“ माँ तुम पिता जी को समझा दो … मुझे अभी शादी नहीं करनी है और ये लड़कों के घर जा जाकर उन लोगों से मिलना छोड़ दें… मुझे अभी बहुत पढ़ाई करनी है और शादी ब्याह के पचड़े में जरा भी नहीं पड़ना।” ग़ुस्से में पैर पटकती नैना अपने कमरे का दरवाज़ा बंद कर बिस्तर पर आँखें बंद कर लेट गई
“ ये लड़की भी ना… जब देखो तुनकती रहती है…आस पास की सारी लड़कियों का ब्याह हो गया है पर इसको पता नहीं कितनी पढ़ाई करनी है ।” मन ही मन भुनभुनाती रत्ना जी बोली
नैना की एक ना चली और उसकी शादी आकाश से हो गई।
आकाश बहुत सुलझे हुए विचारों का व्यक्ति उसे शादी के वक्त ही मज़ाक़ मज़ाक़ में …बातों ही बातों मे नैना की सहेलियों ने कह दिया नैना तो शादी ही नहीं करना चाहती थी लगता है आपको देख कर फिसल गई तभी हाँ की होगी।
आकाश ये सुन कर दंग रह गया नैना से जब एक बार मिलने की बात हुई थी तो उसने नज़र उठा कर आकाश को देखा भी नहीं था ना ही ठीक से बात तक की थी पर घर वालों की रज़ामंदी मान उसने नैना से विवाह का फ़ैसला कर लिया था ।
शादी की पहली रात ही नैना ने अपने और आकाश के बीच एक सीमा रेखा खींच दी थी आकाश को एक पल को बुरा भी लगा था पर उसने नैना की मर्ज़ी के विरूद्ध कुछ भी नहीं करने का फ़ैसला कर लिया अब नैना जो बोलती आकाश उसमें हामी भरता जाता।
शादी के कुछ दिनों बाद नैना मायके आई तो आकाश ने बस उससे इतना ही कहा ,” देखो नैना तुम्हारे व्यवहार से एक बात तो समझ गया हूँ तुम इस शादी से शायद खुश नहीं हो मैं तुम्हें किसी बात के लिए फ़ोर्स नहीं करूँगा… जब भी तुम्हारा मन करेगा घर आने का मुझे कॉल कर देना।”
पिता और भाई के साथ नैना अब अपने मायके पहुँच गई आकाश के साथ अपने रिश्ते के बारे में सबको यही कहती रही सब अच्छा है ।
नैना यहाँ आकर अपनी जॉब की जुगत में लग गई और एक अच्छी कम्पनी ज्वाइन करने का ऑफर भी आ गया।
“ नैना दामाद जी ने सच में कहा है ना तुम जॉब कर सकती हो?” एक दिन पिता ने पूछा
“ हाँ पापा आपको बताया तो है तभी तो मैं यहाँ आकर तैयारी कर रही थी उन्होंने ही कहा यहाँ रहोगी तो काम भी करना होगा साथ में पढ़ाई मुश्किल होगी इसलिए आराम से उधर रह कर तैयारी करो मम्मी पापा को मैं समझा दूँगा ।” नैना बेफ़िक्री से बोली
रत्ना जी को कहीं ना कही शक हो रहा था ….वो देख रही थी कि ना तो नैना ज़्यादा अपनी दोस्तों से शादी को लेकर
बातें करती है ना आकाश का ही कॉल आता है…वो कुछ सोचकर अपने पति से बोली,” देखिए नैना हमारी बेटी है ये घर भी उसका ही है पर इतने महीने होने को आए ना कोई इसे ले जाने आया ना ये उधर जाने की बात कर रही है सब ठीक तो है ना?”
“ ये बात तो मैं भी सोच रहा था पर बिटिया को ऐसे बोलना भी अच्छा नहीं लगता और ऐसे कैसे हम इसके ससुराल भेज सकते हैं जब तक वो लोग कुछ नहीं कहते ।” महेश ने कहा
“ सुनो जी आप एक बार दामाद जी को फ़ोन करके उनके घर के समाचार पूछ लो फिर लगे हाथ उन्हें नैना की जॉब की बात कहते हुए उनकी तारीफ़ कर देना जो उन्होंने हमारी बिटिया को नौकरी करने की इजाज़त दी और उन्हें यहाँ आने का न्योता भी दे दो।” रत्ना जी ने कहा
महेश जी कुछ सोचकर बोले ,”हाँ सही कह रही हो।” कहकर महेश जी ने आकाश को फ़ोन लगा दिया
“जी पापा कहिए सब ठीक तो है आपने अचानक से फ़ोन किया?” आकाश ने कहा
“ जी बेटा जी सब ठीक है बहुत समय हो गया आप सब से बात नहीं हुई घर पर सब कैसे है … आप भी कभी नैना को मिलने नहीं आए… उसकी जॉब लग गई आपने उसका बड़ा साथ दिया वो चाहती ही थी नौकरी करना और आपने उसका पूरा साथ दिया इसके लिए धन्यवाद ।” महेश जी थोड़े भावुक होकर बोले
आकाश ये सब सुन कर दंग रह गया पर प्रत्यक्ष में कुछ ना बोल बस हाँ हूँ करता रहा।
बातें कर फोन रखने के बाद आकाश का मन किया एक बार नैना को फ़ोन कर दे पर उसके व्यवहार को याद कर उसका मन नहीं करता था …उसको लगता था जो सीमा रेखा नैना ने उन दोनों के बीच बिना वजह खींची है वो खुद उसे मिटा कर उसके पास आए ।
पर एक दिल कह रहा था आख़िर पत्नी है एक बार उसे भी फ़ोन कर लेना चाहिए और उसने नैना को कॉल कर दिया।
“ हैलो नैना कैसी हो… बहुत बहुत बधाई तुम्हारी जॉब लग गई…. शायद तुम्हें यही चाहिए था…इसके लिए एक बार मुझसे खुलकर कहती तो सही… बिना कुछ कहे हमारे बीच एक सीमा रेखा खींच ली और मुझे कह भी दिया जब तक मैं खुद को इस शादी को स्वीकार करने लायक़ ना बना लूँ आप मुझसे दूर रहना…
मैं दूर रहा मम्मी पापा के सवाल भी सुनकर कह देता अभी रहने दीजिए मायके में मन भर …फिर तो यही हमारे साथ रहेगी और वो भी चुप हो जाते…अब तुम मुझे ये बताओ क्या तुम्हें एक पल को भी मेरा ख़याल नहीं आया…. क्या मेरे लिए तुम्हारे दिल ने सवाल नहीं किया…
मैं तो तुम्हें फ़ोन भी नहीं करता पर पापा जी ने फ़ोन कर तुम्हारी जॉब की बात बताई और मुझे घर आने के लिए कहा है… तुम ही बताओ अब मुझे क्या करना चाहिए?” आकाश की आवाज़ में एक दर्द सा था
नैना आकाश की बात सुन कर कुछ पल को चुप रह गई उसके कुछ भी समझ नहीं आ रहा था वो क्या कहे …शादी तो घर वालों की ज़िद पर कर ली थी पर आकाश को कभी नज़र भर ना देखी ना बात की थी… “ आप आ जाइए…इंतज़ार करूँगी ।”इतना कहकर नैना ने फ़ोन रख दिया
इसके बाद नैना सोच सोच कर परेशान हो रही थी…आख़िर उसने आकाश से शादी की है उसके साथ तो खुलकर बात कर सकती थी फिर क्यों वो अपने में ही रह गई।
अगले दिन शाम को आकाश नैना के घर आया ।
नैना आज पहली बार उसे गौर से देख रही थी… उसके माता-पिता को प्रणाम कर आशीर्वाद लेकर बहुत अच्छी तरह से वो बातें कर रहा था …सबके लिए कुछ ना कुछ लेकर आया था….।
रात को जब सोने का समय हुआ नैना के कमरे में आकाश को जाने में हिचक हो रही थी वो कुछ समझ ही नहीं पा रहा था करे तो क्या करें…
“ आपको नींद नहीं आ रही?” नैना पास आकर आकाश से पूछी
आकाश नजर उठा कर नैना की ओर देखने लगा… नैना उसका हाथ पकड़ कर उठाते हुए बोली ,” चलिए कमरे में सो जाइए सफर से आए हैं थक गए होंगे ।”
आकाश मंत्रमुग्ध हो नैना के पीछे जाने लगा
कमरे में आकर नैना ने दरवाज़ा हल्के से बंद किया और आकाश को बिस्तर पर बिठाते हुए धीरे से बोली,” मुझे माफ कर देना… मैंने शायद बहुत ज़्यादती की और फिर भी तुमने मुझे एक शब्द नहीं कहा… हाँ ये सच है मैं शादी नहीं करना चाहती थी… मुझे शुरू से ही लगता था लड़कियों को भी नौकरी करनी चाहिए …
अपने पैरों पर खड़ा होने से जो सुकून मिलता है वो कही नहीं पर मम्मी पापा के आगे मैं हार गई तब मुझे लगा मैं तुम्हारे साथ ही एक सीमा रेखा खींच लूँगी तो तुम ख़ुद मुझसे दूर हो जाओगे पर यही पर मैं गलत थी… मुझे एक बार तो तुमसे अपने दिल की बात कहनी चाहिए थीं…
पर मुझे लग रहा था हर मर्द की तरह तुम भी अपना रौब दिखाओगे इसलिए मैं पहले से ही खुद को तुम से दूर कर दी… तुम वैसे बिल्कुल भी नहीं हो जैसे मेरे मन ने सोच रखा था ।”
“ अच्छा फिर मैं कैसा हूँ ये तो बताओ?” आकाश नैना की नज़रों से नज़रें मिलाते हुए पूछा
“ तुमऽऽऽऽ।” नैना कुछ कह नहीं पाई और अपनी ही बनाई सीमा रेखा पार कर के आकाश के गालों पर एक चुंबन अंकित कर सब कुछ कह गई
आज इतने दिनों बाद दोनों का मिलन हुआ वो भी सारी सीमा रेखा पार करके ।
दो दिन आकाश को रोक लिया गया था इस बार नैना भी साथ जाने को जो तैयार हो गई थी आख़िर उसे जो चाहिए था वो भी मिल रहा था और उसको समझने वाला पति भी जिसने उसे ये कह दिया था तुम्हें जॉब करना है ज़रूर करो अपने पैरों पर खड़ा होना आज के समय में जरूरत भी बन गई है और एक पहचान भी ।
दोस्तों यूँ तो आपको ये एक काल्पनिक कहानी लगेगी पर आज के समय में बहुत लड़कियाँ शादी ही इसलिए नहीं करना चाहती क्योंकि वो बंधन में रहना नहीं चाहती अगर जीवनसाथी समझने वाला हो तो शायद कोई मुश्किल आए ही नहीं और कोई इस तरह की सीमा रेखा खींचने काटी कोशिश ही ना करें ।
आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा ।
धन्यवाद
रश्मि प्रकाश
# सीमा रेखा