जिंदगी गुलज़ार है – सुषमा यादव

***करोना बना वरदान****

,, 

ये जिंदगी मिलेगी ना दोबारा,

मैं इसे खोना नहीं चाहती

मैं इसे जीना चाहती हूं

जी भर कर जीना चाहती हूं

*

क्यों कि,,,,

*ये जिंदगी मिलेगी ना दोबारा ***

,, ज़िंदा दिल ही तो जीते हैं,,

मुर्दा दिल क्या ख़ाक जीतें हैं ,,,

 

पिछले करोना काल में मैं भी करोना के लपेटे में आखिर आ ही गई,, बहुत बचाया , अपने को घर में कैद किया,पर ना जाने कौन सी खिड़की खुली थी, करोना माई घुस आईं, और मुझे बेहाल कर गई,,

फिर क्या था,भाग कर दिल्ली बेटी के पास पहुंची,, फटाफट करोना टेस्ट हुआ, मैं पहुंचा दी गई, दिल्ली ट्रामा सेंटर में,अब बेटी डा, नेहा ही वहां ड्यूटी पर तैनात थी तो विशेष देखभाल होने लगी, मैं तो बिल्कुल बेसुध पड़ी थी, आंखें खुलती, चारों तरफ सफेद भूतिया डाक्टर ही दिखाई पड़ते, मैं घबराकर आंखें बंद कर लेती,

मेरा ब्लड टेस्ट हुआ, पता नहीं, क्यों बार बार हो रहा था, झुंझला कर मैं बोल पड़ी, ये क्या, दिन भर में तीन चार बार ब्ल्ड निकाल कर ले जाते हैं,,वो सब चुप रहते,बस यही सुनाई देता, ये डा.नेहा की मम्मी हैं , इनकी ठीक से देखभाल करना है, शाम को दो डाक्टर आईं और मेरे पूरे शरीर को टटोल कर देखने लगी,, अचानक एक डॉक्टर बोलीं,,मैम, ये देखिए,इनकी गर्दन में ये गांठ,,, टटोला गया, पूछा,कब से है, आंटी जी, ये गांठ, आपने अपनी बेटी को बताया है,, मैंने कहा,चार पांच साल से है, उसे नहीं बताया, क्यों कि दर्द नहीं होता,, डा, नेहा को बुलाइए,,आपस में निर्णय हुआ,, सबने मेरा आपरेशन करके गांठ को निकाल दिया,,पर फिर बारबार ब्लड टेस्ट हो रहा था, मुझे क्या, करें जो करना हो,उन सबकी खुसुर फुसुर चलती रहती,



दस दिन बाद मुझे घर भेज दिया गया,,

बेटी एक दिन मुझे व्हील चेयर पर बिठा कर एम्स अस्पताल ले गई,,

अंदर डाक्टर के पास,, उन्होंने फिर जांच पड़ताल की,,

और मुझे बाहर बिठा दिया गया, वो दोनों आपस में अंग्रेजी और मेडिकल भाषा में कुछ बातें कर रहे थे,, मुझे लेकर बेटी ख़ामोशी की चादर ओढ़े मेरे बालों को सहलाते मुझे गले लगाते घर आई, मैं बस मुस्कुरा कर उसका हाथ थाम लेती,,

मैं देख रही थी कि बेटी बहुत कशमकश में है,बारबार मुझे आंसू भरी और कातर निगाहों से देखा करती , क्या हुआ बेटा, इतनी उदास क्यों हो,, कुछ नहीं मम्मी,

उसने अपनी ड्यूटी पर भी जाना छोड़ दिया था,,

एक दिन मेरे पास बैठी, बड़े प्यार से मेरा हाथ थामा और बोली, मम्मी, मुझे आपसे कुछ कहना है,, मैंने मुस्कुराते हुए कहा,, हां हां बोलो,, वो मम्मी, मैं कैसे कहूं, और वो घुमा फिरा कर बातें करती रही,, जानती हैं, मम्मी, आजकल विज्ञान ने इतनी बड़ी तरक्की कर ली है कि कोई भी बड़ी बीमारी क्यों ना हो, वो ठीक हो जाती है,,आप समझ रहीं हैं ना, हां बेटा, बहुत अच्छी तरह से,

तो मां,आप,,, देखिए,ना, अमुक अमुक कैसे ठीक हो गयें है,,है ना मां,,

मैंने उसके चेहरे को अपने हाथों में भरते हुए मुस्कुराते हुए कहा,, जो तुम कहने की कोशिश कर रही हो, और कह नहीं पा रही हो, मैं उसके बारे में सब जानती हूं,, मैंने उस दिन तुम्हारी और डॉक्टर की सब बातें सुन ली थी,, आश्चर्य से विस्फारित नेत्रों से उसने मुझे देखते हुए कहा,इतने दिन हो गए और आपके चेहरे से जरा भी आभास नहीं हुआ,, मैं तो बड़ी दुविधा में थी कि इतनी बड़ी बात आपको कैसे बताऊं,, मैंने कहा,पर बेटा,जब डॉक्टर ने कहा था कि अपनी मां को धीरे धीरे सच बता दीजिए, नहीं तो एकाएक वो घबरा जायेंगी, उन्हें मानसिक रूप से तैयार करिए,तब

तुम इतने दिनों तक मन में लेकर क्यों संताप सहती रहीं , आखिर क्यों,,



बेटी बोली, मम्मी, कहने की हिम्मत नहीं हो रही थी,पर आप सब जानते हुए कैसे खुश रह सकतीं हैं,, और मेरे गले लग कर फूट फूटकर रोने लगी,, मैंने अपने आंसुओं और जज्बातों को रोकते हुए भरे गले से उसके बालों में हाथ फेरते हुए कहा,बेटा, दुःखी होने से सब ठीक तो नहीं हो जायेगा ना,, तो क्यों न हंस कर जिंदगी बिताई जाये, हमारी सोच जितनी सकारात्मक होगी, हममें सब सहने की क्षमता विकसित होगी,हमारा मनोबल ऊंचा होगा, और रोगों से लड़ने की शक्ति और प्रेरणा मिलेगी, मुश्किल घड़ी में हमारी सकारात्मक सोच ही हमें हर दुःख से पार लगा सकती है। , वादा करो, आज़ से हम इस विषय पर कभी चर्चा नहीं करेंगे,, और किसी को भी इस बारे में नहीं बताओगी,, मैं नहीं चाहती कि कोई मुझसे सहानुभूति जताये, मुझे बार बार एहसास दिलाये और बेचारी कह कर बेबस नजरों से देखे,,

बंद मुट्ठी लाख की,खुल गई तो ख़ाक की,,,समझी ना, मेरी प्यारी बिटिया,,,

हां मम्मी, सही कहा आपने,बस दीदी और जीजा जी जानते हैं,

पर मम्मी, मैं हैरान हूं,। जिसके नाम से ही लोगों की रूह कांप जाती है,,आप पर उसका तनिक भी असर नहीं हुआ। ,आप कितनी बहादुर हैं,आपके चेहरे पर तनिक भी शिकन और चिंता नहीं है,, अरे बेटा, मैंने अपनी जिंदगी में बहुत संघर्ष झेला है,,।

 

,,अब तो मेरी जिंदगी गुलज़ार है

अभी कुछ नये सपनों का इंतज़ार है,

अब तो मेरे सपन साकार हो रहें हैं,,

उन्हें देख लूं तो,,,,,,,,

 

और इस ज़िंदगी का क्या है ,,

,, जिंदगी एक सफर है सुहाना,

यहां कल क्या हो किसने जाना,

जान जानी है जायेगी एक दिन,

मौत आनी है आयेगी एक दिन,

ऐसी बातों से क्या घबराना,

यहां कल क्या हो किसने जाना,

 

, गाते हुए मैंने उसको हंसा दिया

मैंने कहा, मुझे तो भगवान ने अपना सब काम यथासमय निपटाने का पर्याप्त समय दे दिया है, शुक्रगुजार हूं मैं उनकी, वरना तो आजकल एक पल में लोग चले जा रहें हैं,,,है ना बेटा,

मां आप महान हो,आपकी सोच काबिलेतारिफ है,,,आपको मेरा प्रणाम है

 

मैं हंस पड़ी,, हां बेटा, जिंदगी गुलज़ार है,इसे यूं ही गंवाना नहीं है,, और हां, करोना का भी शुक्रिया अदा करो वो मेरे लिए वरदान साबित हुआ,, नहीं तो हम सब इससे अनजान ही रहते,,,है,ना,, हां मम्मी, सही कहा,,

 

सुषमा यादव, प्रतापगढ़, उ प्र

स्वरचित मौलिक अप्रकाशित

 

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