ये जीवन का सच है – खुशी : Moral Stories in Hindi

कबीर एक छोटेसे शहर मे पला बडा था। उसके पिताजी साधारण किसान और मा ग्रृहणी थी। दो छोटे भाई बहन जो शिक्षा प्राप्त कर रहे थे।

एक सुखी  परिवार था। कबीर सुरू से पढाई मे बहुत अच्छा था  हमेशा अववल आता था। सभी उसे बहुत पसंद करते थे

और उसकी तारीफ करते थे। अपने इनही  गुणो के कारण पहली बार है उसका सिविल सर्विसेस मे चयन हो गया।

उस की पहली पोस्टिंग बडे शहर मे हुई वो अपने साथ माता पिता को साथ ले जाना चाहता था परंतु उसके माता पिताने

कहा अभी बच्चो की शिक्षा बाकी है तुम अकेले जाओ हम तुम्हारे पास आ जायेंगे 

 वहा उसकी सहकमी रीता से उसे प्यार हो गया और वह उससे शादी करना चाहता था । रीता के पिताजी एक बहुत ऊँचे व्यापारी थे

उन्हे भी कबीर पसंद था । विज्ञान अपने माता पिता को बुलाया रिश्ता पक्का करने के लिए कबीर के माता पिता का गाव वाला रहन सहन देखकर रीता को जरा भी अच्छा नही लगा

पर उसकी माता ने कहा की बेटा उसके माता पिता है वो तो आयेंगे ही ना । शादी हो जाने दो फिर कौन तुम्हारे साथ रहने वाला हैॽ

तय  तिथी पर कबीर  और रीता  की शादी हो गई। कबीर के माता पिता शादी होने के बाद वापस जाने की जीद करने लगे परंतु कबीर ने उन्हे रोक लिया।

  रीता को यह बात बिलकुल भी अच्छी ना लगी पर वो कुछ बोली नही अगले दिन वो कबीर से बोले मे कुछ दिन अपने माता पिता क्या जाना चाहती हू ।

कबीर ने कहा बाद मे चली जाना अभी माता पिता की सेवा करो उन्होने मेरे लिए बहुत कष्ट सहे आपण का आराम का समय है

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मेरा भाई बहन की सबकी जिम्मेदारी उठाऊंगा ये है सुन कर रीता हत्थे से उखड ग ई  और बोली क्या मै इन गवार लोगो के साथ रहूगी

क्या मैने तुमसे शादी जम्मेदारी उठावे के लिये की है। आगर यह  लोग यहाँ रहे तो मैं एक दिन भी यहाँ ना रहूगी। कबीर रीता को समझाता रहा ।

पर रीता नही मान्ी और अपने घर चले गयी उनका झगडा घर मे सब  सुन चुके  थे माता पिताने समझाया  बेटा हमारी जिंदगी ते कामही दिन रहे है

हम लोग गाव मे गुजारा कर लेंगे तुम अपना घर खराब मत करो और यह कह  कर वो गाव‌ जाने की तैयारी करने लगे। जाने से पहले उन्होंने रीता को भी वापस बुलवा लिया ।

साल बीत गये कबीर के दो बच्चे हो गये कभी नही माता पिता के पास गाव जाता अपने भाई बहन का ध्यान रखता परंतु रीता कभी भी ना जाती ।

एक बार अचानक कबीर की तबियत बहुत खराब हो गई अस्पताल मे भरती था रिता बिलकुल अकेली थी उसके मायके से भी कोई मदद के लिये नही आया ।

उसी अस्पताल में कबीर के गाव का लडका काम करता था उसने गाव मे खबर कर वायी कबीर के पिताजी और उसका भाई अस्पताल आये कुणी लोगो ने कबीर को खून दिया

और सबका ध्यान रखा को अपने किए   पर पछतावा हो रहा  था जिनको मैने सब समझा मुझसे दूर भाग गये और जिनहे मैने भंडारा वो मेरी मदत केली मेरे पास आ गये दोस्ती की अपने रिश्ते है

आपके  काम आते है बुरे वक्त मे ही रिश्तों की परख होती है ये ही जिंदगी का सच है। 

स्वरचित कहानी 

आपकी सखी 

खुशी

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