कड़ाके की ठंड पड़ रही थी रात के 11:00 बज चुके थे।
तेजस्विनी अपनी 2 साल की बेटी राहा को सूलाकर हाल में ही इधर-उधर चक्कर काट रही थी ।
उसकी नजर बार-बार दीवाल पर लटकी
घड़ी की ओर जा रही थी।
आशु 35 साल का युवक जो किसी सरकारी ऑफिस में ऊंचे पद पर कार्यरत था पत्नी तेजस्विनी 30 साल की हाईली एजुकेटेड होम मेकर थी ।
“शादी के पहले तेजस्विनी भी किसी रेपुटेड स्कूल ,की टीचर थी और साथ में पीएचडी भी कर रही थी। लेकिन आशु से जब शादी की बात चली तो आशु की पहली और आखिरी डिमांड थी ,कि लड़की कोई जाब में ना हो । उसे हाउसवाइफ चाहिए थी।
इतना अच्छा खानदानी घर, पढ़ी-लिखी फैमिली तथा ऊंची पोस्ट देखकर ,तेजस्विनी ने इस रिश्ते के लिए हां कर दिया और शादी के लिए रेडी हो गई।
” इतनी कम उम्र में इतनी बड़ी पोस्ट! तेजस्विनी तो बहुत ही भाग्यवान है कि इतना अच्छा लड़का उसे मिला ।”
देर से ही सही पर सदानंद अपनी बेटी का रिश्ता बहुत ही अच्छे घर में कर दिया ।
लोगों के कमेंट्स पर तेजस्विनी मन ही मन खुश हुआ करती।
हो भी क्यों ना ,उसकी दिली ख्वाहिश थी की पती का पोस्ट ऊंची होनी चाहिए।
तभी वह शादी करेगी।
शादी के बाद उसको अपने सारे सपने पूरे होते हुए दिखे, जितना उसने सोचा था उससे ज्यादा ही।
देखते देखते शादी के 4 साल गुजर गए इन चार सालों में आशु का प्रमोशन एक बार फिर हुआ और उनका तबादला, दिल्ली हो गया।
साथ ही साथ ऑफिस के प्रति उसका इंगेजमेंट भी बढ़ता गया ।तेजस्विनी जो पहले फैमिली के बीच रहा करती, अब दिल्ली आने के बाद वह अपने आप को अकेला महसूस करने लगी थी।
वह कहते हैं ना कि” सभी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता किसी को जमी तो किसी को आसमान नहीं मिलता।”
आज इसी उधेड़बुन में की 11:00 बज गए अब तक आशु घर नहीं आए ।
“मेरी तो जिंदगी हेल हो चुकी है जाने क्या सोचकर मैंने इनसे शादी की।
“ना बच्चे की चिंता और ना ही मेरी “कैसा भाग्य है मेरा जहां सिर्फ इंतजार ही इंतजार लिखा है और मैं इंतजार ही क्यों कर रही हूं, उनके आने का ।
खाना खाकर अब सो जाती हूं जब वह आएंगे तब देखा जाएगा।
जैसे ही तेजस्विनी किचन की तरफ मुड़ी की कॉल बैल बज उठा।
लगता है आ गये दरवाजा खुलते ही आशु कप-कपाते हुए जैसे ही घर में आते हैं ।
वैसे ही तेजस्विनी का गुस्सा आंशु पर फूट पड़ता है।
” यह टाइम है तुम्हारा घर आने का??? ना बच्ची की चिंता ना मेरी !
क्या तुमने इसलिए मुझसे शादी की थी ???
मुझे तो लगता है कि मैं तुम्हारी केयरटेकर के साथ-साथ वॉचमैन का भी जॉब कर रही हूं ।
“या तो तुम घर टाइम पर आ जाया करो या मेरी टिकट बुक करवाओ”
मैं अब घर जा रही हूं , यहां एक पल भी नहीं रह सकती ।
बस—- बस! मेरी तेजो रानी!
अब यह गुस्सा थूक दो,!
तुम चली जाओगी तो फिर मेरा क्या होगा ???
ना ना जाने की बात मत करो! चलो कान पकड़ता हूं कल से मैं जल्दी आने का कोशिश करूंगा! कान पकड़ते हुए आशु तेजस्विनी को बाहों में भर लिया।
लेकिन तुम यह प्रॉमिस हर दिन करते हो फिर ऑफिस जाते ही भूल जाते हो ।
तेजस्विनी ने आशु से अपने आप को छुड़वाते हुई बोली****
नहीं रे—– कल से मैं पक्का ध्यान रखूंगा !
” राहा सो गई क्या ??
और नहीं तो क्या वह अब तक जागेगी तुम्हारे इंतजार में?? तेजस्विनी मुंह बनाते हुई बोली ।
“अरे बाबा” अब यूं ही डांट- डांट कर, मेरी हालत खराब करोगी या कुछ खाने को भी दोगी!
चलो ठंड ज्यादा हो रही है खाकर अब सोया जाए काफी थक भी गया हूं मैं!!
” ठीक है तुम हाथ मुंह धो लो और कपड़े चेंज कर लो मैं खाना लगती हूं “कहते हुए तेजस्विनी किचन की तरफ चली गई !
सुबह जब चाय के साथ तेजस्विनी ने आशु को उठाया तो 8:30 हो चुके थे।
” अरे मैं अब फिर से लेट हो गया! “तेजू माय डार्लिंग! ‘आई कूड नॉट गिव यु टाइम’
बट इस संडे हम डिनर पर बाहर चलेंगे।
तेजस्विनी ने अपनी हल्की मुस्कान बिखेरी और नाश्ता की तैयारी में जुट गई।
” तेजू अपने प्रॉमिस के मुताबिक आज मैं टाइम से घर आ गया ना!”
“राहा को तेजस्विनी के गोद से अपने गोद में लेते हुए आशु बोले
” अरे हां कल ऑफिस में मेरा बर्थडे का ग्रैंड सेलिब्रेशन होने वाला है तुम्हें भी स्पेशली इनवाइट किया गया है ।
” तुम ड्राइवर के साथ करीब 2:00 बजे के अबाउट आ जाना।
आशु राहा से खेलते हुए बोले ।
ओके ओके मैं जरूर आऊंगी कहते हुए तेजस्विनी चाय बनाने उठ गई।
मैडम प्लीज हैव ए सीट!
वहां तेजस्विनी के पहुंचते ही सभी उसके आगे पीछे करने लगे।
और राहा के साथ सारे स्टाफ्स इंगेज हो गए कोई उसे चॉकलेट खिला रहा है तो कोई उसे बलूंस के साथ इंगेज कर रहा है ।सबने इकट्ठे लंच किये ।
और उसके बाद सभी स्टाफ्स तेजस्विनी के साथ अपनी अपनी बातें शेयर करने लगे हंसी मजाक का एक हल्का सा फवारा वहां गूंज पड़ा। तेजस्विनी को वहां आने के बाद इतनी खुशी मिली जैसे वह किसी और ही दुनिया में व्यस्त हो गई हो।
सभी आशु की तारीफों की पुल बांध रहे थे —और कोई यहां तक बोल रहा था कि “आज मैं जो भी हूं वह सर की बदौलत।”
आज जब वह आशु के ऑफिस से घर लौट रही थी तो सारे रास्ते , ये सोच रही थी कि “यार जिंदगी में खुशियां तो अनगिनत है और दुख कम”
लेकिन हम बस वह एक -दो दुख के चलते न जाने कितनी खुशियों को इग्नोर कर देते हैं आज आशु के लिए इतना मान सम्मान देखकर, मैं कितनी प्रफूलित हो रही थी!
“वो बेचारे अपना खून पसीना ऑफिस में लगाकर जब घर आते हैं तो सिर्फ लेट आने की वजह से मैं उनसे लड़ पड़ती हूं “
जो सही नहीं है यह नाम और शोहरत भी तो मुझे ही अच्छा लगता है फिर ना जाने क्यों मैं उनसे लड़ती हूं।
“नहीं अब मैं घर के प्रति अपनी पूरी जिम्मेदारियां ईमानदारी से निभाउंगी ।
जैसे आशु ऑफिस के लिए निभाते हैं।
“आशु के घर आते ही तेजस्विनी ने उन्हें अपने बाहों में भर लिया।
” आई एम रियली सॉरी आशु हर दिन मैं आपसे झगड़ा करती हूं “
“आज मैं आपके लिए लोगों के मन में इतना मान -सम्मान देखकर बहुत खुश हूं!”
ये सब कुछ तो मैं ‘तुम्हारे लिए ही कर रहा हूं ना मेरी तेजो रानी!!”आई लव यू डार्लिंग”
“लव यू टू” कहते हुए दोनों एक दूसरे में खो गए ।
दोस्तों जिंदगी में दुख कम होते हैं और सुख ज्यादा। आप गौर करें तो हम लोग सिर्फ दुख को ही ज्यादा हाईलाइट करते हैं और हमें लगता है कि जिंदगी हमें खुशी कम और दुख ज्यादा देती है। जबकि अगर दुख हमें ना मिले तो आदमी प्रोत्साहित होना ही छोड़ देगा
जिंदगी उद्देश्यहिन हो जाएंगी इसलिए जिंदगी में दुख का भी होना बहुत जरूरी होता है दुख भी एक तरह से “प्रबलन” का काम करती है जिससे जिंदगी हमें उद्देश्यपूर्ण लगती है और ये उबाव नहीं लगती अगर चारों तरफ खुशी ही खुशी हो तो फिर जिंदगी बेकार सी लगने लगती है ।
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धन्यवाद।