दिनकर जी आपकी बच्ची पाकर हम धन्य हो गए सच में क्या संस्कार दिए है आपने हमारे घर को तो स्वर्ग बना दिया।
कोई भी पिता अपनी बच्ची के ससुर से इन शब्दों को सुनकर भावविभोर होना स्वाभाविक है।
इसीलिए दिनकर जी की छाती भी दो इंच फूल चुकी थी।
तभी दिनकर जी की बेटी सौम्या पूजा की थाली लेकर आ गई।
दिनकर जी आरती लेते हुए बोले ” आज तुम्हारे ससुर जी दीनानाथ जी तुम्हारी बहुत तारीफ कर रहे थे सुनकर खुशी हुई और सिर पर हाथ फेर ढ़ेरों आशीर्वाद देने लगे।
सौम्या बोली ये तो आपके और मम्मी के दिए संस्कार ही है।
तभी सौम्या की ननद विशाखा आ गई दिनकर जी के पैर छू कर बोली ” आपकी तबियत कैसी है?
और
भाभी हवन का टाइम हो गया है अब देर किस बात की हो रही है।
सौम्या बोली ” बस थोड़ी देर और रुकते है “
विशाखा बोली ,” भाभी सब आ चुके अब किसका इंतजार कर रही हो?”
सौम्या मुस्कुरा कर बोली मेरी नई दोरानी का।
मैंने देवर जी को जोड़े सहित बुलाया है।
दीदी कुछ भी हो घर में हिस्सेदारी तो उनकी भी है ही ना?
पर भाभी पापा नाराज हो जायेगे उसका क्या?
विशाखा ने चितित होते हुए कहा।
सौम्या ने खुश होकर कहा “आप चिंता मत कीजिए मै पापा जी से बात करके आती हूं।”
सौम्या पूजा की थाली लेकर दीनानाथ जी के पास पहुंची।
दीनानाथ जी ने भी आरती की थाली पर सर दीपक ज्योति पर से ढ़क्कन हटा कर अपने हाथो से दीपक ज्योति लेकर अपने मुख व सिर पर लगाया और वापस छिद्रित ढ़क्कन ढक दिया।
पापा जी मै आपसे एक बात कहना चाहती हूं। सौम्या ने धीरे से कहा।
दीनानाथ जी मुस्कुरा कर बोले ” कहो बिटिया क्या आज तक आपकी बात टाली है निसंकोच कहो “
सौम्या बोली पापा जी वो धीरेन भैया की वाइफ बहुत अच्छी है माना आपकी मर्जी की परवाह ना करके उन्होंने शादी कर ली।
पर है तो बच्चे ही ना ?
कोई गलत कदम नहीं उठाया।
और मै आपको विश्वास दिलाती हूं जैसी मै हूं वैसी ही वो है।
अच्छे परिवार की सुशील।
बस जाति का ही फर्क है।
तो पापा जी आज के जमाने में ये बाते तुच्छ सी है।
आज अपने मकान के मोहररत पर मैंने उन्हें भी बुलाया है आपसे माफ़ी मांगने के लिए।
प्लीज अपना बड़प्पन दिखाइए उन्हें माफ कर दीजिए।”
दीनानाथ जी गुस्से से बोले ” माफी मांगने में एक साल लग गया।
अरे वो भी तुमने कहा होगा।
वो अपनी मर्जी से नहीं आ रहा है।”
सौम्या ” नहीं नहीं पापाजी वो आपसे डर और झिझक के चक्कर में नहीं आ रहे थे।
मै और देवेश दोनों उनसे मिलने गए थे।”
कई बार ऐसा होता है हम किसी को गलत मानते रहते है।
क्योंकि हमारे दिमाग में नेगेटिव फिलिंग उसे सही मानने ही नहीं देती है।
जबकि जब आप अपनी सकारात्मक फिलिंग के साथ उन दोनों से मिलोगे तो उन्हें भी आपके प्रति सकारात्मक फिलिंग ही आएंगी।
प्लीज़ एक बार मेरे कहने से उन दोनों को माफ कर दीजिए हमारे घर में सब कुछ पॉजिटिव है बस इस बात के सिवा ।
आज इस शुभ मौके पर आप उस रिक्त स्थान को भी भर दीजिए।
सौम्या ने आरती की थाली पास ही रखी टेबल पर रखी और दोनों हाथ जोड़ लिए।
दीनानाथ जी बड़े रोब से बोले “तो ठीक है जैसा तुम सब चाहो पर हा तुम्हारी मम्मी…..
सौम्या खुश होकर बोली ” जी मम्मी जी तो तैयार है”
दीना नाथ जी ;” हूं…तो सबकी मिली भगत है।”
पीछे से मम्मी जी बोली ” ये ही समझ लो अब बच्चे तो गलतियां कर ही देते है पर मां बाप को उनकी गलती अगर अच्छी है तो माफ़ कर देना चाहिए और नेगेटिव है तो सुधारने के अवसर प्रदान करने चाहिए।”
इतने में धीरेन और उसकी वाइफ स्नेहा आ गए।
दोनों ने पापा जी के चरनस्पर्श कर माफी मांग ली।
फिर क्या था पापा जी की आंखो से स्नेह की अश्रु धारा बह चली और बोले ” तुम क्या सोचते हो कि मुझे और तुम्हारी मम्मी को तुम्हारी याद नहीं आती थी।
पर बेटा स्वाभिमान कहता था कि बस एक बार वो आकर माफी मांग ले”
सब पहले जैसा हो जाएगा।”
धीरेन बोला ” सोरी पापा मन मै तो आपकी इज्जत आज भी उतनी ही है पर आपका सामना करने की हिम्मत नहीं जुटा सका।
जब पहले दिन स्नेहा को आपके पास लाया था तब आप मुझ पर इतने नाराज हुए की आपने घर में भी कदम
नहीं रखने दिया। बस फिर मेरे भी मन में आपका डर बैठ गया।”
बीच में ही मम्मी बोल गई ” अरे शादी करनी ही थी तो पहले बताते तो सही हो सकता है थोड़ा नाराज होकर भी हम मान ही जाते?”
तभी सौम्या बोली ” मम्मी जी इनको थोड़ी शादी करनी थी ये तो अपने मित्र की शादी में गए थे।
पर इनके मित्र और उनके मम्मी ,पापा ने अचानक दहेज की मांग रख दी।
और मांग पूरी नहीं होने के कारण उन्होंने शादी से इंकार कर दिया।
सोचो स्नेहा के मम्मी,पापा पर क्या गुजरी होंगी।
ये तो आपके संस्कारी बेटे धीरेन भैया वहां मौजूद थे उन्होंने सोचा अब इस मंडप में इस लड़की के फेरे नहीं हुए तो लोग इसे जीने नहीं देंगे तरह तरह की बात करेंगे।
और लड़की भी अच्छी सुशील है ये बात इनको अपने मित्र द्वारा पहले ही पता चल गई थी।
अब कुछ फैसले तो अचानक लेने के ही होते अतः
धीरेन भैया ने भी फैसला ले लिया।
और स्नेहा के पापा ,मम्मी से बात कर उसी मंडप में स्नेहा के साथ शादी करली।
आप तो कुछ सुनना नहीं चाहते थे पर समाज में तो सब धीरेन भैया के इस फैसले की बहुत तारीफ करते है।
पापाजी ने स्नेहा को अपने पास बुलाया और कहा बेटा मां बाप है ना ?
इसीलिए ये सोच कर नाराज बैठे थे की बेटे ने शादी कर ली और हमें पूछा भी नहीं और इगो हर्ट हो गया।
अब चलो हवन का समय हो गया है।
स्नेहा बोली ” सौम्या भाभी और भैया आप दोनों का दिल से आभार आपने हमें अपने घर में सम्मान पूर्वक स्नेह और प्यार दिलवाया।
सौम्या ने स्नेहा को गले लगा लिया
और बोली ये तो मेरी जिम्मेदारी है
की ये घर हमेशा एक सूत्र में बंधा रहे इस घर की बड़ी बहु जो ठहरी”
सभी ठहाके मार के हस पड़े।
और अपने मुख से सौम्या की प्रशंसा करने लगे।
सखियों मेरी स्वरचित रचना कैसी लगी जरूर बताएं
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दीपा माथुर