यादगार विदाई…अर्चना सिंह : Moral stories in hindi

घर मे चारों ओर उत्सव का माहौल था । बेला, गुलाब , जूही के फूलों की लड़ियों से पूरा घर खुशबू से भरा हुआ था  और ऊपर से पकवानों की खुशबू अलग पूरे घर में फैली हुई थी । रिया की शादी थी आज । वो खूबसूरत जोड़े में तैयार बहुत सुंदर लग रही थी । चेहरे पर खुशी के साथ थोड़ी मलिनता भी आ जाती और दिल मे जो हलचल हो रही वो किसे दिखाए…?

उसकी निगाहें बार- बार ऐसा लग रहा था किसी को ढूंढ रही थीं । “सौरभ मामा जी” को । रिया की माँ मधु के इकलौते भाई और रिया के इकलौते प्यारे मामा । ड्रेसिंग टेबल पर बैठे – बैठे ही रिया अतीत में खो गयी । खानदान की पहली बेटी रिया थी इस नाते वो ननिहाल में मौसी, नानी , मामा सबकी चहेती थी ।

रिया और राहुल दोनो भाई- बहन थे । जब नानी के घर जाती रिया खूब सारी यादें बटोर लाती । सौरभ मामा और उनकी दो प्यारी बेटियाँ उसे मूवी दिखाने और सैर कराने ले जाते तो सुधा मौसी उसे आइसक्रीम और चॉकलेट दिलाने ले जाती । जरा सा भी रिया को खेलते वक़्त चोट खरोंच आती मामा से ही चुप होती थी वो । सौरभ मामा अक्सर ये जादुई शब्द कहते..”माँ से ज्यादा दुःख मा मा को होता है और झट से वो खिलखिला देती । प्रिया मामी हर दिन कुछ नया बनाकर खिलाने की सोचती ।आसपास की नानी, मौसी दीदी सब भर- भर के प्यार उड़ेलतीं उस पर । 

खूब ख़ुशहाली से बचपन बीत रहा था । बहुत ही अच्छा प्यार करने वाला, चाहने वाला परिवार था । जाने किसकी नज़र लगी हँसते- खेलते घर को । मम्मी का मायका जाना कम हो गया । शायद सब अपने – अपने दायित्वों में ब्यस्त हो गए थे जैसे- जैसे उम्र बीत रही थी । अब नानी के घर जाने पर सिर्फ मम्मी और मौसी आती थीं । मामा और उनके परिवार नहीं दिखते । मम्मी को बोलती भी की मामा- मामी को बुलाओ न तो खीझ जाती और पढ़ाई का वास्ता देकर मुँह चुप करा देती । कभी मन दुखी होता तो मौसी के बच्चों से बात कर लेती पर उनकी भी यही शिकायत रहती सौरभ मामा फोन नहीं उठाते । बीच- ,बीच मे याद अक्सर आते रहती मामा- मामी और उनकी बेटी खुशी और निशि की पर कोई रास्ता नहीं दिख रहा था उन तक पहुँचने का ।

देखते- देखते मामा के बगैर ननिहाल जाने की आदत पड़ गई । बचपन मे तो कभी थोड़े चर्चे भी होते मामा के । बड़े होने पर तो मम्मी ने जो मुँह पर ताला लगाया कुछ जान ही नहीं पाई आखिर हुआ क्या…?

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इसी बीच नाना जी भी नहीं रहे । मामा उस समय तो जरूर आए होंगे । इंटर्नशिप की वजह से मैं नहीं जा पायी थी तब । मम्मी से पूछा भी की कौन- कौन शामिल हुए थे , कैसे हैं सब तो मम्मी ने मुँह बनाते हुए बड़ा खीझकर जवाब दिया…”अपने काम से मतलब रखो, जॉब पर ध्यान दो । सब कुछ जानने समझने की जरूरत नहीं है तुम्हें ।

मम्मी के कॉन्टैक्ट लिस्ट में मामा का नम्बर खोज कर बात करने के लिए सोची तो उस नाम से कोई कॉन्टैक्ट ही नहीं था । शायद माँ डिलीट कर चुकी थीं नम्बर ।एक दिन मौसी की बेटी पल्लवी को फोन करके मामा का नम्बर पूछा उसने जो नम्बर दिया कॉल ही नहीं लगा उस पर ।

पापा बहुत अच्छे पद पर कार्यरत थे, पैसा तो खूब कमाना जानते थे 

 लेकिन मम्मी बहुत मनसोख थीं । मम्मी के आगे पापा की एक नहीं चलती थी । सौरभ मामा कितना प्यार करते थे उसे । ऐसा क्या हुआ होगा जो कोई बताना नहीं चाह रहा । ऐसी क्या मजबूरी रही होगी जो मामा मेरी शादी में भी नहीं आए । पहले बोला करते थे..”शादी में तुम्हारी जरूर आऊँगा, नहीं भी बुलाओगी तो ..। उस दिन पता नहीं क्या हुआ था समझ नहीं आया जब सोकर उठी तो देखा मम्मी मौसी एक कमरे में बैठी थीं और मामा नानी के कमरे से निकल रहे थे । मामा की आँखें भारी सी लग रही थीं  । पर मम्मी से पूछने की हिम्मत नहीं हुई । फिर दुबारा ढूँढने की कोशिश की तो दिखे नहीं मामा । 

सोच – सोचकर रिया की आँखें गीली हो रही थीं ।

“तैयार हो गयी बेटा ! बारात आ गयी है । जल्दी से रिया ने पर्स से वाइप्स निकालकर अपनी गीली आँखें पोछी ।

ये तो सुधा मौसी की आवाज़ थी ।    मौसी की आवाज़ सुनकर अतीत से बाहर आई हो रिया जैसे   । खिड़की के शीशे से झाँका तो बारात दरवाजे पर लग रही थी । पटाखे की गूंज और ढोल ताशे की आवाज़ हृदय को सुकून नहीं दे रहे थे बल्कि झकझोर रहे थे । मन के किसी कोने में अंदर से युद्ध चल रहा था ।शादी को लेकर बहुत खुश थी वो पर माहौल बदल चुका था । सारी सहेलियाँ और रिश्तेदार के साथ वो जयमाला के लिए जा चुकी थी । जब रस्मों के बाद वापस अपने कमरे लौटी तो देखा 10 मिस्ड कॉल..? किसका होगा पता नहीं, नम्बर भी तो सेव नहीं है । वो अंदर ही अंदर बुदबुदाई । उसने झट से कॉल लगाया । उधर से जो आवाज़ आयी अनजानी नहीं थी । पर याद नहीं आ रही थी उसे ।फिर से रिया ने कहा…”हेलो ! उधर से आवाज़ आयी ..”बिट्टो ! कैसी हो तुम ?

अब रिया पूरी तरह समझ चुकी थी सौरभ मामा हैं ये । वही उसे प्यार से बिट्टो बुलाते थे ।

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उसने झट से दरवाजा बंद किया और अलमारी से ब्याही साड़ी निकालकर धम्म से बेड पर बैठ गयी और एक सुर में बोलने लग गयी । आँखों से खुशी दुःख मिश्रित आँसू भी  बहते जा रहे थे।”क्या है सौरभ मामा ! परेशान कर दिया आपने । न फोन , न कोई खबर ।आज आपकी बिट्टो चली जाएगी और आप यहाँ हैं भी नहीं। आज शादी है मेरी फिर विदा हो जाऊँगी मेरी याद भी नहीं आयी आपको ? 

रिया को लगा जैसे सुनाई नहीं दे रहा मामा को । उसने “हेलो..हेलो बोला । सौरभ को सुनाई दे रहा था सब। रिया की आवाज़ काफी समय बाद सुनने से उसका गला भी रुंध गया था । जी भर के सौरभ ने रो लेने दिया रिया को और उसकी आड़ में वो भी रो कर हल्का हो लिया । भर्राए स्वर में सौरभ ने बोला..”वादा किया था न  बिट्टो की विदाई करूँगा आशीर्वाद के साथ । तुम्हारे विदा होने से पहले आ जाऊँगा। कहाँ हो मामा पूछती रिया इससे पहले फोन कट गया ।  

रिया अब फेरे के लिए तैयार थी । पर उसके मन मे मामा के लिए उथल- पुथल अभी भी जारी थी । खीझते हुए सोच रही थी वो शादी तो हो गयी, कुछ रस्मे और उसके बाद विदा हो जाऊंगी मैं , पर मामा अब तक नहीं आये । पल्लवी और राहुल रिया को कमरे के पास छोड़ कर निकल गए । रिया जैसे ही अंदर घुसने की कोशिश की कुछ आवाज़ उसके कानों में सुनाई दी । उसने कान दरवाजे पर लगाया और आँख दरवाजे के किनारे वाले भाग में जहाँ से सब दिख रहा था । “अरे ! ये तो मामा की आवाज़ है । जी चाहा उसका जा के मामा को गले लगा ले लेकिन अंदर की वार्त्तालाप सुनकर उसके पावँ ठिठक गए । मम्मी और सुधा मौसी मामा से पूछ रही थीं ..अभी कहाँ रह रहे हो मतलब किराए पर या माँ के घर में ? खुशी निशि कैसी हैं ? मामा ने कहा..”आपलोगों ने ये सब पूछने का अधिकार खो दिया दीदी । किस घर की बात कर रहे आप ? जो मुझसे छीन लिया ? चलो छीन लिया वो भी ठीक, कम से कम धोखे से तो नहीं करते । किसी चीज की कमी नहीं थी आपके पास  । आपलोगों ने मुझे उस समय बेसहारा कर दिया जब मुझे आपलोगों की सबसे ज्यादा जरूरत थी । और किस हक़ से बच्चों के बारे में पूछ रही हैं आप ? बिजनेस में डूबने लगा तो आपलोगों ने बचाने की बजाय मेरा जमीन सम्पत्ति ,पैसे सब अपने नाम करा लिए  । वो तो भगवान की कृपा है दोनो बच्चियाँ लोन लेकर अपनी पढ़ाई जारी रखी हैं वरना आपलोग तो दाने दाने को मोहताज़ कर देते । मम्मी ने हाथ जोड़कर कहा..”भूल जाओ वो सब बात भाई । अब तो माँ भी नहीं है । माफ कर दो ।

मौसी ने कहा..”मुझे पता था तुम जरूर आओगे । अपने सिर पर हाथ रखते हुए मामा की नजरें मुझे तलाश रही थीं और उन्होंने कहा..”कैसे भूलूँ और कैसे माफ करूँ दीदी ? क्या आप माफी मांग कर आप मुझे वो बीते पल, वो खुशियों वाली ज़िन्दगी दुबारा दे सकती हैं ? अगर नहीं दे सकतीं तो मै भी कुछ नहीं भूल सकता । बहुत दुःख काटे । अब इन रिश्तों के लिए मेरे दिल मे कोई जगह नहीं । पैसे और रिश्ते में से आपने पैसे को चुना था, आज आपको और किसी की जरूरत नहीं ।

ये सब बातें सुनकर रिया चक्कर खाकर गिर पड़ेगी जैसी उसकी हालत हो गयी थी ।

उसने झटके से दरवाजा खोला और रिया को देखकर उसकी मम्मी चकित हो गईं । रिया का हाथ पकड़ने के लिए जैसे ही मधु आगे बढ़ी  रिया नज़रें फेरकर मामा से लिपट गयी । वो बचपन की भूली- बिसरी यादें फिर से तरोताज़ा हो गईं ।

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मामा के कंधे पर सिर रखकर खूब तेज तेज रिया रोने लगी । जैसे कोई बिछड़ा बच्चा अपनी माँ से मिला हो । सौरभ ने रिया से खुद को अलग करते हुए उसके हाथों में एक जोड़ी पायल थमा दी । पायल के पैकेट को वापस करते हुए रिया ने कहा…”सब कुछ सुन लिया मामा जी ! मम्मी का तो पता नहीं पर मैं  आपसे बहुत शर्मिंदा हूँ । नहीं ले सकती ये उपहार, नहीं है मुझे इसकी जरूरत । रिया की आँखें पोछते हुए सौरभ ने कहा…”बहुत खुशी है मुझे तुम मम्मी- पापा की तरह नहीं हो । तुम्हारे मामा की ओर से तुम्हारे लिए ये छोटा सा उपहार । बहुत कुछ सोचा था पहले करने को पर समय ही बदल गया । आशीर्वाद समझ कर रखो ये तुम । मधु आगे बढ़कर सौरभ का हाथ पकड़ के बोलने लगी…”चलो खा लो कुछ । बहुत अच्छा लगा तुम आए । नज़रें नीचे करके सौरभ मधु से दूर जाकर बोल रहा था..खुश होने की जरूरत नहीं है । मैं आपलोगों के लिए नहीं बल्कि रिया को किए वादे के लिए आया हूँ । सारे रिश्ते नाते आपसे उसी दिन खत्म हो गए जब आपने  लोभ के नाते संबंधों को दाव पर लगा दिया ।

बाहर से आवाज़ आने लगी..”जल्दी विदा कर दीजिए लड़की को ” । मधु रिया के पास आती इससे पहले ही रिया ने हाथ रोककर इशारा करते हुए कहा…”क्यों इतनी तकलीफ दी मामा को मम्मी? क्यों मामा को हम सबसे दूर किया ? मत विदा करिए मुझे अपने इन हाथों से । आपकी सोच को देखकर बिल्कुल मुझे इच्छा नहीं कि आप मुझे विदा करें । यादगार बना दी आपने मेरी विदाई मम्मी! दो बेटियों की खुशी छीन कर आपने कैसे सोच लिया कि आपकी ये बेटी खुश रहेगी ? अब कुछ नहीं रह गया कहने सुनने को क्योंकि  कुछ भी सुनने के लिए अब मैं बिल्कुल भी तैयार नहीं हूँ । सौरभ मामा रिया से आज्ञा लेकर निकल चुके थे । 

रिया अपने पति के साथ विदाई के लिए गाड़ी में तो बैठ चुकी थी लेकिन रिश्तों के ऐसे रुप देखकर वो हैरान थी । बेखबर बेपरवाह सी गाड़ी में बैठी  रिया चली जा रही थी । पीछे के रास्ते और यादें छूटते जा रहे थे कुछ यादें धुँधली हो रही थीं और कुछ पुरानी बातें दिल मे नश्तर सी चुभे जा रही थीं । फिर भी वो पति के साथ होकर नई ज़िन्दगी के रास्ते पर चल पड़ी थी  ।

ठंडी बहती हवा उसके इरादों को मजबूत बना रहे थे । अब मधु और सुधा को भी उनकी गलतियों का एहसास हो चुका था लेकिन अब पीछे लौटना बहुत मुश्किल था ।

अर्चना सिंह

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