Moral stories in hindi : राजेश और शिखा दोनों फाइन आर्ट्स कॉलेज के बहुत ही होनहार विद्यार्थी थे, जिनकी चित्रकला के चर्चे पूरे कॉलेज में थे, और दोनों में बहुत अच्छी मित्रता भी थी हालांकि दोनों की चित्रकला की शैली अलग अलग थी अपनी अपनी जगह पर दोनों ही बहुत अच्छे चित्रकार थे l कॉलेज से डिप्लोमा पूर्ण करने के बाद भी दोनों में अच्छी मित्रता रही l
शहर में बहुत बड़ी चित्रकला प्रदर्शनी का आयोजन किया गया कुछ ही दिन बचे थे राजेशऔर शिखा अब शहर में बहुत अच्छे चित्रकारों के नाम से पहचाने जाते थे सो दोनों ही इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए जोर शोर से तैयारी में लग गये दिन रात मेहनत करते l
” अरे यार क्या बात है…तेरे सारे चित्रों को देखकर यूँ लगता है जैसे अभी बोल उठेंगे, और रंगों का चयन तो क्या कहना, मानना पड़ेगा ” राजेश शिखा के बनाए हुए चित्रों की तारीफ कर रहा था तभी शिखा ने कहा ” यार तेरे चित्रों का भी तो कोई जवाब नहीं है, शब्द नहीं है मेरे पास कि तेरे चित्रों की कैसे तारीफ करूं बहुत ही अनूठी है तेरी चित्रकला “
आखिर वह दिन भी आ गया जब सभी कलाकार अपने अपने चित्र टाउन हॉल की दीवारों पर सजा रहे थे, राजेश और शिखा ने एक दूसरे की बहुत सहायता की चित्रों को सजाकर लगाने में सारे कलाकारों के चित्रों के लग जाने के बाद हाल को ताला लगा दिया गया l
दूसरे ही दिन प्रतियोगिता का निर्णय होना था, देर रात गए राजेश ने शिखा को फोन किया ” अरे यार नींद ही नहीं आ रही है क्या करूं…” शिखा ने कहा ” हां यार यही हाल मेरा भी है चलो देखते हैं कल क्या होता है…..!! इतने वर्षों की मेहनत क्या रंग लाती है..? हमसे जितनी अच्छी कलाकृतियां बन सकती थी हमने बनाई “
दूसरे दिन टाउन हॉल में बहुत ही भीड़ थी बहुत से चित्रकार थे प्रदर्शनी को देखने वाले बहुत से लोग भी थे, जैसे शिखा ने अपने चित्रों को देखा तो वह हैरान रह गई….! किसी ने उसके सारे चित्रों को छेड़छाड़ करके बदसूरत बना दिया था….,
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उसने फौरन जाकर प्रदर्शनी के डायरेक्टर मिस्टर खन्ना साहब से इसकी शिकायत की तब खन्ना साहब ने कहा ” घबराओ मत हम सब कमेटी मेंबर अभी पता लगाते हैं यह सब किसने किया है ” जांच पड़ताल शुरू हुई और शिखा ने अपने सारे चित्रों की फोटो फोन में डायरेक्टर साहब को दिखाई जिन्हें अब यह रूप दे दिया गया था l
चौकीदार को बुलाया गया पहले तो वह कुछ नहीं बोला पर पर थोड़ा दबाव डाला और उससे कहा ” तुम्हें नौकरी से निकाला जाता… है इतनी ज्यादा लापरवाही….” तब चौकीदार बोला ” नहीं साहब ऐसा मत करो मेरा परिवार भूखा मर जाएगा…..!
मैं सब कुछ बताता हूं, और वह बोला ” जब हाल को ताला लगा दिया गया था, तो उसके 3 घंटे बाद यह साहब आये…राजेश की ओर इशारा करते हुए कहा, इनके हाथ में कुछ चित्र थे, इन्होंने कहा ” दादा मेरे कुछ चित्र अंदर लगाना रह गए थे,
अगर आप ताला खोल दें तो मैं इन्हें लगा दूं “और मुझे 500 का नोट भी दिया उसके बाद में बिल्डिंग के चारों ओर चक्कर लगाकर देखने चला गया और जब 1 घंटे बाद लौटा तो यह साहब वापस जा रहे थे, मैंने वापस ताला लगा दिया इन्होंने अंदर क्या किया मुझे नहीं पता…..?
उसके बाद खन्ना साहब और सारी कमेटी ने हाल के अंदर ही लगे छुपे हुए कैमरे में सारी रिकॉर्डिंग देखी उसमें साफ नजर आ रहा था कि राजेश कुछ कलर और ब्रश लेकर चित्रों में कुछ फेरबदल कर रहा है l राजेश को तो जैसे सांप सूंघ गया हो…
काटो तो खून नहीं…. शिखा गुस्से से आगबबूला हो गई उसने कहा ” तुम आस्तीन के सांप निकले दोस्ती के नाम पर गहरा दाग हो अगर मुझे एक बार कह देते तो मैं इस प्रतियोगिता में भाग ही नहीं लेती…..! यह सब करने की क्या जरूरत थी,
अरे… कलाकारों का दिल तो बहुत ही मासूम होता है…उनकी कला उनकी संतान होती है… तुम कला के नाम पर दाग हो….! और ना जाने क्या-क्या कहते कहते शिखा मूर्छित सी होने लगी उसकी वर्षों की मेहनत पर पानी फिर गया था… उसे बिठाकर पानी पिलाया गया थोड़ी देर बाद वो शांत हुई l
राजेश को सामने सिर झुकाये खड़ा देखकर उसे उससे घृणा होने लगी l
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कमेटी ने अपना फैसला सुनाया कि, राजेश आज से कभी भी किसी भी प्रतियोगिता में भाग नहीं ले सकता, और इस पर कानूनी कार्रवाई भी होगी, और शायद इस प्रतियोगिता में वह प्रथम स्थान भी पा सकता था….?
पर ईर्ष्या के कारण इसने अपने ही पैरों पर खुद कुल्हाड़ी मार ली राजेश चित्रकार तो बहुत अच्छा है.. पर इसके मन का कैनवस काला है जिस पर ये अपनी ईर्ष्या की तूलिका से चित्रों को उकेरता है, यह कला जगत पर बहुत बड़ा दाग है
मौलिक एवं स्वरचित
#दाग
रणजीत सिंह भाटिया…
U. S. A.