ये भेदभाव क्यो – संगीता अग्रवाल  : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : ” नंदिनी …नंदिनी कहा हो तुम ?” रितेश घर मे घुसते ही चिल्लाया। 

” बेटा नंदिनी तो अभी तक आई नही और महारानी का फोन भी बंद आ रहा है !” रितेश की माताजी शांति जी मुंह बना कर बोली। 

” क्या आई नही !! पर बाहर तो बहुत बारिश हो रही है उसे देर होनी थी तो मुझे फोन कर देती मैं लेने चला जाता !” रितेश चिंतित स्वर मे बोला। 

” तू क्यो परेशान है जब उसे ही परवाह नही । देख बेटा मुझे बहू के लक्षण कुछ ठीक नही लगते यूँ देर से घर आना शरीफ घर की बहुओ को शोभा नही देता फिर ऑफिस का टाइम जब 10-6 का है तो उसे सात बजे तक घर आ जाना चाहिए !” शांति जी बोली। 

” नही माँ ऐसा कुछ नही हो जाती है कभी कभी देर भी उसमे क्या !” रितेश बोला पर उसका चेहरा देख लग रहा था शांति जी की कही बात उसके मन मे अशांति फैला रही है ।

रितेश अपने कमरे मे आ गया और नंदिनी को फोन मिलाने लगा पर ये क्या उसका फोन तो अब भी बंद आ रहा था उसे चिंता भी हो रही थी साथ साथ नंदिनी की लापरवाही पर गुस्सा भी आ रहा था । तभी घड़ी की सुई ने नौ बजाए रितेश गाड़ी की चाभी उठाये बेचैनी से दरवाजे की तरफ तभी दरवाजा खुला और नंदिनी घर मे दाखिल हुई । 

” कहाँ थी अब तक और तुम्हारा फोन क्यो बंद आ रहा है !” रितेश ने आगे बढ़ नंदिनी का हाथ तेजी से पकड़ते हुए पूछा। 

” रितेश ये क्या है तुम मुझे चोट पहुंचा रहे हो !” नंदिनी अपने हाथ की तरफ देखते हुए बोली तो रितेश ने उसका हाथ छोड़ अपना सवाल दोहराया। 

” लाज शर्म बेच खाई है क्या घड़ी देख क्या बजा है ये समय   है घर आने का नौकरी की इजाजत दे दी तो क्या सिर पर नाचोगी ।” रितेश के कुछ बोलने से पहले शांति जी बोली। 

” मांजी मैं कोई अय्याशी करने नही गई थी नौकरी पर गई थी इसमे लाज शर्म की बात कहाँ से आ गई !” नंदिनी सास से बोली। 

” नंदिनी ये क्या तरीका है माँ से बात करने का तुम्हारा ऑफिस 6 बजे बंद होता है अब 9 बज रहे है इतनी देर बाद आओगी तो चिंता तो होगी ना !” रितेश उखड़े स्वर मे बोला। 

” रितेश अगर चिंता होती तो मांजी का स्वर ऐसा नही होता ये तो सरासर मुझपर इल्जाम लगा रही है जैसे मैं कहीं से अय्याशी करके आ रही हूँ जब तुम देर से आते हो तब तो मांजी ऐसे नही बोलती फिर मुझे क्यो  !” नंदिनी बोली। 

” वो मर्द है तू औरत औरतों का यूँ देर रात घर से बाहर रहना क्या सही है !” शांति जी हाथ नचा कर बोली। 

” इसमे बात मर्द औरत की कहा से आ गई जब हम दोनो नौकरी पर जाते है । रितेश के पास गाडी है मुझे ऑटो मे धक्के खाने होते है उसपर ये बारिश और जल भराव ऐसे मे ऑटो मिलना कितना मुश्किल होता है !” नंदिनी बोली। 

” तो तुम मुझे भी फोन कर सकती थी पर नही उल्टा फोन बंद कर दिया !” रितेश बोला। 

” बंद किया नही हो गया था क्योकि बैटरी नही थी चार्जर आज घर मे रह गया था और मुझे नही पता था बारिश हो जाएगी अचानक वरना फोन बंद होने से पहले तुम्हे बता देती । मैं कैसे कैसे घर पहुंची हूँ इस बारिश मे ये मुझे ही पता है पर बजाय तुम्हे मेरी फ़िक्र होने की तुम तो मुझपर गुस्सा हो रहे हो !” नंदिनी गुस्से मे बोली। 

” तेवर देखो इसके एक तो देर से आई ऊपर से गुस्सा दिखा रही है अरे वो पति है अगर पत्नी देर से घर आएगी तो सवाल जवाब तो करेगा ना ये उसका हक है  !” शांति जी बोली ।

” मांजी जब रितेश देर से आता है तब आपको चिंता होती है यहाँ तक की मुझे भी चिंता होती है पर मैं देर से आई हूँ तो मुझपर इल्जाम लगाया जा रहा है मुझे कठघरे मे खड़ा किया  जा रहा है क्यो सिर्फ इसलिए की मैं औरत हूँ । रितेश तुम पति हो मेरे तुम्हे मेरा साथ देना चाहिए पर तुम भी ऐसे कर रहे हो मानो मैने कोई गुनाह किया हो !” नंदिनी भरी आँखों से बोली । नंदिनी को रोते देख रितेश को बुरा लगा । 

” माफ़ करना नंदिनी मैं कोई इल्जाम नही लगा रहा तुमपर  मुझे भी तुम्हारी चिंता ही थी बस इसलिए शायद थोड़ा सख्ती से बात कर गया !” रितेश बोला। 

” लो बीवी के चार आंसुओ मे पिघल गया !” शांति जी हाथ नचा कर बोली। 

” माँ सही तो कह रही है नंदिनी जब एक आदमी देर से आता है तब घर वाले उसकी फ़िक्र करते है पर एक औरत के देर से आने पर उससे सवाल जवाब किये जाते है इल्जाम लगाए का। ये तो गलत है ना जब पत्नी पति के बराबर है तो ये भेदभाव क्यो ? जब पत्नी भी बाहर काम करने जाती है तो देर तो उसे भी हो सकती है ना !” रितेश माँ से बोला। शांति जी ये सुनकर मुंह बना अपने कमरे मे चली गई रितेश ने नंदिनी से माफ़ी मांगी तो नंदिनी मुस्कुरा दी उसे ये तसल्ली थी भले सास उसे नही समझ रही पर कम से कम पति तो समझ रहा है।

दोस्तों हमारे समाज मे अक्सर ऐसा होता है आदमी बेवजह भी देर से घर आये तो उससे कोई सवाल नही किये जाते पर अगर औरत को किसी वजह से देर हो तो उसपर इल्जाम लगाए जाते है । आज जब पति पत्नी दोनो कंधे से कंधा मिला चल रहे है तो क्या ये भेदभाव सही है ?

आपकी दोस्त 

संगीता अग्रवाल 

दिल्ली


 

 

 

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