वो अपनी तकलीफ किसी को नही बताती बस अकेले में घुटती जाती थी। धीरे धीरे उसे खुद से घृणा होने लगी अपने जिस्म पर उसे चींटियां सी रेंगती नजर आती और वो पागलों की तरह स्नानघर में घुसकर नहाने लगती मानो वो चींटियां हटा रही हो।
” क्या बात है तृषा बहुत दिनो में देख रही हूं तुम गुमसुम सी रहती हो आजकल सब ठीक तो है ?” एक दिन उसकी दोस्त और सहपाठी नंदिनी ने पूछा!
” कुछ नही नंदिनी !” अनमनी सी तृषा बोल और अपनी कॉपी में कुछ लिखने लगी।
इससे पहले की कहानी आगे बढ़े मैं आपको अपने पात्रों का परिचय दे दूं
तृषा एक चौदह वर्षीय दसवीं कक्षा की छात्रा ..अपने माता पिता की इकलौती संतान उसके घर में सभी सुख सुविधाएं मौजूद है। उसके माता पिता दोनो कामकाजी हैं। वो दोनो चाहते है तृषा पढ़ लिखकर एक बेहतर मुकाम पाए इसलिए उन्होंने उसके लिए
कोचिंग की व्यवस्था कर रखी है। एक सर उसे घर पर ही ट्यूशन पढ़ाने आते हैं जिनका नाम है मेहुल। तृषा एक हंसमुख जिंदगी को भरपूर जीने वाली लड़की है पर पिछले कुछ दिनों से वो गुमसुम सी रहने लगी है
जिसे उसके माता पिता बोर्ड का प्रेशर समझ रहे हैं जबकि उसकी खास दोस्त नंदिनी को उसकी खामोशी सामान्य नही लगी इसलिए उसने तृषा से सवाल किया पर उचित जवाब ना पा वो निराश हो गई और उसने अपनी कक्षा अध्यापिका को सब बात बताई।
” तृषा तुम यहीं रुको अभी !” स्कूल खत्म होने पर अध्यापिका ने तृषा से कहा।
” क्या हुआ मिस कुछ बात हुई क्या ?” तृषा ने पूछा।
” हां तुम रुको अभी मैं तुम्हे अपनी स्कूटी से छोड़ दूंगी। अध्यापिका ने कहा।
” ओके मिस बोलिए !” तृषा ने कहा तब तक सब बच्चे निकल चुके थे।
” तृषा क्या बात है कोई परेशानी है तुम्हे ?” अध्यापिका जिनका नाम रेनू था ने कहा।
” नही मिस क्यों ?” तृषा बैचैनी से बोली।
” देखो तृषा तुम मुझे जो बात है वो बता सकती हो ऐसी क्या बात है जो तुम्हे परेशान कर रही है घर में कुछ हुआ है या यहां स्कूल में !” रेनू मैडम ने बहुत आत्मीयता से पूछा।
अचानक तृषा रो पड़ी मैडम ने भी उसे थोड़ी देर रोने दिया और खुद उसकी पीठ सहलाती रही।
” वो मैडम मेरे कोचिंग वाले सर ….!” सुबकती हुई तृषा बोली।
” क्या कोचिंग वाले सर वो तुम्हे कुछ कहते हैं , मारते हैं?” रेनू मैडम काफी कुछ समझ गई थी फिर भी तृषा से पूछने लगी।
” नही मैडम मारते नही पर वो मेरे साथ ….मेरे साथ गंदी गंदी बातें करते हैं मुझे यहां वहां टच करते हैं और …!” तृषा कहते कहते रुक गई।
” और …और कभी मेरी स्कर्ट ऊपर कर हाथ लगाते हैं कभी मेरे टॉप में ….मुझे बहुत गंदा लगता है मैडम बहुत ही गंदा !” तृषा आंख भींच कर बोली।
” ओह तुमने अपनी मम्मी से नही कहा कुछ ?” रेनू मैडम ने फिर पूछा।
” सर ने पहले ही मम्मा से मेरी शिकायत कर दी कि मैं पढ़ाई में ध्यान नही देती …जब मैने मम्मा को बताना चाहा तो मम्मा ने मेरी बात ना सुनकर मेरे चांटा लगा दिया कि मैं पढ़ाई से जी चुराती हूं इसलिए सर के खिलाफ बोल रही हूं …
अब मैं मम्मा को कुछ नही बताती …पर सच में टीचर मुझे बहुत गंदा लगता है जब वो छूते हैं ऐसा लगता …. कि जैसे गंदी गंदी चींटियां चल रही हों !” तृषा के चेहरे पर अचानक घृणा के भाव आ गए।
” और तुम्हारे पापा ….!!” रेनू ने पूछा।
” पापा तो भी मम्मा की ही बात सुनते हैं !” तृषा आंसू पोंछ बोली। सन्न रह गई रेनू तृषा की आप बीती सुन एक मासूम क्या कुछ झेल रही है जिस उम्र में उसे मां की जरूरत सबसे ज्यादा उस उम्र में उसकी मां उसको सुनने को तैयार नही …क्या होता अगर वो सर तृषा का …..नही नही क्या सोच रही मैं…मुझे इस बच्ची की मदद करनी होगी …ये सोच रेनू ने आगे बढ़ तृषा को गले से लगा लिया
और वो मासूम भी रेनू से ऐसे चिपक गई मानो सारी दुनिया में उसके लिए यही सबसे सुरक्षित जगह है। थोड़ी देर बाद रेनू तृषा को उसके घर छोड़ने की जगह अपने घर ले गई और वही से उसकी मम्मी को कॉल कर जल्द से जल्द उसके घर पहुंचने को कहा और तृषा को घर की ऊपरी मंजिल पर आराम करने भेज दिया।
” तृषा ठीक तो है मैडम !” रेनू के घर आते ही तृषा की मां मंदाकिनी ने सवाल किया।
” मंदाकिनी जी अगर तृषा सही होती तो मै आपको यहां क्यों बुलाती बल्कि मैं तो ये कहूंगी आप कैसे नही जान पाई की तृषा सही नही है जबकि उसकी दोस्त नंदिनी जान गई !” रेनू ने कहा।
” क्या मतलब ?” असमंजस में मंदाकिनी ने पूछा ।
जवाब में रेनू ने तृषा से हुई सारी बात मंदाकिनी को बताई …सुनकर वो सकते में आ गई।
” मंदाकिनी जी कैसी मां है आप आपकी युवा होती बेटी अपनी परेशानी आपके सामने रखती है बजाय उसका समाधान करने के आप उसे झिड़क देती है …सोचिए ये छेड़छाड़ का मामला अगर आगे बढ़ जाता तो ….!” रेनू ने जान बुझ कर बात अधूरी छोड़ दी।
” मुझे माफ कर दीजिए मैडम मुझे लगा था वो बहाने बना रही है !” मंदाकिनी सिर झुका कर बोली।
” मंदाकिनी ने बच्चे कोमल फूल के तरह होते है और आप चाहती है कि आपकी बेटी हमेशा खिली रहे तो स्नेह , सम्मान और सुरक्षा के खाद पानी से उन्हें सींचिए अगर कोई संशय भी है तो भी उसकी पूरी बात तो सुनिए वरना ऐसा ना हो आप अपनी बेटी खो दें किस्मतवाली है आप और तृषा जो उसकी नंदिनी जैसी दोस्त है वरना तो सोचिये क्या कुछ अनर्थ हो सकता था आगे !” रेनू तनिक गुस्से में बोली।
” सही कहा आपने इसमें सारी गलती मेरी है पर आइंदा ऐसा नहीं होगा ….आपका और नंदिनी का धन्यवाद नही करूंगी मैं क्योंकि जो आप दोनो ने मुझपर एहसान किया उसके लिए धन्यवाद छोटा शब्द है और सच मे मै और तृषा बहुत किस्मत वाली है जो उसकी जिंदगी मे आप जैसी अध्यापिका और नंदिनी जैसी दोस्त है !” मंदाकिनी रेनू का हाथ पकड़ कर बोली।
” मंदाकिनी जी आपकी बेटी फिर से पहले की तरह मुस्कुराने लगे बस मै केवल यही चाहती हूं जाइए उसे ये एहसास करवाइए वो गलत हो या सही उसकी मां हर कदम उसके साथ है उसकी गलती भी सुधारेगी उसकी मां और गलत लोगों से उसकी रक्षा भी करेगी !” रेनू मंदाकिनी का हाथ दबाती हुई बोली।
मंदाकिनी ने बेटी को अपने आंचल में समेट लिया और घर आ गई घर आ उसने अपने पति तरुण को सारी बात बताई तरुण गुस्से में भर उठा। फिर उन्होंने एक प्लान बनाया
अगले दिन जब मेहुल पढ़ाने आया तो घर में मंदाकिनी और तरुण भी थे जिसका पता उसे नही था उसने वही हरकत दुबारा की तो परदे के पीछे छिपे तरुण ने सब देख लिया और आगे बढ़कर खींच कर एक थप्पड़ लगाया मेहुल के। मंदाकिनी ने आगे बढ़ तृषा को गले लगा लिया। मेहुल बहुत देर तक सफाई देता रहा पर तरुण ने एक ना सुनी …
इतने पुलिस आ गई जिसे तरुण ने ही बुलाया था उन्होंने मेहुल को गिरफ्तार कर लिया। मां के गले लगी तृषा जो नफरत से मेहुल को देख रही थी आगे बढ़ी और मेहुल के जोर से चांटा मारा….” आप शिक्षक हैं ज्ञान देना आपका काम है अपने काम को छोड़ अपनी फीमेल स्टूडेंट के साथ ऐसी हरकत करते आपको शर्म नही आती। आपको अंदाजा भी है हम लड़कियों पर क्या बीतती है
आपकी इस हरकत से शिक्षक का दर्जा ईश्वर से बड़ा होता है पर आप जैसे हैवान शिक्षक को क्या दर्जा दिया जाए !” तृषा बोली तो मेहुल का सिर शर्म से झुक गया।
पुलिस मेहुल को ले गई मंदाकिनी और तरुण ने बेटी से माफी मांगी साथ ही ये भरोसा दिलाया कि हर परिस्थिति में अब उसके माता पिता उसके साथ है। मां बाप का साथ पाते ही तृषा के चेहरे पर मुस्कान आ गई
अगले दिन वो दोनो तृषा के साथ उसके स्कूल गए रेनू मैडम और नंदिनी का धन्यवाद करने। रेनू मैडम भी खुश थी उनके कारण एक फूल मुरझाने से बच गया।
दोस्तों हमारे बच्चे एक नाजुक फूल है और संसार में ऐसे बहुत से लोग ऐसे नाजुक फूलों को मसलने के लिए तैयार बैठे है आपका फर्ज है आप अपने बच्चों की हर बात को सुने विश्वास करे और अगर ऐसी कोई स्थिति आती है तो अपने बच्चों का साथ दें। क्योंकि हर बच्चे की किस्मत में नंदिनी जैसी दोस्त और रेनू जैसी शिक्षक नही होती।
यहां मैं ये भी कहना चाहूंगी हर इंसान गलत नही होता पर गलत भी इंसान ही होता है। मेरी बात का मतलब आप समझ गए होंगे।
#किस्मतवाली
आपकी दोस्त
संगीता अग्रवाल