जिंदगी की गाड़ी समय पर ही पकड़ लेनी चाहिए , छूटनी नहीं चाहिए – राजश्री जैन : Moral Stories in Hindi

प्रिया दो तीन दिनों से छुट्टी पर थी आज जब काम पर गयी तो भी चुप सी थी गरिमा ने पूछा क्या हुआ तो पहले तो कुछ नहीं कहा फिर रोती हुई बोली –दीदी दो दिनों से मेरा पति रमेश मुझसे बहुत झगड़ा कर रहा है किसी न किसी बात को ले कर कल तो बहुत मारा भी है मुझे , मैं बहुत दुखी हूँ —जानती हैं पिछले साल तो मैं मर जाना चाहती थी इस आदमी से पीछा छुड़वाने के लिए— उसने कुर्ते की बांह ऊपर उठा कर दिखाया–देखिये मैंने ब्लेड से अपनी हाथ की नस भी काट ली थी ….और फिर फफक कर रो पड़ी….आप ही बताईये मैं क्या करूँ ?

गरिमा शांति से सब सुन रही थी , क्रोधित भी नहीं हुई तो प्रिया को अचरज हुआ , बोली क्या हुआ दीदी आपको तो कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा है , बिलकुल चुप हो , आपको गुस्सा भी नहीं आ रहा है ?

गरिमा ने गंभीर मुद्रा में कहा —फर्क मुझे बहुत पड़ रहा है , मैं तुम्हे कुछ समझाना चाहती हूँ . क्या तुम रमेश से बहस भी करती हो ? प्रिया ने हाँ कहा.

गरिमा ने उसे समझाया कि आज से उससे कोई बहस नहीं करना , उससे डरना नहीं है और शांत रह कर अपना काम करती रहना , जब भी कहा – सुनी होने की संभावना हो —उसके सामने से हट जाना . तुम यह जान लो कि उसके दिमाग में बहुत वर्षों से तुम्हारी छवि एक कमजोर औरत की बनी हुई है जिसे वो जब चाहे मार दे, उस पर चिल्ला दे , या डांट कर डरा दे और एक बहस करने वाली कमजोर औरत खड़ी हुई औरत दिखती है .

अब से तुम्हे रमेश के सामने अपनी छवि बदलनी है वो भी चुप रह कर –२५ सालों से तुम सब सहती आ रही हो तो वो और मजबूत समझने लगा है खुद को तुम्हारे सामने —कोई बात नहीं . तुम सिर्फ इस पर ध्यान दो कि तुम्हे क्या -क्या बदलाव खुद में लाने हैं.

किसी बात पर बहस नहीं करो …चुप रहो.

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हमेशा शांत और मुस्कुराने की कोशिश करो जैसे तुम्हे उसकी बात से कोई फर्क नहीं पड़ रहा हो .

हमेशा अच्छे कपडे पहन कर खुद बन-संवर कर रहो —ताकि अपने आप को शालीन समझ सको ,

बुझी बुझी सी न रहो

बुलंद स्पष्ट आवाज में सभी के साथ बात करो , दबी आवाज में नहीं

अपनी छोटी -छोटी समस्याओं को रमेश से शेयर मत करो..खुद सुलझाने का प्रयास करो.

अपनी हर छोटी कमजोरियों को शांति से सुलझाने का प्रयत्न करो

अगर वो तुम्हारे काम में कोई गलती निकले तो देखो कि अगर सच में कही कोई गलती रह गयी है या नहीं भी है तो चुपचाप वो काम सही तरीके से कर दो

यहाँ ध्यान देने कि बात यह है कि रमेश के कहे अनुसार तुम पहले भी फिर से काम कर देती थी लेकिन अब से करोगी तो बात अलग होगी—तुम गुस्से से नहीं सोच समझ कर करोगी क्योंकि तुम उसे दिखाना चाहती हो कि तुम कमजोर नहीं हो….और तुम एक टारगेट पाने के लिए ये नया रास्ता अपना रही हो.

खुद कि रोनी सी सूरत लेकर उसके पास मत बैठो.

उसके सामने अधिक देर न बैठो न खड़ी रहो.

अगर कुछ कहना भी है तो एक बार साफ़ शब्दों में कहो और उसके सामने से चली जाओ.

पहले इतना सब बदलाव लाओ खुद में फिर धीरे धीरे सम्बन्ध बदल सकता है .

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अगर अब कभी भी किसी बात पर मारने के लिए हाथ उठाये तो उससे मार खाने और चिल्लाने की बजाय उसका हाथ पकड़ो और उसे रोक दो . कहो मत कुछ और चली जाओ.

प्रिया तो मंत्रमुग्ध सी सुनती रही —गरिमा ने देखा उसमे अचानक शक्ति का संचार आने लगा है –उसे लगने लगा कि वह भी कुछ है और शायद कुछ बदलाव आ सकता है रिश्ते में…..बोली दीदी अब मैं जाती हूँ और आपने जो समझाया वो सब करने कि कोशिश करुँगी …मुझे लगता है सब नहीं तो कुछ तो ठीक होगा ही, थैंक यू दीदी……

वह उठी और तेजी से बाहर निकल गयी मानो उसकी जिंदगी की गाड़ी छूटने वाली है और वो भाग कर पकड़ लेना चाहती है …..

स्वरचित —राजश्री जैन

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