संभलते रिश्ते  – ऋतु गर्ग

अनुजा अपनी बहन से बहुत प्यार करती थी ।

जब भी कुछ सामान लाती तो अपनी छोटी बहन के लिए लाना कभी नहीं भूलती और वह आशा करती कि सभी भी दोनों बहनों को समान रूप से प्यार और सम्मान दे।

 माता-पिता को लगता कि अनुजा तो बड़ी है उसे हर बात को समझना चाहिए ।

वह दोनों बहनों की कभी-कभी तुलना भी करते।

 अनुजा और कीर्ति के स्वभाव में जमीन आसमान का अंतर था।

 अनुजा समझदार तो कीर्ति चंचल।

दोनों की उम्र में कोई ज्यादा अंतर नहीं था और अभी दोनों बच्चियां ही थी।

 एक बार शहर में बहुत शानदार प्रोग्राम का आयोजन होना था।

 उस आयोजन में शामिल होने के लिए काफी लोग आए थे।

 काफी प्रतिभावान व्यक्तियों को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया और अनुजा कीर्ति को भी इसमें अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर प्राप्त हुआ।

 माता-पिता की खुशी का ठिकाना न था।

 लेकिन लेकिन अचानक अनुजा का पांव फिसल गया और उसे गहरी चोट लगी।

 मगर उस तरफ किसी ने भी ध्यान नहीं दिया ।

उन्हें तो बस अपनी बेटीयों की प्रतिभा को देखने की उत्सुकता थी।




आज अनुजा मन ही मन बहुत दुखी हुई।   आज फिर माता-पिता ने दोनों की तुलना कि जब अनुजा अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन ठीक से न कर सकी तो उन्हें बहुत गुस्सा आया और कीर्ति की तारीफ करते हुए अनुजा को सभी के सामने डांटने लगे।

 उन्होंने दोनों की तुलना करके अच्छा नहीं किया।

 घर आने के लिए जैसे ही गाड़ी में बैठने लगी तो उन्होंने देखा कि अनुजा की फ्रॉक में जगह-जगह खून लगा हुआ है।

 अचानक दोनों ने चौंक कर ध्यान से देखा तो उसके पांव में बुरी तरह से चोट लगी हुई थी।

 लेकिन इस तरफ तो किसी का ध्यान ही नहीं गया।

बस प्रतिस्पर्धा की दौड़ दिख रही थी जहां पर एक बेटी अव्वल थी तो दूसरी बिल्कुल नालायक लगी।

   कभी कभी माता पिता की इस व्यवहार से वह बहुत छूबध हो जाती।

 मगर वह कीर्ति से बहुत प्यार करती थी इसलिए वह चुप रहती।

 मगर आज तो हद हो गई जब माता पिता  ने सच जाने बिना ही उसे डांटना शुरू कर दिया।

माता पिता के कहने पर भी जब अनुजा मुंह से कुछ नहीं बोल पा रही थी ।

उसके मन की पीड़ा को कीर्ति ने समझ लिया था।

कीर्ति थोड़ी चंचल थी तो बेबाक सभी कुछ भी बोल देती थी।

 माता पिता को डांटते हुए कीर्ति ने कहा कि क्या हम दोनों आपकी बिटिया नहीं है।

 फिर आप हम दोनों की तुलना क्यों करते हैं। क्या हम दोनों को समान उसे आप प्यार नहीं करते ??

कीर्ति की बात सुनकर माता-पिता बहुत लज्जित थे। आज उन्हें अपनी गलती का एहसास हो चुका था और समझ चुके थे कि माता-पिता का अपने बच्चों को आगे बढ़ाने में सबसे बड़ा योगदान होता है।

 पश्चाताप से उनकी आंखें भीग चुकी थी आज वह दोनों अपनी प्यारी बेटी अनुजा को गोदी में लेकर अपनी गलती के लिए माफी मांग रहे थे ।

 उन्हें अफसोस था कि वह अपनी जिंदगी के अनमोल लम्हों को बेकार कर रहे थे।

 माता-पिता के लिए तो सभी संतान सामान प्यार की हकदार होती है।

अनुजा आज बहुत खुश थी।

आज उसे अपने प्यार का उपहार जो मिल गया था।

आज वह कीर्ति को गले लगा लेती है और माता-पिता को चूमते हुए कहती है

 आओ! तुम्हें माफ किया।

वादा करो कि आप कभी किसी की तुलना नहीं करोगे।

दोनों ने उसकी मरहम पट्टी करवा कर माफी का लेप लगा दिया था।

एक साथ सभी बहुत खुश लग रहे थे।

#माफ़ी 

ऋतु गर्ग,सिलिगुड़ी,पश्चिम बंगाल

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