जिंदगी कितनी खूबसूरत है,आइए आपकी जरूरत है। – पूनम भटनागर : Moral Stories in Hindi

मुग्धा,मधु,रेशू, असीम,निलेष रमेश तथा कुमार अपने नुक्कड़ नाटक को लेकर बात करते जा रहे थे। सात सदस्यीय ये टीम किसी संगठन से कम नहीं थी। विशेश्वर कालेज में पढ़ने वाले ये लोग बी काम के छात्र थे, पर जैसे सभी समस्याओं से जूझना इनका प्राथमिक लक्ष्य था।

समाज में चल रही आपाधापी को ये लोग अपने निशाने पर लाते ही नहीं बल्कि उसका समाधान भी ले कर आते। अब जैसे रीटा बहन की दहेज की समस्या सामने आई। रीटा मधु की सहेली थी। कुछ समय पहले मधु , रीटा से मिलने गयी तब उसके घर में पहुंचने पर उसके पति की चिल्लाने की आवाज पर मधु के पांव बाहर ही ठिठक गए। रीटा, तुझे दो लाख रुपए लाने के लिए कहा था, अभी तक इंतजाम नहीं हुआ, मुझे पैसे की सख्त जरूरत है।

रीटा रोते हुए बोली , श्याम मेरे पिता के पास पैसे नहीं हैं, शादी में ही इतना कर्ज चढ़ गया, कोई उधार नहीं दे रहा।

मैं कुछ नहीं जानता , तुझे पैसे लाने ही होंगे, नहीं तो इस घर में नहीं रह सकती।

ये ऐसे ही बहाने बनाती है, इस लकड़ी से इसकी पिटाई कर, ये ऐसे नहीं मानेगी। सांस के चिल्लाने की आवाज आई।

नहीं मुझे मत मारो, मैं फिर से घर जाकर पिता से कहती हूं, कहकर रीटा बाहर की तरफ भागी।

बाहर दरवाजे पर मधु ‌को सब सुनते हुए देखा तो अकबका कर फफक उठी, मधु मेरे पिता कहां से पैसा लाएं, उनके ऊपर पहले से इतना कर्ज है।

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तू चिंता न कर , रीटा, मैं अपने गुरूप में बात करती हूं। चिंतित सी मधु ने आकर गुरूप में बात की। सबको सुना कर बहुत गुस्सा आया कि पढ़ी लिखी रीटा के साथ दहेज के लिए क्या हो । सबने मिलकर तय किया की नुक्कड़ नाटक के साथ उसके पति को रास्ते पर लाया जाए। अगले ही दिन सब उसके घर के आगे उसके पति को घेर कर खड़े हो गए। नाटक के द्वारा उसे सबक सिखाया गया, पर उसका पति ऐसा राक्षस निकला, वह इनके जाते ही, रीटा को पीट कर कहने लगा कि अब तू घर में नहीं रह सकती

।तब सबने मिलकर उसकी पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस के डर से वह रीटा के साथ ठीक व्यवहार करने के लिए तैयार हुआ। इतना ही नहीं इन लोगों ने रीटा को आश्वस्त किया कि वे उसके लिए किसी नौकरी का बंदोबस्त भी करवाएंगे।

इन छात्रों के समूह ने ऐसे कई उदाहरण प्रस्तुत किये है।इसकी शुरुआत प्रथम वर्ष में कालेज में एन,एस,एस में शामिल होने पर की थी। जिसमें अनेक ऐसे ही सामाजिक विचारधारा को लेकर उसमें सामाजिक व्यवस्था व समाजसेवी कायों को करना छात्रो को करवाते हैं। मुग्धा व निलेष सबसे पहले इन कार्यों को करने में आगे आए। बाद में अन्य छात्रों के जुड़ने से ये एक गुरूप की शक्ल में बन गये। और देखते ही देखते यह गुरूप पूरे कालेज में प्रख्यात हो गया।कमी प्रोफेसर इस समूह की मदद को आगे आने लगे।

ऐसे ही प्रोफेसर महेश इस गुरूप की बहुत मदद करने लगे। एन,एस,एस में ये गुरूप की बार गांवों में महिलाओं को शिक्षा का महत्व सिखाने चला जाता, एक बार अंजनी देवी और उनके साथ की महिलाओं को घर में ही पढ़ा कर आठवीं की कक्षा तक की पढ़ाई करा रहे हैं। उनका विधालय में एक्जाम कैसे हो इसका सारा विवरण उन्हें सिखाया। ये महिलाएं प्राइमरी तक पढ़ी थी

और आगे पढ़ने की इच्छुक थी। प्रोफेसर महेश से सलाह कर ये छात्र उनकी मदद करने जाते रहे। इस गुरूप के सभी छात्र अच्छे खाते पीते घरों से संबंध रखते हैं सो पैसे की कोई तंगी नहीं होती। सब मिलकर किसी भी कार्य के लिए धन इकट्ठा कर लेते। वैसे प्रोफेसर महेश व कयी अन्य प्रोफेसर धन से भी मदद करने आगे आ जाते। ये समाज में व्याप्त कयी बुराइयों के खिलाफ भी इकठ्ठे होकर कोई हल निकालते।

  अभी पिछले महीने ही ये लोग अस्पताल प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे। अभी ये लोग एम्स में घुसे ही थे कि एक 7-8साल की बच्ची दौड़ती हुई आई, एकाएक क्या हुआ कि वह बेहोश हो गई। इन लोगों ने आस-पास देखा पर कोई ‌भी उसके साथ नहीं था। ये लोग उसे अंदर ले कर डाक्टर के पास ले गए।उसकी जिम्मेदारी ली और सारे टेस्ट कराए तो पता चला कि उसके दिल में छेद है, इलाज के लिए बहुत पैसा लगेगा। तब तक उसके मजदूर माता-पिता का भी पता लग गया। पर उनके पास उसके ईलाज के लिए कोई तरीका नहीं था।‌

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मुग्धा और निलेष ने अपने प्रोफेसर की मदद मांगी। सबके सहयोग से वह बच्ची को बचा सकने में सक्षम हो पाए। और इन्हीं सब कायों के चलते एक्जाम भी आ गये थे। सबने फाइनल ईयर भी अच्छे नंबरों से पास किया। अभी वह अपने अपने भविष्य के बारे में बात कर रहे थे,

कालेज में ‌बैठकर कि मुग्धा बोली, मैं ये समाजिक कार्यों को नहीं छोडूंगी। सभी उसकी बात से सहमत थे कि महेश सर उनकी बात सुनते हुए आ गये व एक सुझाव रखा कि तुम सब मिलकर एक एन जी ओ क्यों नहीं खोल लेते । मैं भी तुम्हारे इस क्षेत्र में तुम्हें योगदान दूंगा। और सब भविष्य के सपने सजाए इसी क्षेत्र में भी जुड़ने के लिए तैयार हो गये पर अपने इस सामाजिक विचारधारा को टूटने नहीं दिया। और एक एन जी ओ सबने मिलकर खड़ा किया। आज उनके एन जी ओ ने प्रगति कीऔर अपने लिए कार्य करने को जगह भी तलाश कर ली।

मुग्धा खुशी से उछलते हुए महेश सर से बोली, सर अब हम अपने सामाजिक कार्यों को सुचारू रूप से संचालित कर सकते हैं। इतना ही नहीं इन्हें नया अमलीजामा भी पहना सकते हैं तभी निलेष व नितिन ने कहा ,कि अन्य की लोग भी हमारे साथ आना चाहते है। महेश सर बोले वाकई यदि, सही तरीके से चला जाए तो , देखो, जिंदगी कितनी खूबसूरत है, और आइए आपकी जरूरत है। और सभी नये आने वालों का स्वागत करते नये प्रारूप में व्यस्त हो गए। जिंदगी को जीना आना चाहिए, तो ये वाकई खूबसूरत बन जाती है।

 पूनम भटनागर।

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