Moral stories in hindi: हे भगवान..! हमेशा मेरे साथ ही यह सब क्यों होता है..? पता नहीं मेरी सारी तकलीफ कब खत्म होगी..? अर्चना ने रोते-रोते कहा… वह यह सब अपने स्वर्गवासी पति के तस्वीर के सामने कह रही थी.. आज कुछ सालों पहले उसके पति का देहांत हुआ था और तभी से वह सबकुछ अकेले संभालते संभालते थक चुकी है और आज अपने पति के तस्वीर के सामने यह कह कर रो रही होती है….
अचानक उसकी बेटी पीछे से आकर कहती है… मां..! लक्ष्मी काकी के पति गुज़र गए हैं… रमा आंटी ने कहा… इसलिए कुछ दिनों तक वह काम पर नहीं आएगी… यह बात सुनकर अर्चना को काफी दुख हुआ और ऐसे मौके पर उसे लक्ष्मी के पास जरूर जाना चाहिए,
यह सोचकर, वह कितना कुछ करती है हमारे लिए, अर्चना पहुंच जाती है लक्ष्मी के घर… जहां लक्ष्मी दहाड़े मार-मार कर रो रही थी और उसके छोटे-छोटे बच्चे उसे पकड़कर रो रहे थे…. लक्ष्मी रोते-रोते बार-बार यह कह रही थी कि अब हमारा गुजारा कैसे होगा…? आई तो थी अर्चना उसे साहस देने, पर वह अपना बिता दिन याद करने लग जाती है…
जब उसके पति नितिन की मृत्यु हुई थी… वह भी ऐसे ही रो रही थी… पर इन सब में एक चीज़ का काफी फासला था… वह यह कि अर्चना को अपने और बच्चों के गुजारे की फिक्र नहीं थी… वही लक्ष्मी के पति की मृत्यु के बाद, उनके गुजारे पर भी सवालिया निशान थे…
जब अर्चना वहां से लौट रही थी, तो वह बार-बार सोचती है कि मैं हमेशा भगवान को कोसती हूं… मुझे अकेला कर देने के लिए, पर मुझे अपने गुजारे के लिए कभी भी सोचना नहीं पड़ा, इसके लिए तो कभी धन्यवाद ही नहीं किया भगवान को..? अब आगे से कभी भी मैं भगवान से शिकायत नहीं करूंगी… यह सोचते हुए अर्चना अपना जीवन बिताए जा रही थी…
फिर एक दिन अर्चना घर पर बैठी थी कि तभी उसको किसी का फोन आता है और उसे पता चलता है, उसके बेटे का एक्सीडेंट हो गया है और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है.,, अर्चना सब कुछ अगला पिछला भूल फिर से भगवान को कोसते और रोते हुए अस्पताल पहुंच जाती है…
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जहां उसका बेटा लेटा हुआ था और उसे कुछ मामूली चोटे और पाँव में थोड़ा फैक्चर हुआ था…
अतुल: मां..! देखो ना अब मैं कल मैच कैसे खेलूंगा..?
अर्चना: कोई बात नहीं बेटा..! तू अगली बार खेल लेना.. यह कहकर अर्चना मन ही मन भगवान से कहती है… मेरे सुख को दुख में बदलकर काफी मजा आता है ना आपको..? कम से कम बच्चे से तो उसकी खुशियां ना छीनते…
अगली सुबह अर्चना को पता चलता है, जिस बस से सारे बच्चे मैच के लिए जा रहे थे, उसका एक्सीडेंट हो गया और सारे बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए हैं… अर्चना को फिर लगा के शायद कल मेरे बेटे के छोटे से एक्सीडेंट की वजह से, उसका बड़ा एक्सीडेंट टल गया और वह फिर भगवान से माफी मांगने लगी..
अब हमेशा ही अर्चना को ऐसा ही लगने लगा कि, मानो भगवान अगर अभी दुख दे रहा है तो सुख भी आने वाला है, क्योंकि जीवन में सुख दुख दोनों की ही अहमियत है…
ऐसे ही अर्चना की शिकायते खत्म होती रही.. फिर 1 दिन अर्चना के बिजनेस में काफी नुकसान हो गया., उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि वह क्या करें..? नितिन रहते तो सब कुछ संभाल लेते पर, अब उसे ही सब कुछ करना पड़ेगा.,, उसके व्यापार में भारी गिरावट आ जाती है और उसे अपना घर बेचना पड़ जाता है.. पर इस बार वह भगवान को नहीं कोसती… क्योंकि उसे पता था कि इसके पीछे भी कोई खुशियां जरूर छुपी होगी… पर उसे कहां पता था कि उसकी खुशियां ना जाने कितने परतो के पीछे छिपी है..?
अच्छे खासे जीवन शैली से वह और उसका परिवार कमियों में जीने लगे… उसके बच्चे पहले किसी भी चीज की कदर नहीं करते थे, आज उनमें इंसानियत दिख रही थी… अर्चना ने गरीबी में रहकर भी हिम्मत नहीं हारी और मेहनत करती चली गई, फिर वह वापस वहां पहुंच गई जहां से उतरी थी…
अब उसके बच्चे और उसमें काफी बदलाव आ चुका था.. बच्चे उसके पैसों की भाषा भूल चुके थे और अर्चना का भगवान पर अटूट विश्वास हो चुका था… उसके परिवार को सुख दुख दोनों की अहमियत का पता चल चुका था….
दोस्तों..! किसी के पास बहुत पैसा है, पर वह दूसरों की शांति देखकर सोचता है, काश..! मेरे पास भी ऐसी शांति होती और किसी के पास शांति है, पर वह उसके पास पैसे नहीं, वह सोचता है काश..! मेरे पास भी पैसे होते और मैं ऐसे ऐसो आराम की जिंदगी जी पाता… मेरा ऐसा कहने का तात्पर्य यह है कि, जीवन सुख दुख का संगम है, सिर्फ खुशियां होंगी तो हमें उसे पाकर कोई खुशी नहीं होगी और अगर सिर्फ दुख होगा तो हमें अपनी जिंदगी बोझ लगने लगेगी… तो अगली बार जब आपके मन में ऐसे विचार आए तो मायूस होने की जरूरत नहीं., भगवान है यह सब सोचने के लिए.,, हमें तो बस जीते चले जाना है और जो चीजें हमारे बस में है ही नहीं, उसके लिए क्यों अपना सर खपाना.,,?
धन्यवाद
मालिक/स्वरचित्र/अप्रकाशित
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रोनिता कुडूं
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