तूलिका आज बहुत खुश नजर आ रही थी और आती भी क्यों नहीं, उसकी ससुराल में पहली करवाचौथ जो थी। आज तूलिका के भैया भाभी करवाचौथ लेकर आ रहे थे तो तूलिका की सास और वह सारे काम जल्दी जल्दी निबटाने में लगी हुईं थीं। तूलिका की सास बोली जा बेटा (बहु)अब जल्दी से तैयार हो जा , तेरे मायके से भी आते होंगे।
तूलिका अपने कमरे में तैयार होने चली गयी।उसने सुंदर सी लाल रंग की साड़ी पहनी और खुब अच्छे से श्रृंगार किया। सास बहू को देखकर बहुत खुश हुई और बलियां लेती हुई बोली बहु कही तुझे आज नजर न लग जाये। सास ने अपनी आंखों से काजल ले तूलिका के कान के पीछे लगा दिया।
तभी उसके भैया भाभी भी आ गए। तूलिका उन्हें देखकर बहुत खुश हुई।तूलिका के भैया भाभी काफी सारे गिफ्ट, साड़ी श्रंगार का सामान , फल , मेवे, मीठा और सभी घर वालों के कपड़ों के रुपये वगैहरा वगैहरा लाये थे।
फिर तूलिका और उसकी भाभी चाय नाश्ते तैयार करने में लग गयी। भाभी तो नाश्ता करती नहीं लेकिन भैया को तो कराना था ।नाश्ता करते करते थोड़ी गपशप होती रही। तूलिका से भाई बोला अब हमें चलना चाहिए पहुँचते पहुँचते रात हो जाएगी। अब भैया भाभी जा चुके थे।
उनके जाने के बाद सास ने सामान खोलकर देखा। समान देखकर सास का मुँह बन गया और बड़बड़ाने लगी। तूलिका यह सब देख रही थी। अब तूलिका सास से बोली मम्मी जी क्या कुछ कमी रह गयी है? सास बोली कमी! भेजा ही क्या है?? बस तेरे लिए ही भेजा है हमारे लिए तो कुछ भी नही है।
सही कहते हैं लोग एक बेटी का बाप अपनी औकात से ज्यादा देता है। लेकिन ससुराल वालों को वो भी कम लगता है। क्योंकि सामान उनके स्टेटस का नही होता है। अब बात हमारे समझ से तो बाहर है। त्यौहार शुभ के लिए होते हैं या ससुराल वालों का घर भरने के लिए। कहने को ससुराल वाले अच्छे खासे पैसे वाले हैं लेकिन बहु के पीहर से चाह लेने की ही होती है। आखिर समाज मे ऐसा क्यों होता है??
चलो खैर आगे शुरू करती हूँ अपनी बात…
तूलिका बहुत समझदार , सुशील, संस्कारी थी। लेकिन उसने सास से कुछ भी नही कहा। और वहाँ से उठकर अपने कमरे में चली गयी। उसकी आँखों से झरझर आँसू निकलने लगे।
उधर तूलिका के पति (प्रयाग)ने अपनी माँ और तूलिका की सब बातें सुन ली थीं। लेकिन उसने अपनी माँ से कुछ नही कहा। वह भी तूलिका के पीछे पीछे कमरे में पहुंचा।
प्रयाग अनजान बनकर तूलिका से बोला तुम क्यों रो रही हो? तूलिका भी बात छुपाते हुए बोली मेरी आँखों मे कुछ गिर गया था तो बस इसलिए आंखों से पानी आने लगा।
अब प्रयाग हतप्रभ था कि उसकी माँ ने इतना सबकुछ सुना डाला फिर भी उसने माँ के बारे में कुछ नही बताया। होने को तो घर के सभी लोग तूलिका से बहुत प्यार करते थे । लेकिन उस दिन सास के वर्ताव से तूलिका का बहुत दिल दुखा।
तब प्रयाग ने तूलिका को प्यार से समझाते हुए कहा कि तुम चिन्ता ना करो मैं माँ को अपने तरीके से सब समझ दूंगा। यह कहकर वह माँ के पास गया। और चुप चाप जाकर बैठ गया। प्रयाग के बैठते ही माँ प्रयाग से फिर वही बात दोहराने लगी। अब प्रयाग को भी अच्छा मौका मिल गया माँ को समझाने का।
वह माँ से बोला –अच्छा माँ एक बात बताओ । हमारी भी छोटी बहन मीनाक्षी की जब शादी हो जाएगी तो हम भी खुब सारा सामान भेजेंगे। माँ बीच में ही बोल पड़ी कि और नही तो क्या? हम तो खुब सामान भेजेंगे। तब बात आगे बढ़ाते हुए प्रयाग बोला और यदि उसकी भी सास को सामान पसन्द नही आया तो??और मीनाक्षी की सास ने भी आप ही कि तरह बोला तो ??तो फिर उसके बारे में आपका क्या ख्याल है??तब तूलिका की सास को अपनी कही बात पर बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई। वह तुरंत उठ तूलिका के पास जाकर बोली बेटा(बहु)मुझसे गलती हो गयी मुझे माफ़ कर दो। अब तूलिका बोली कोई बात नही मम्मी जी। आप क्यों मुझसे माफी मांगोगी?आप तो माँ हैं ऐसा तो चलता ही रहता है। अब सास बहू ने चांद देखकर अपना व्रत खोला।
अब तूलिका और प्रयाग अपने कमरे में आ चुके थे। प्रयाग ने झुमके लेकर तूलिका के हाथ मे दिए। तब तूलिका बोली मुझे ऐसा कोई उपहार नही चाहिए । बस मेरा तो सबसे बड़ा उपहार आपका प्यार और साथ है। आज मैं बहुत खुश हूँ।
स्वरचित
मानसी मित्तल