छोटी माँ – लतिका पल्लवी :  Moral Stories in Hindi


अंशु स्कूल से आया और आकर अपना बैग ड्राइंग हॉल में फेककर सीधे छोटी मम्मी विजया के कमरे में जाकर सो गया। उस समय उसकी छोटी मम्मी छत से कपड़े उठाने गईं थी। उसी वक़्त उनकी पड़ोसन भी अपने छत पर कपड़ा उठा रही थी। विजया को देखकर उसकी पड़ोसन बात करने लगी, अब कोई बात करे तो जबाब तो देना ही पड़ता है, इसलिए विजया नें भी उसकी बातो

 का जबाब दिया, पर उसका ध्यान तो अंशु पर ही था कि वह स्कूल से आ गया होगा। विजया का मन बातचीत में नहीं लग रहा था।कुछ समय तो उसने लिहाज में बात किया पर जब उसने देखा
 कि उसकी पड़ोसन अभी गप्प करने के मूड में है तो उसनें पड़ोसन से कहा दीदी अंशु स्कूल से आ गया होगा। उसे खाना देना है मै नीचे जाती हूँ। बस पड़ोसन को तो और बात का मुद्दा मिल 

गया। कहने लगी बुरा मत मानना विजया छोटी बहन समझ कर कह रही हूँ।अपनी पूरी जिंदगी में मैंने तुम जैसा बेवकूफ नहीं देखा है।दिन रात अंशु अंशु करती रहती हो। अंशु की माँ तो पैसे कमाती है और तुम नौकरानी की तरह उसके बच्चे की देखभाल करती रहती हो।अभी भी सम्भल जाओ दूसरे के बच्चो को कितना भी प्यार करो वह अपना नहीं बन सकता,रहेगा माँ का बेटा ही।

बात आप सही कह रही हो दीदी, मुझे अंशु को अपना बेटा बनाना भी नहीं है। मै क्यों किसी दूसरे के बेटा को अपना बेटा बनाने की कोशिश करुँगी?वह मेरे जेठ जेठानी का बेटा है मेरा भतीजा है और वह मेरे लिए यही रहेगा भी। मै उसकी छोटी माँ हूँ और छोटी माँ ही रहूंगी।रिश्तो में घालमेल क्यों करना है? और आपको यह क्यों लगता है कि मै उसे अपना बेटा बनाना चाहती हूँ? दीदी 

अंशु मेरे परिवार का बच्चा है।उसकी माँ नौकरी करती है। दोपहर में नहीं रहती है इसलिए मै उसका काम कर देती हूँ।आप हमारे घर को तोड़ने की कोशिश मत कीजिये। मेरे उपर आपकी किसी भी बात का कोई असर नहीं पड़ेगा।यह कहकर विजया छत से नीचेउत्तर  कर आ गईं और

 कपड़ो को कुर्सी पर रख दिया और सोचा कि पहले अंशु को खाना दे देती हूँ फिर कपड़े तह कर लुंगी। वह अंशु को देखने के लिए उसके कमरा में गईं, पर अंशु वहाँ नहीं था।उसने सोचा बच्चा कहा गया? फिर वह उसे ढूंढने के लिए उसकी दादी के कमरा में गईं, पर अंशु वहाँ भी नहीं था। उसने दादी से पूछा माँ अंशु को आपने देखा है? मै कपड़े उठाने छत पर गईं थी।कब आया पता ही नहीं चला। पता है, जब अंशु आया तो मै तुम्हे बुलाने के लिए छत की तरफ जा रही थी। तभी

 लगा कि तुम आ रही हो तो सीढ़ियों से ही उतर आई। अंशु तुम्हारे कमरा में है। बोला छोटी माँ के कमरा में जा रहा हूँ।मेरे कमरा में, जाती हूँ उसे कुछखिलाती हूँ। विजया अपने कमरा में गईं तो देखा कि अंशु सो रहा था। उसने पास जाकर कहा बाबू पहले कुछ खा लो फिर सोना उसने उसे जगाने के लिए जैसे ही उसको छुआ तो अंशु का पूरा शरीर तप रहा था। विजया नें थर्मामीटर लेकर जाँचा तो पाया कि अंशु को 103 डिग्री बुखार था। वह घबरा गईं। वह फस्ट एड  बॉक्स 

लेकर आई और उस में से दवा निकालने लगी,पर उसे दवा की समझ नहीं थी और ना ही उसे अंग्रेजी पढ़ने आती थी।उसे याद था कि जब उसके पति को बुखार हुआ था तो भैया नें एक सफ़ेद रंग की दवा दी थी। वह उस दवा को खोजने लगी, पर उसने देखा कि बॉक्स में बहुत सारी दवा सफ़ेद रंग की थी। उसने एक दवा निकाला जो कि उसे लगा की वह बुखार की है।उसे कुछ 

समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे फिर उसके दिमाग़ में एक आइडिया आया कि वह अपने पति को फोन करे और उनसे पूछे।उसे अंग्रेजी की वर्णमाला आती ही है। वे जो स्पेलिंग बोलेंगे उसे पढ़कर वह दवा पहचान लेगी। यह सोचकर उसने पहले रसोई से एक गिलास पानी लाया और फिर मोबाईल से पति को कॉल लगाया। अभी उसके पति नें कॉल उठाया ही था तभी उसकी जेठानी कमरा में आई और उसके हाथ में ली हुई दवा को देखा और चिल्लाने लगी जाहिल कही की, मेरे बेटे का तुम जान लेना चाहती हो। पढ़ने लिखने नहीं आता है तो दवा देने की क्या 

जरूरत है। बच्चो को ऐसे ही कुछ भी दवा दे दोगी?उसे कुछ हुआ है तो मुझे फोन कर देती। मै आ जाती और उसे डॉक्टर के पास ले जाती। पता नहीं माँ पापा को क्या सुझा जो तुम जैसी जाहिल से देवर जी का विवाह कर दिया। तुम जैसी अनपढ़ पत्नी को पा कर तो देवर जी की जिंदगी ही खराब हो गईं। यह सब बाते मोबाईल से उसके पति नें भी सुना क्योंकि उसने दवा पढ़ने के लिए कॉल को स्पीकर पर रखा था। शोर सुनकर उसकी सास भी आ गईं थी। जेठानी को विजया को डाँटते देखकर वे गुस्सा हो गईं और उन्होंने कहा बड़ी बहू एकदम से चुप हो 

जाओ। पहले तुम दोनों बाहर चलो। बाहर आने पर उन्होंने कहा तुम विजया को जाहिल कह रही हो। तुमसे बड़ा जाहिल तो इस दुनिया में नहीं होगा। तुमने दो अक्षर उससे ज्यादा क्या पढा है तुम्हारा तो दिमाग़ ही खराब हो गया है।तुमने एक बार भी सोचा की तुम्हारे बेटे की तबियत खराब है और तुम इतने जोर जोर से चिल्ला रही हो इससे उसे तकलीफ हो रही होंगी। अभी माँ का 

बोलना जारी ही था कि विजया के पति नें बोला भाभी आपको मेरी चिंता करने की जरूरत नहीं है। मै विजया को पा कर बहुत खुश हूँ। आप अपने बेटा और हमारा कितना परवाह करती है मुझे और परिवार के सभी सदस्यों को पता है। विजया के संस्कार और परिवार के प्रति प्रेम को 

देखकर माँ पापा नें मेरा उससे विवाह किया था और वे सही साबित भी हुए। विजया एक अच्छी बहू, पत्नी,भाभी और छोटी माँ है। आपको उसे कुछ कहने की जरूरत नहीं है। विजया की जेठानी नें गुस्साते हुए कहा पता नहीं विजया नें आप सब पर क्या जादू किया है सब उसी के गुण गाते हो, पर मै अपने बेटा पर उसका जादू नहीं चलने दूंगी। उसे अब    विजया से दूर ही रखूंगी। जैसी आपकी मर्जी कहकर विजया के पति नें फोन काट दिया।उसकी बातो को सुनकर उसकी 

सास नें कहा जिसे तुम जाहिल कह रही हो उसके विचार कितने ऊचे है तुम्हे क्या पता है और जो बाते विजया नें अपनी पड़ोसन से कही थी वह उसे बताया और पूछा बोलो अब भी तुम्हे लग रहा है कि वह तुम्हारे बच्चे को तुमसे   छीनेगी? वैसे बहू यदि कोई माँ अपने बच्चे का ख्याल रखेगी तो उससे उसके बच्चे से कोई जुदा नहीं कर सकता। विजया के ख्याल को जानकर उसकी जेठानी 

नें उससे माफ़ी मांगते हुए कहा मैंने तुम्हे गलत समझा। सही बात यह है कि मै नौकरी के चककर में परिवार पर कभी ध्यान ही नहीं दे पाई और जब तुम आई और सबका अच्छे से ख्याल रखा तो सभी तमसे बहुत खुश रहते थे और तुम्हारा गुणगान करते है जिससे तुम्हारे प्रति मेरे मन में जलन की भावना आ गईं थी। मै स्वभाव से बुरी नहीं हूँ। बस समय मैनेज़ नहीं कर पाती हूँ। आगे से 

कोशिश करूंगी कि तुम्हारे साथ मै भी परिवार का ख्याल रख सकू। मुझे अपनी बड़ी बहन समझ कर माफ़ करोगी ना? नहीं दीदी आप बड़ी है आप मुझसे माफ़ी मत मांगिए । यह अच्छा नहीं लग रहा। वैसे बहनो में माफ़ी का कोई सवाल भी नहीं है मुझे आपसे कोई शिकायत ही नहीं है।बस दोनों बहने अच्छे से रहे और मिलजुलकर  अपने परिवार का ख्याल रखे यही सबसे सही है 

विषय – जाहिल 

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