में बराबर बांटी है !!
कभी कोई यह बात अपने दिमाग में मत लाना कि मैं किसी एक बेटे या बहू से ज्यादा प्यार करती थी !!
मैंने समय रहते सारा बंटवारा समझदारी से कर दिया ताकि कहीं पर भी किसी के दवारा बेईमानी की गुंजाईश ना रहे और साथ ही साथ मेरे हाथ भी खाली ना रहे और कोई लड़ाई भी ना हो !!
पत्र पढकर बेटो और बहुओं को अपनी मां की बुद्धिमता पर बहुत गर्व हुआ और वे सोचने लगे कि हमारी मां हम लोगों से कितना प्यार करती थी , तभी तो सारा बटवारा भी सही से कर दिया और हम दोनों में बिल्कुल लड़ाई झगड़ा भी नहीं हुआ !!
दोस्तों आपको कैसा लगा मीना जी का बंटवारा ??
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आपकी सहेली
स्वाती जैंन !!
#विश्वास की डोर