स्कीम वाली दुकान – गीता वाधवानी : Moral Stories in Hindi

” बड़े भैया, छोटे भाई नीरज का अपमान करने का कोई हक नहीं है। आप पहले भी दो-तीन बार ऐसा कर चुके हैं,मैं आपसे बहुत नाराज हूं।आखिरकार आप बड़े हैं अगर आप ही ऐसा करेंगे,तो छोटों को क्या सिखाएंगे। “मीता ने अपने बड़े भाई कमल से कहा। 

 कमल ” तू गलत कह रही है मैंने पहले ऐसा कभी कुछ नहीं कहा। ” 

 मीता-” क्यों, क्या आप भूल गए पिछली बार राखी पर जब मैं और रश्मि मायके आए थे, तब आपने राजमा चावल की बात पर नीरज और उसकी पत्नी को कितना कुछ सुनाया था।

क्या हुआ अगर उन्होंने पनीर ना बनाकर राजमा बनाए, इन बातों से क्या फर्क पड़ता है। कम से कम वे लोग हमारी इज्जत तो करते हैं और फिर एक बार उन्होंने जब मेरे पति के लिए शर्ट दी थी,तब भी आपने उन्हें कितना अपमानित किया था, यह कहकर की कैसी गरीबों वाली शर्ट लाया है। माना कि आप पैसों से अमीर है पर आपको ऐसे बात नहीं करनी चाहिए। ” 

 कमल-” हां तो मैंने गलत क्या कहा था? सही कहा था और तू कहना क्या चाहती है पैसों से अमीर का मतलब? ” 

 मीता-” भैया, ना ही पूछो तो अच्छा है वरना आपको बुरा लग जाएगा। ” 

 कमल-” नहीं तू साफ-साफ बोल, क्या कहना चाहती है? ” 

 तभी बीच में माताजी बोल पड़ी। अरे बच्चों,रक्षाबंधन  वाले दिन क्यों झगड़ रहे हो, अब बहस बंद करो। 

 मीता-” नहीं मां, सच सुनने दो इनको आज। ” 

 कमल-” हां बोल मीता, वैसे भी तुझे यही उम्मीद थी। दोनों बहने और भाई एक जैसे हो। ” 

 मीता-” हां तो आप भी बता दीजिए एक जैसे से क्या मतलब है आपका? ” 

 कमल-” हां एक जैसे मतलब वह भिखारी की तरह हर रक्षाबंधन पर तुझे और रश्मि को गरीबों वाले उपहार लाकर देता है और तुमखु दोनों खुशी-खुशी ले लेती हो

और जो मैं इतनी महंगी महंगी चीजें लाकर देता हूं उन्हें इग्नोर करके साइड में टेबल पर रख देती हो जैसे उसने  इस बार चांदी की ब्रेसलेट दी तो तुम दोनों इतनी खुश हो रही थी,लेकिन मैंने महंगा मोबाइल दिया उसे साइड में रख दिया।” 

 मीता-” पहली बात तो यह है कि हमारे लिए दोनों भाइयों के उपहार बराबर है, हम महंगा सस्ता नहीं देखती और हम नीरज के दिए उपहार पर बहुत खुश होते हैं क्योंकि वह हमारी पसंद के होते हैं,

और हमें यह भी पता है कि इस उपहार को लाने के लिए उसने कितने जतन किए होंगे। एक किरयाने की दुकान से आखिर वह बेचारा क्या-क्या करेगा। आपके पास तो बहुत पैसा है आप कैसे समझोगे। ” 

 कमल-” हां, पैसा है मेरे पास, पर जो तू पहले बोल रही थी वह बता। ” 

 मीता-” भैया आप सिर्फ पैसों से ही अमीर हो। नीरज दिल से भी अमीर है। बड़ी भाभी ने यानी कि आपकी पत्नी ने आपसे कहा कि मां पिताजी के साथ नहीं रहना है। आपने बड़ी आसानी से यह बात मान ली और नीरज को सारी जिम्मेदारियां सौंप कर अपना पल्ला झाड़ लिया। उसी ने जैसे तैसे पैसा जोड़कर रश्मि की शादी करवाई,

और अपने बस अपनी बहन को एक महंगा उपहार देकर अपने कर्तव्य को पूरा कर लिया। नीरज हमेशा हमें समय-समय पर अपने घर बुलाता रहता है और आदर सत्कार करता है। माता-पिता की देखभाल करता है अपने बच्चे भी तो पालते हैं उसको। उनकी भी पढ़ाई लिखाई जारी है। आपने कभी बुलाया अपने घर। आप बस रक्षाबंधन पर महंगा

तोहफा देकर अपने आप को महान बताते हो। कभी माता-पिता से भी उनकी ज़रूरतें,उनका हाल-चाल पूछा है आपने। ” कमल को सच्ची बातें बहुत चुभ रही थी। तभी वहां नीरज आया, उसे इस बहस बाजी के बारे में कुछ भी पता नहीं था। 

 कमल ने उससे कहा -” यह सब कुछ तेरी वजह से ही हो रहा है, चांदी की चीजे राखी पर देकर खुद को ऊंचा समझ रहा है भिखारी कहीं का। मां-बाप को रोटी खिलाकर एहसान जाता रहा है निकम्मा कहीं का, चल हट पीछे। ” ऐसा कहकर कमल जाने लगा। 

 तब नीरज को भी बहुत गुस्सा आ गया और उसने कहा-” मुझे तो पता भी नहीं था कि आप लोग किस बारे में बात कर रहे हैं, और भैया मैंने तो ऐसा कभी कुछ नहीं समझा, लेकिन आज आपने भिखारी कहकर जो मेरा अपमान किया है वह मैं कभी नहीं भूलूंगा और आप देखना आज से ठीक 3 साल बाद आपके ही सामने मैं अपनी बहनों को आपसे भी कहीं महंगा उपहार दूंगा, इतना कीमती कि आपकी आंखें भी खुली की खुली रह जाएगी। ” 

 उस दिन से नीरज को ज्यादा से ज्यादा कमाने की और अपने अपमान को सम्मान में बदलने की धुन सवार हो गई। 

 उसने अपनी दुकान में ग्राहकों को सामान खरीदने पर नए-नए ऑफर देने शुरू कर दिए। 500 की खरीद पर एक साबुन का सेट फ्री,1000 की खरीद पर कोल्ड ड्रिंक फ्री। ऐसी नई-नई इसकी में निकाल कर उसने ग्राहकों को अपनी दुकान की तरफ आकर्षित किया। धीरे-धीरे उसकी दुकान का नाम लोगों ने स्कीम वाली दुकान रख दिया। खूब धड़ल्ले से दुकान चलने लगी। इस बीच दोनों बहने नीरज के घर आती जाती रही, और  उसकी तरक्की देखकर खुश होती रही। 

 उसने दुकान में बहुत सारी नई-नई चीजे रखना शुरू कर दिया और सामान की बढ़िया क्वालिटी होने के कारण लोग उसी से सामान लेने लगे। फ्री होम डिलीवरी के लिए उसने दो लड़के भी रख लिए थे। 

 2 साल बाद उसने साथ वाली दुकान खरीद कर अपनी दुकान को बड़ा कर लिया और दुकान में दो गुना सामान भर लिया। इससे कमाई भी बढ़ गई। 3 साल पूरे होने वाले थे और नीरज अपनी मेहनत और समझदारी से दो दुकाने  बना चुका था। रक्षाबंधन आने वाला था उसने अपनी बहनों के लिए उपहार भी खरीद लिए थे। 

 हर बार की तरह बड़े भाई कमल ने अपनी बहनों को अपने घर बुलाने की बजाय खुद ही नीरज के घर आना ठीक समझा और दोनों बहनों को बड़ी शान से सोने की झुमकियां निकाल कर उपहार में दी। 

 तब नीरज ने पहले की तरह चांदी की झुमकियां निकालीं। 

 जिसे देखकर कमल बोल पड़ा-” वाह! मैंने तो सुना था तूने बड़ी तरक्की कर ली है, 3 साल पहले बड़ी डींगें मार रहा था, पर लाया तो वहीं चांदी के उपहार। ” 

 नीरज ने मुस्कुरा कर कहा -” भैया आपका धन्यवाद, आपने मेरा जो अपमान किया, वह मेरे लिए वरदान बन गया। मैंने आपसे महंगा तोहफा बहनों को देने का जो वादा किया था,,

उसे पूरा करने के लिए 3 साल जी तोड़ मेहनत की और आज मैं अपनी बहनों के लिए यह तोहफा लाया हूं ऐसा कहकर उसने अपनी दोनों बहनों के हाथों में असली हीरों से झिलमिलाती झुमकियां रख दीं। दोनों बहने उसकी सफलता पर बहुत खुश थी। झुमकियों को देखकर कमल का मुंह उतर गया। दोनों बहनों को इस बात की सबसे ज्यादा खुशी थी कि नीरज ने अपने अपमान को सकारात्मक तरीके से स्वीकार करके उसे वरदान में बदल दिया था।

 स्वरचित अप्रकाशित गीता वाधवानी दिल्ली 

#अपमान बना वरदान

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