बहादुर जल्दी से गाड़ी निकालो इस समय बहुत ट्रैफिक मिलेगा एयरपोर्ट पहुंचना है,आज आरव आ रहा है ये कहते हुए तेजी से सीढी़या उतरते हुए देव बाहर आता है।जी सर गाड़ी बिलकुल तैयार है कहते हुए बहादुर ड्राइविंग सीट की ओर बढ़ता है,इतने में देव कुछ सोचता है नहीं तुम आज रहने दो आरव को लेने मैं आज खुद गाड़ी चला कर जाऊंगा।
कार में देव सोचता है काश उसके पंख होते तो वह उड़ के पहुंच जाता। एयरपोर्ट पहुंचता है तो पता चलता है की फ्लाइट एक घंटा लेट हो गई है कोई बात नहीं देव सोचता है मैं गाड़ी में इंतजार कर लेता हूं आंख बंद कर सीट में बैठ जाता है और अतीत के पन्ने पलटते चले आते हैं वो उन यादों में खो जाता है।आरव उसके घर में खाना बनाने वाली आंटी का लड़का था
।स्कूल खत्म होने के बाद रोज शाम को अपनी मम्मी के साथ आ जाता। दोनों साथ खेलते बड़े हो रहे थे।आरव कुशाग्र बुद्धि भी था।जब कभी देव को किसी विषय में दिक्कत आती तो उसकी मदद भी करता इस प्रकार ये दोस्ती आगे बढ़ती गई।आरव अच्छे नंबरों से पास होकर कॉलेज आ गया। देव भी अच्छी प्रगति कर रहा था। कॉलेज तक तो कभी भी आरव के मन में ऐसी बातें नहीं आई
,पर जब उसे अच्छी खासी तनख्वाह में नौकरी मिली और पैसे आने शुरू हुए तो वह देव से बराबरी करने लगा। उसके बदले व्यवहार को देव महसूस भी करता था,उसे समझाया कि पैसा ही सब कुछ नहीं होता है,पर आरव की और ज्यादा पैसे कमाने की अमीर होने की चाहत बढ़ती ही गई और सब की बातों को अनसुना कर देव की दोस्ती को भुला कर विदेश चला गया
।इधर देव अपने लोगों से जुड़ा रहा।आरव के जाने के बाद उसके माता-पिता का भी ध्यान रखता।उधर आरव ने विदेश में बहुत प्रगति की आलीशान घर बनवा लिया बड़े-बड़े लोगों में उसका बैठना होने लगा।पैसा उसके दिमाग में सर चढ़कर बोलने लगा।वह यही सोचता पैसे से अब मैं सब कुछ पा सकता हूं। मुझे देव से बेहतर दोस्त मिल सकते हैं।
बिना ये समझें कि ये लोग उसके पैसे को देखकर मिले हैं। उसकी तारीफ करके धीरे-धीरे खोखला कर रहे हैं।आरव उनकी बातों में आकर अपने माता-पिता को भूलने लगा अपनी जड़ों से कटने लगा।उसके महल में आए दिन शराब की पार्टी होने लगी।ऐसे एक दिन नशे में उसने अपने कुछ दोस्तों को ये कहते सुना कि कितना बेवकूफ है आरव इसको लगता है
कि हम इसके बड़े सच्चे हमदर्द है अरे उसको पता ही नहीं चलेगा की हम सब कब इसका बैंक खाली कर देंगे आधा तो कर दिया है। ये बात सुनकर आरव का पूरा नशा शराब का भी और पैसे का भी तुरंत उतर जाता है।वह सोचने लगता है इन चापलूस धोखेबाज लोगों के कारण वह अपने बाल सखा सच्चे दोस्त को भूल गया उसकी दोस्ती
पर शक किया।पश्चाताप से उसकी आंखें बहने लगती है।रोते हुए देव को फोन लगाता है और कहता है-“देव मैंने ये क्या कर दिया?पैसे के नशे ने मुझे कहां से कहां पहुंचा दिया। क्या तू अपने बाल सखा को माफ कर पाएगा? मैं तेरे पास वापस आना चाहता हूं।उसकी पूरी कहानी सुनकर देव कहता है -“मैं तेरे को बोलता था ना कि पैसा ही सब कुछ नहीं होता है
तुझे एक सबक भी मिल गया।सब भुल जा,तेरा आज भी मेरे दिल में वैसे ही स्वागत है दोस्त तू वापस आजा। इतने में अनाउंसमेंट हुआ कि फ्लाइट आ रही है, यह सुनकर देव अतीत से वर्तमान में वापस आता है और बहुत ही खुश होकर उसके कदम अपने बाल सखा का स्वागत करने के लिए एयरपोर्ट की तरफ बढ़ने लगते हैं।
कविता अर्गल इंदौर (म. प्र.)