Moral stories in hindi : कल से मन बहुत खिन्न था। सुबह सुबह वॉक पर निकल आया।प्रकृति के बीच मन को थोड़ा सुकून मिल जाता है ,लेकिन मन घूमने में लग नही रहा था।कुछ था जो मन को कचोट रहा था।
डॉ अमन ,……पीछे से डॉ विजय ने आवाज़ दी।
अरे डॉ रोहन हाउ आर यू …… मैने पूछा।
बस सब ठीक ……आप कल डॉ विकास और मानवी की शादी में नही आए…… डॉ विजय ने प्रश्न किया।
हां…..वो…….मेरे कुछ कहने से पहले बोले
डॉ रोहन आप और विजय तो बहुत अच्छे दोस्त है ना,कल आपके ना आने की बड़ी चर्चा रही।सभी पूछ रहे थे।ऐसे तो आपके संबंध खराब हो जाएंगे डॉ विकास से।जानते है पूरे देश के बड़े बड़े डॉ आए थे।
याद है आपको एक टाइम पर जब हम तीनो एक ही बिल्डिंग में रहते थे,कितनी गहरी दोस्ती हुआ करती थी।अमन प्लीज़ बताइए ना ,आप ठीक तो है ,घर परिवार में सब ठीक न।
जी डॉ विजय सब ठीक ।अच्छा लगा की आपको कुछ बाते याद है ।कुछ मैं याद दिलाता हूं।याद है आपको जब हमारी पत्नियां कही जाती थीं तो रिदिमा भाभी हमारा खाना बनाया करती थीं।एक बार तो जब हम दोनो रात में पहुंचे ,तब उन्होंने हमारे लिए दोबारा खाना बनाया।
और वो याद है डॉ विजय जब आपकी वाइफ और आप बाहर थे तब आपकी बेटी को तीन दिन रिदिमा भाभी ने ही अपने पास रखा था।और भी जाने कितनी बार कितनी मदद रिदिमा भाभी ने हम दोनों के परिवारों की की होगी।
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फिर आपका ट्रांसफर हो गया। आप बहुत प्रैक्टिकल है डॉ लेकिन मैं दिल का डॉ हूं ना तो शायद दिल से जुड़ जाता हूं। मैने और कृति ने रिदिमा भाभी को रोते देखा विजय के लिए कितना गिड़गिड़ाती थी वो ,अपने प्रेम का ,बच्चो का वास्ता देती थीं
लेकिन उस आदमी ने उनकी एक न सुनी।जानते हो उन्होंने कहा था भैया मुझे इनके और मानवी के अफेयर से प्रॉब्लम नहीं मैं स्वीकार कर लूंगी बस ये मुझे और बच्चो को इस घर में रहने दे।लेकिन उनकी किसी बात का विजय पर कोई असर न हुआ।भाभी को वो घर छोड़ना पड़ा।
डॉ विजय मैं मानता हूं कि प्रेम कभी भी किसी से भी हो सकता है ।लेकिन जिम्मेदारी भी बहुत बड़ी चीज़ होती है।मेरी नज़र में उस इंसान की कोई रिस्पेक्ट ही नही तो उसकी शादी में जाकर क्या ही करता।
मुझे तो भाभी और उन बच्चो से जुड़ाव है ….. हर संभव प्रयास मैं और कृति करते है कि चंद मुस्कान उनके हिस्से में दे सके।आप वो सब भूल गए और आपको डॉ विकास याद रहे उनसे होने वाला फायदा याद रहा।
आप ही क्या उनकी शादी में मौजूद हर शख्स जो संस्कृति समाज और अपनेपन की बात करता है लोगो के सामने वो सभी लोग उन तीन लोगो के दर्द घुटन और तकलीफ़ को भूल गए। चिढ़ होती है ऐसे सो कॉल्ड बड़े लोगो से। लेकिन मुझे मेरी अंतरात्मा ने कुछ भूलने नही था।
कहकर मैने अपनी वॉक की रफ़्तार तेज़ कर दी।आंख नम जरूर थी लेकिन दिल में सुकून था।
पारुल अग्रवाल मित्तल
अलीगढ़