नई सुबह – के कामेश्वरी : Moral stories in hindi

सुहास जोर ज़ोर से प्रियंका के ऊपर चिल्लाते हुए कह रहा था कि जा अपने बाप के पास जाकर पैसे लेकर आ नहीं तो इस घर में कदम नहीं रखना ।

सास सुवर्णा उसकी बातों को बढ़ावा दे रही थी और बहू की छोटी सी छोटी बात को बड़ा चढ़ाकर उसे बताते हुए आग में घी डालने का काम कर रही थी ।

प्रियंका अपमान का घूँट पीकर वहाँ से मायके के लिए निकली और सोच रही थी कि शादी को हुए अभी डेढ़ साल ही हुए हैं परंतु वह ससुराल में कम और मायके में ज़्यादा दिन तक रही है । हर दो महीने में सुहास और सुवर्णा उसे पैसों के लिए मायके भेज देते थे । यहाँ रहकर भी मैंने कोई सुख के दिन नहीं बिताए हैं ।

प्रियंका को देखते ही उसके माता-पिता निर्मला और विनोद दोनों का मन दुखी हो गया था । प्रियंका को भी पिता का चेहरा देखने में शर्मिंदगी महसूस हो रही थी। वह सीधे अपने कमरे में चली गई और रोने लगी थी । माता-पिता ने उसे कुछ देर अकेले छोड़ देना उचित समझा ।

प्रियंका दूसरे दिन सुबह उठी तो निर्मला चाय लेकर आई विनोद भी वहीं आकर बैठ गए । विनोद सोच रहे थे कि सुहास ने अब कितने रुपयों की डिमांड की है यह जानना चाह रहे थे लेकिन डर रहे थे कि मैं उसे पूरा कर पा सकूँगा या नहीं । 

उसी समय पोस्टमैन ने आकर एक कोरियर उनके हाथ में रख दिया । प्रियंका और निर्मला दोनों ने पूछा कि कोरियर कहाँ से आया है । विनोद ने कहा कि सब्र करो मैं बताऊँगा कहते हुए उसे खोलकर देखा तो उसमें एक कवर था कवर में तलाक़ के पेपर थे और साथ ही एक चिट्ठी भी लिखी हुई दिखाई दी । उसे खोलकर पढ़ने लगे थे । उसमें लिखा हुआ था कि विनोद जी 

आपकी बेटी से शादी करके मैं पछता रहा हूँ क्योंकि शादी के डेढ़ साल में से एक साल तो वह मायके ही रही है मुझे उससे कोई फ़ायदा नहीं है साथ ही दूसरे लड़कों के साथ घूमती रहती है मुझे ऐसी लड़की नहीं चाहिए। उसे आप अपने घर में रख लीजिए। 

आपको विश्वास नहीं होता है तो इस कवर में थोड़े से फ़ोटो सबूत के तौर पर रख दिया है चेक कर लीजिए ।

हाँ अगर बेटी को मेरे पास वापस भेजना चाहते हो तो अपनी जायदाद के तीन हिस्से कीजिए और एक हिस्से के साथ अपनी बेटी को भेज दीजिए मैं फ़ोटो वाली बातें भूल जाऊँगा और आपकी बेटी को पत्नी का दर्जा दे दूँगा ।

विनोद ने जल्दी से कवर में टटोल कर देखा तो कुछ फ़ोटोग्राफ़ मिल गए थे । जिनमें प्रियंका दूसरे आदमियों के साथ गंदी अवस्था में फ़ोटो थे जिन्हें देखते ही उन्होंने आँखें बंद कर ली थी । प्रियंका रोते हुए कमरे में चली गई । निर्मला सोच में पड़ गई थी कि प्रियंका को ससुराल भेजूँ या नहीं क्योंकि कल ही उसे पता चला कि प्रियंका माँ बनने वाली है । 

पुराने ज़माने के होने के बाद भी विनोद जी को यह तो मालूम है कि ऐसे फ़ोटोग्राफ़ी आसानी से निकाला जा सकता है । उन्हें अपनी बेटी पर पूरा विश्वास था । उन्होंने ये फ़ोटोग्राफ़ को उन्हें नहीं दिखाया और कमरे में जाकर छोटे छोटे टुकड़े करके फेंक दिया।

विनोद और निर्मला के तीन बच्चे हैं । दो बेटे और बेटी प्रियंका । दोनों बेटे सरकारी नौकरी में कार्यरत थे । प्रियंका ने भी डिग्री तक की पढ़ाई की है । किसी रिश्तेदार के कहने पर प्रियंका की शादी सुहास से करवा दी थी उन्होंने बताया था कि सुहास का अपना बिज़नेस है । वह अच्छा ख़ासा कमा लेता है । परिवार के नाम पर उसके साथ सिर्फ़ एक माँ ही है । 

प्रियंका की शादी करने के कुछ ही दिनों में जब पहली बार वह मायके आई थी तब ही उन्हें पता चल गया था कि सुहास और उसकी माँ दोनों ही पैसों के लालची हैं । 

निर्मला दूसरे समय तो शायद प्रियंका को ससुराल भेजने के खिलाफ रहती थी लेकिन जब से उसे पता चला कि प्रियंका माँ बनने वाली है वह उसे ससुराल भेजने की जिद करने लगी उन्हें लगता है कि एक अकेली औरत बच्चे को नहीं पाल सकती है ।

उसकी बातों को सुनकर विनोद ने कहा कि निर्मला मैंने सारे लोन ले लिया है साथ ही एक दो दोस्तों से उधार भी ले लिया है अब उसे कैसे पैसे दूँगा । 

निर्मला ने कहा कि देखिए हम यह घर बेच देंगे । बेटों को क्या जवाब दूँगा निर्मला । तीनों का बराबर हिस्सा है परंतु सबसे ज़्यादा तो प्रियंका को दिया है अब तक मैंने उसे पचास हज़ार से ज़्यादा दे दिया है । 

निर्मला ने कहा कि हमारे बच्चे अच्छे हैं । अपनी बहन के लिए वे कुछ भी कर सकते हैं । मुझे पता चला है कि हमारे पीछे के मोहल्ले में रहने वाले शर्मा जी रिटायर हो रहे हैं और घर ख़रीदना चाहते हैं तो मैं सोच रही हूँ कि हम उन्हें अपने घर के बारे में बता देते हैं । आप बैठिए मैं आपके लिए चाय बनाकर लाती हूँ आप पीते रहिए मैं शर्मा जी से बात करके आती हूँ कहते हुए वह चाय बनाने के लिए रसोई में पहुँच कर चाय बना लाई और विनोद के हाथों में थमाकर घर से बाहर जाने लगी । उसे लग रहा था कि जैसे तैसे प्रियंका को ससुराल भेज दे क्योंकि वह माँ बनने वाली है । 

उसके जाते ही विनोद पेपर पढ़ते हुए चाय पी रहे थे । 

प्रियंका कमरे से बाहर आई और धीरे से पुकारा पापा!! विनोद ने उसकी आवाज़ सुनी तो उसकी तरफ़ देखा तो उसने कहा कि मैं आपसे कुछ बात करना चाहती हूँ । विनोद ने कहा बोल बेटी क्या कहना चाहती है ।

उसने कहा पापा आप जैसा सोच रहे हैं वैसा नहीं होगा । सुहास और उसकी माँ इन्सानों के भेष में दानव हैं ।

पापा बहुत सी ऐसी बातें हैं जिन्हें मैं आपको बता भी नहीं सकती हूँ । मैं वहाँ नहीं जाना चाहती हूँ । आप कितने भी पैसे दे दें वह सुधरने वालों में से नहीं है । मैं यहीं आप लोगों के साथ ररना चाहती हूँ अगर आपको कोई एतराज़ न हो । आप अपने साथ नहीं रखना चाहते हैं तो कहिए मैं यहाँ से चली जाती हूँ या फिर आत्महत्या कर लेती हूँ ।

पापा मेरे लिए एक छोटी सी नौकरी दिलवा दीजिए ।  यह आपके लिए बहुत ही आसान है । 

विनोद ने कहा कि तुझे कुछ करने की ज़रूरत नहीं है बेटा मैं हूँ ना तेरी माँ की बातों पर ध्यान मत दो । मैं वी आर एस ले रहा हूँ ना तो ऑफिस में एक रूल है कि वी आर एस लेने वाले परिवार के किसी भी एक सदस्य को मेरी नौकरी दी जाएगी । मैं तुम्हारा नाम लिखवा देता हूँ । 

तुम्हारे भाइयों को ईश्वर की कृपा से मेरी नौकरी की ज़रूरत नहीं है । वे दोनों अच्छे पोस्ट पर हैं । मेरे बारे में चिंता की ज़रूरत नहीं है मुझे पेंशन मिलेगी और रहने के लिए यह घर है । तुम्हें अभी इसकी ज़रूरत है तो बेटा मैं माँ को समझा लूँगा तुम जल्दी से अपने सर्टिफिकेट लेकर आओ मैं जेरॉक्स कॉपी निकाल लाता हूँ । कल हम दोनों ऑफिस चलेंगे कार्यवाही पूरी करने के लिए ठीक है और हाँ अपनी माँ से कहना कुछ ज़रूरी काम से गया हूँ आ जाऊँगा ।

विनोद की बातें सुनकर प्रियंका फुदक कर कमरे में सर्टिफिकेट लाने के लिए जाती है । उसके चेहरे पर बहुत दिनों बाद मुस्कुराहट आई थी ।

के कामेश्वरी

1 thought on “नई सुबह – के कामेश्वरी : Moral stories in hindi”

  1. ऐसी परिस्थिति में बेटी को वापस नहीं भेजना चाहिए।

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