सुबह चाय की चुस्कियों के साथ उगते हुए सूरज को देखना विक्रम के साथ बैठना कितना अच्छा लगता था| एक आत्मिक शांति मिलती थी, लेकिन समय ही नहीं होता दोनों के पास| बस वह 15 मिनट चाय की चुस्कियां पर मिलने के बाद सीधे डिनर के टाइम ही मिलते थे|
और अब तो विक्रम का सारा समय ही प्रणिता का हो जाएगा, अब तो रिटायर हो जाएंगे दोनों| यह एक इत्तेफाक है कि दोनों को 1 महीने के अंतराल पर ही रिटायर होना है| पहले प्रणिता रिटायर हो गई, उसके एक महीने बाद विक्रम |
बहुत समझदार है, प्यार है एक दूसरे की भावनाओं को समझते हैं, दोनो सोच रहे हैं कि रिटायर हो जाए तो दोनों वर्ल्ड टूर पर निकल जाए| वही होता है, माँ कभी रिटायर नहीं होती प्रणिता घर के कामों में इतना व्यस्त हो जाती है कि उसे अपने लिए भी समय नहीं मिल पाता|
संतुष्टि का भाव फिर से कहीं खो सा गया, विक्रम जिम्मेदारियों में धीरे-धीरे सब कुछ देख रहा था अब तो सारा समय उन दोनों का होना चाहिए| विक्रम के रिटायरमेंट का समय हुआ उस दिन पार्टी रखी गई थी घर में बेटा-बहू, बेटी-दामाद और बच्चे सभी इंजॉय कर रहे थे
उसने भी देखा कि सारे कामकाज प्रणिता ही कर रही है| सब गिफ्ट देने लगे प्रणिता को विक्रम ने एक डायरी और पेन दिया| सभी हंसने लगे, “कि इतने बड़े अफसर रिटायर हुए हो आप आज तो कुछ डायमंड देना था आपने तो क्या यह डायरी पेन पकड़ा दिया ??”डायरी पेन देखकर प्रणिता की आंखों में चमक जो थी वह सिर्फ विक्रम देख पा रहा था| केक काटने का निश्चय हुआ तभी विक्रम ने कहा कि केक काटने से पहले मुझे आपको कुछ बताना है|
“ओहो पापा ने कुछ एक बड़ा गिफ्ट भी लाया है और हमें दिखाने के लिए डायरी पेन दे रहे थे, “बच्चे बातें बनाने लगे…
विक्रम तीन फाइल लेकर आ गए, जो भी था उन्होंने बच्चो के नाम कर दिया एक फाइल बेटी को पकड़ा दी और एक बेटे को,
और बाकी एक घर अपने नाम रखा जिसको उन्होंने वृद्ध आश्रम बनाने का निर्णय लिया|
अरे!! पापा इस उम्र में भी क्या पैसों की कमी है? सब कहेंगे कि इतना पैसा लेकर कहां जाएंगे 4 जन तो है हम दीदी तो अपने घर चली जाती हैं | और हम लोग हैं आपकी सेवा करने के लिए तभी विक्रम ने प्रणिता की तरफ देखते हूए बोला, “हां बेटा मैं देख रहा हूं 1 महीने से जो तुम सब सेवा कर रहे हो,
कहने को तो बच्चे कह देते हैं कि हम मां बाप की सेवा कर रहे हैं लेकिन तुम खुद सोच कर बताना अब यह बच्चों को लाना छोड़ना , और घर के काम देखना इस उम्र में हम दोनों की जिम्मेदारी नहीं है| हमने अपने बच्चे पाल लिए अब तुम्हारे बच्चे पालना तुम्हारी जिम्मेदारी है, क्योंकि यह जिंदगी ना मिलेगी दोबारा
अब हमें अपनी जिंदगी में अपने लिए कुछ करना है कल को अगर हम मे से किसी एक को भी कुछ हो गया तो दूसरा या तो तुम्हारे बच्चों को पालने में व्यस्त रहेगा …।या फिर अवसाद में चला जाएगा और जो कि हमारे समाज में व्याप्त है कि उसकी मुश्किल कोई नहीं समझ सकता तो इसलिए यह मेरा फैसला है|
जब सेवा ही करनी है तो वैसे सेवा क्यों ना करें? जिससे मन को संतुष्टि मिले, पैसे का हमें कोई लालच नहीं है पैसा हमारे पास खूब है,कमाया है लेकिन रिटायर होने पर भी जो संतुष्टि मैं चाहता था ना प्रणिता के चेहरे पर है, ना मेरे चेहरे पर कल को अगर मैं ना रहूं , “प्रणिता ने विक्रम के मुंह पर हाथ रख दिया
कि ऐसी बातें मुंह से ना निकालो, औरतें बहुत भावनाओं से सोचती हैं लेकिन जो सच्चाई है वह हमेशा सच्चाई रहती है विक्रम ने बोला, “नहीं प्रणिता मुझे बोलने दो अगर कल को मुझे ही कुछ हो जाता है, तो हम दोनों में से एक संस्था को संभाल लेगा और आगे जैसे भगवान की मर्जी, ” अब बच्चे मां की तरफ देखने लगे क्योंकि जब पिता कोई बात नहीं सुनते तो बच्चों का आखिरी हथियार मा ही होती है |
बेटा बोला, “ऐसा भी क्या आधुनिक होना कि बुढ़ापे में बच्चों से दूर रहो और फिर यही समाज ताने देता है कि देखो बच्चों ने मां बाप को घर से निकाल दिया, “
विक्रम जी बोले, “मैंने समाज की कभी परवाह नहीं की जो मेरी जिम्मेदारियां थी मैंने बखूबी निभाई है, ” अगर प्रणिता खुश है तो मेरे लिए इससे बढ़कर कोई बात नहीं, “
सारे माहौल में एक चुप्पी सी छा गई
प्रणिता बोली
“मैं बहुत खुश हूं इतना तो,..,.मेरी अपनी नौकरी लगी तब खुशी अलग थी तब कमाने का जुनून था रिटायर हुए तो अब शरीर भी साथ नहीं देता कहाँ वर्ल्ड टूर ??पर यह काम करके मन को संतुष्टि मिलेगी|”
लेकिन यह डायरी पेन?? जब आधी उम्र जीवन साथी साथ रहे तो एक दूसरे की भावनाओं को समझने लगते हैं मैंने देखा है तुम्हारे लिखने के हुनर को जो तुम समय ना मिलने के कारण नहीं कर पाई|
अब तुम अपने खाली समय में लिखना “हर तीज और त्यौहार पर बच्चों हम तुमसे जरूर मिलने आएंगे | यह निर्णय लेना बहुत कठिन था लेकिन मुझे हम दोनों की संतुष्टि के लिए यह कदम उठाना पड़ा आशा है आप सब समझोगे, ” विक्रम एक सांस में बोलते चले गए
बहू तो भाव विभोर हुए जा रही थी वह बोली, “बिल्कुल सही किया पापा आपने हम सब अपने में व्यस्त हो जाते हैं और हम भूल जाते हैं कि बड़ों को काम की जिम्मेदारियों के साथ-साथ हमें समय भी देना होता है, “
इससे अच्छा गिफ्ट तो डायमंड भी नहीं हो सकता था, “
और अभी 1 महीने बाद यह सब काम शुरू हो जाएगा तब तक तो हम तुम्हारे साथ ही हैं तो तब तक आप लोग सेवा कर सकते हो | सभी हंसने लगे, और प्रणिता विक्रम के गले लग गई हां आज आत्म संतुष्टि का अनुभव कर रही थी|
वर्षा शर्मा दिल्ली