महत्वपूर्ण कौन? पैसा या रिश्ता – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

मीरा अपनी बेटी ममता के साथ बेटे की शादी की शॉपिंग करके घर पहुंची तो उसने ड्राइंग हॉल मे सास और पति के साथ अपनी ननद को भी बैठे हुए देखा। ननद के आने की जानकारी उसे नहीं थी इसलिए उसे थोड़ा आश्चर्य हुआ लेकिन उसने सोचा अच्छा ही है दीदी आ गईं है तो शादी मे उनके परिवार को देने वाला कपड़ा उनके पसंद से ही खरीद लेंगे, तो बाद मे पसंद नहीं पसंद की कीच कीच से बच जायेंगे। मीरा ने ख़ुशी व्यक्त करते हुए कहा दीदी आप कब आई?

आपने अपने आने की खबर भी नही दी थी। इतना सुनते ही उसकी सास ने कहा सास बनने जा रही हो इसका यह मतलब नहीं की तुम घर की मालकिन बन गईं हो। मेरी बेटी को जब मन करेगा तब आएगी। इसके लिए उसे तुम्हारे आज्ञा की जरूरत नहीं है। अरे! नही माँ जी ऐसी कोई बात नहीं है, मै तो बस इसलिए कह रही थी कि पहले से पता होता कि दीदी आने वाली है तो तो हम उनका इंतजार कर लेते। वे भी अपने भतीजा के बहू के  कपड़े पसंद कर लेती,मीरा ने अपना पक्ष रखा।

रहने दो मीरा यदि तुम्हे मेरी पसंद की इतनी परवाह होती तो तुम बुलावा नहीं देती कि दीदी आ जाइये आपकी भतीजा बहू के गहने, कपड़े खरीदने है पसंद कर देना। इसतरह से  कह कर ननद ने भी ताना मारा। छोड़ो इन बातो को दीदी को क्या क्या खरीद कर लाई हो वह दिखाओ। पति ने बातो को अलग मोड़ देते हुए कहा। हाँ, अभी दिखाती हूँ। वैसे अभी पूरी खरीदारी नहीं हुई है। शादी की खरीदारी एकदिन मे कहाँ सम्भव है। हम आज पहला दिन खरीदारी करने गए थे। आज हमने साड़ी और लहंगा खरीदा है

क्योंकि ज्यादा देर होने पर साड़ियों  मे फॉल पिको लगवाने मे  या ब्लाउज बनवाने मे दिक्कत होती। अभी लेनदेन की साड़ी और गहने खरीदना बाकी है।लहँगा का  साइज  सही करवाने  के लिए दुकानदार के पास ही लहँगा छोड़ दिया है कल सही कर के देगा।साड़िया दीदी को दिखाती हूँ। पसंद आ जाने पर इसे भी कल दर्जी के यहाँ दें आउंगी।यह कहकर मीरा साड़ियों को निकाल कर दिखाने लगी। यह देखिए दीदी माँ जी के तिलक मे पहनने के लिए, यह हल्दी मे, यह मटकोर मे, यह परिछावन  मे, यह मेरी साड़िया, यह दुल्हन को देने की साड़ी है।

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मीरा साड़ियों को एक एक कर सास और ननद को दिखाती जा रही थी  तभी दो पीली साड़ी को देखकर उसकी सास ने कहा बहू दो पीली साड़ी किसलिए? एक पीली साड़ी ही तो दुल्हन के लिए जाएगी। हाँ,माँ जी  एक साड़ी अपने लिए ली हूँ। शादी के सारे  रस्म पीली साड़ी पहन कर ही तो किया जाता है इसलिए  अपने लिए भी एक ले ली हूँ।अरे! रस्म निभाने की साड़ी तो मायके से आती है फिर तुमने क्यों खरीदा है। इमली घोटने की और चौका की साड़ी तो तुम्हारे भैया लाएंगे सास ने कहा। नहीं माँ जी भैया नहीं लायेंगे। मैंने जो खरीदा है उसी से सारे रस्म निभाऊंगी।

मीरा के इतना कहते ही उसकी सास गुस्साते हुए बोली क्यों नहीं लाएंगे? यह तो भाई को ही लाना होता है। तुमने बेकार पैसा बर्बाद किया है।कल जाकर इसे लौटा देना और अपने भाई को फोन करके कह देना कि साड़ी  पहले ही भेज दें ताकि तुम  ब्लाउज सीलवा सको। माँ जी मैंने कहाँ न कि भैया साड़ी नहीं लायेंंगे, मीरा ने कहा।अब मीरा के पति भी गुस्साते हुए बोले, क्यों नहीं लायेंगे? जब रिवाज़ है कि साड़ी मायके से आती है तो मायके से ही आएगी। लोग क्या कहेंगे? कैसे घर मे शादी किये हो जो एक रस्म की साड़ी भी नहीं दें सकते?

वैसे तुम्हारे भैया को किस बात की कमी है जो साड़ी नहीं भेजेंगे? कमी क्यों होंगी? भगवान करे मेरा भाई दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करे। अब तो मेरा भतीजा भी अच्छी नौकरी करने लगा है.मीरा ने गर्व से कहा। तब क्यों नहीं भेजेंगे माँ बेटा ने चिल्लाते  हुए पूछा?  आप लोग चिल्ला क्यों रहे है? इमली बहन को घोटाया जाता है, रस्म की साड़ी बहन को भेजी जाती है, पर आपलोगो ने अपने स्वार्थ मे मुझे बहन कहाँ रहने दिया है, आपने तो मुझे हिस्सेदार बना दिया है।

मै किस मुँह से अपने भाई से आग्रह करके इमली घोटने की साड़ी या रस्म की साड़ी मांगू। आपलोगो ने मुझे इस लायक छोड़ा कहाँ है।उसकी दुखी आवाज को सुनकर उसकी बेटी ने उसे समझाते  हुए कहा- माँ आप उदास मत होइए। और इनसे कुछ मत कहिये। ये आपकी बात को नहीं समझेंगे। इन्हे सिर्फ पैसो की बात ही समझ आती है। आप चलिए मुँह हाथ धोइये, तब तक मै सबके लिए चाय नाश्ता लाती हूँ। उसके पति ने गरजते हुए कहा – कहाँ जा रही हो? हमने ऐसा क्या किया है जो हमें इतना सुना रही हो?

  तभी उसका बेटा भी ऑफिस से आ गया। पापा को माँ पर चिल्लाते  हुए देखकर उसने कहा, पापा क्यों चिल्ला रहे है? वैसे यह उसके लिए कोई नई बात नहीं थी, उसने  और ममता ने पापा, बुआ और दादी को बचपन से ही माँ पर चिल्लाते हुए देखा था। पर अब वे बड़े हो गए थे तो उन्हें यह बुरा लगता था। वैसे उसे समझ आ गया था कि शादी की खरीदारी को लेकर  कुछ हुआ होगा इसलिए चिल्ला रहे है। ममता ने भाई को शांत करते हुए कहा तुम जाओ । मुँह हाथ धोओ, कपड़े बदलो। मै तुम्हारे लिए चाय नाश्ता लाती हूँ।

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  इन्हे छोड़ो। इन स्वार्थी लोगो को जानते नहीं हो? इन्हे तो बस मामाजी से कुछ मांगने का बहाना चाहिए,फिर शुरू हो जाते है। इसबार माँ ने मना कर दिया तो चिल्ला रहे है। माँ ने एकदम सही किया। हम मामाजी से कुछ कैसे माँग सकते है? जब आपने नानाजी की सम्पति मे से आधा हिस्सा ले लिया है तो अब मामाजी कोई रीत – रिवाज़ क्यों निभाएंगे?  मीरा के बेटे ने अपने पापा से पूछा। आपने जैसे मामाजी के बेटे की शादी मे एक नेवता की साड़ी भेजी थी वे भी उसी तरह से नेवता भेज देंगे।

आपने तो  मायके से मुँह खोलकर नेग न्योछावर मांगने लायक भी माँ को नहीं छोड़ा है।  अब बहुत हुआ मामाजी से बहुत ले लिया आपलोगो ने, यदि मामाजी देंगे भी तो  इसबार हम आपको लेने नहीं देंगे। बच्चो की बातो को सुनकर माँ बेटा मन ही मन सोचने लगे,  अपने स्वार्थ के चलते बच्चो की नजर मे भी गिर गए और अब शादी मे ससुराल से अच्छे तरीके से नेवता नहीं आया तो समाज मे भी बेइज्जती होंगी। आज उनका स्वार्थ उन्ही पर भारी पर गया था क्योंकि उन्होंने रिश्तो से ज्यादा पैसो को महत्व दिया था।

 

विषय – स्वार्थी संसार

लतिका पल्लवी

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